क्या आपको पता है कि भारत में डायबिटीज के कुल 7 करोड़ से ज्यादा पेशेंट है, और यह डायबिटीज होने का मुख्य कारण हमारे शरीर में इंसुलिन के बैलेंस का बिगड़ जाना है. और यह इंसुलिन बनाने का काम करता है, हमारा यह पैंक्रियास यानी हमारा अग्नाशय. अब जब मैंने आपको यह बताया है कि अग्नाशय इंसुलिन बनाता है, तब आपके मन में यह जिज्ञासा तो आएगी कि यह हमारा अग्नाशय यानी पैंक्रियास काम कैसे करता है. और इसका काम क्या केवल इंसुलिन को ही बनाना है या कुछ और भी काम है. चलिए आज आपको उसके बारे में पूरी की पूरी जानकारी दे देते हैं.
पैंक्रियास एक पिंकिश ऑरेंज रंग का हमारे stomach के पीछे, लगभग 15 सेंटीमीटर लंबा एक lobular ग्लैंड होता है. और वजन की बात करें तो पेनक्रियाज वजन में 120 से 145 ग्राम तक होता है।
देखिए पैंक्रियास में ब्लड सप्लाई spleen से आने वाली स्प्लेनिक आर्टरी से होती है। जोकि कई सारे ब्रांच में बट कर पैंक्रियास के हर एक सेल को ब्लड देती है।
जब हम पैंक्रियास को स्लाइस करके, काट कर देखेंगे, तो हम पाएंगे कि पेनक्रियाज के बीच में बिल्कुल पेड़ की एक शाखा की तरह, पत्तियों की जाल की तरह एक संरचना है और उसके चारों ओर कुछ स्पेशल टाइप के सेल्स घिरे हुए हैं, एक बार इस संरचना को ध्यान से आप देख लीजिए…
जब हम इस संरचना को, जोकि एक टहनी में पत्तियों की शाखा की जैसी अग्नाशय में बना हुआ है, उसे देखेंगे तो हम पाएंगे कि इसके बीच में एक duct है, जो की सीधे छोटी आत में जाकर मिल जाता है। और इस duct के चारों और पत्ती जैसी संरचना बनी हुई जो चीज है वो acinar cell हैं, जिसका बहुत important role हैं।
देखिये, जब भी हम भोजन करते हैं और भोजन करने के बाद जब यह भोजन स्टमक से छोटी आत की तरफ पास होता है। तब हमारा स्टमक एक गैस्ट्रिन नाम के हार्मोन को रिलीज करता है, जोकि पेनक्रियाज में मौजूद इन acinar सेल को स्टिम्युलेट कर देता है। और इसके बाद acinar सेल उस भोजन को पचाने के लिए कुछ डाइजेस्टिव एंजाइम बनाना शुरू कर देते हैं। डाइजेस्टिव एंजाइम बनते हुए यह इसी acinar सेल से लगे हुए डक्ट में चले जाते हैं, जहां पर duct के दीवार पर centroacinar सेल बाइकार्बोनेट को रिलीज करते हैं।
यह बाइकार्बोनेट नेचर में एल्कलाइन होते हैं यानी क्षारीय प्रकृति के होते हैं, देखिये स्टमक से जो फूड आता है, उसमें एसिड मिला रहता है, जिसको न्यूट्रलाइज करने के लिए बॉडी में है बाइकार्बोनेट बनता है।
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यही डाइजेस्टिव एंजाइम और बाइकार्बोनेट मिलकर अब पेनक्रिएटिक जूस बन जाते हैं और पेनक्रिएटिक डक्ट से होते हुए यह छोटी आत में जाकर मिल जाते हैं। पर ध्यान रहे जब यह छोटी आत में मिलने ही जाते हैं तभी इससे गॉलब्लैडर जाते हुए बाइल डक्ट भी आकर जुड़ जाती है जहां से बाईलजूस भी छोटी आत में आ कर गिरता है।
दोनों डक्ट जब आपस में मिल जाते हैं, तो इसे common hepatopancreatic duct के नाम से जाना जाता है।
अग्नाशय से निकलने वाले यह जूस जब छोटी आत में हमारे फूट के साथ मिल जाती है, तो ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और लिपिड्स को ब्रेकडाउन करके उन्हें हमारे शरीर में absorb करने में हेल्प करता है।
पैंक्रियास के इसी गुण के कारण जो कि वह पेनक्रिएटिक जूस duct के थ्रू छोटी आत में secret करता है, इस गुण के कारण इसे exocrine ग्रैंड भी कहा जाता है।
Exocrine gland वह होते हैं जो अपना secretion duct के थ्रू करते हैं.
अब देखिए इस acinar वाले सेल की संरचना के चारों तरफ पैंक्रियास में एक और सेल होते हैं, या कहिये सेल के कुछ गुच्छे जैसे होते हैं, जिन्हें islets of langerhans कहा जाता है।
यह islets of langerhans mainly 3 सेल से मिलकर बने हुए होते हैं, एक होता है अल्फा सेल, दूसरा होता है बीटा सेल और एक होता है delta सेल्स, जो कि आपस में एक ब्लड कैपिलरी से जुड़े रहते हैं।
islets of langerhans में इस अल्फा सेल का काम होता है कि यह glucagon हार्मोन का निर्माण करता है।
इस glucagon हार्मोन का काम यह होता है कि यह हमारे शरीर में जब भी हमें ग्लूकोस की आवश्यकता होती है, energy के लिए तो यह हमारे शरीर में पहले से ही stored ग्लाइकोजन जोकि ग्लूकोस का एक stored फॉर्म होता है, उसे ग्लूकोस में कन्वर्ट करके ब्लड स्ट्रीम में बहा देता है।
फिर इसी islets of langerhans में बीटा सेल का काम यह होता है कि यह शरीर में ब्लड स्ट्रीम के थ्रू इंसुलिन सीक्रेट करता है। और इंसुलिन का काम शरीर में यह होता है कि जब हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है, तो यह इसे ग्लाइकोजन में कन्वर्ट करके हमारे मसल्स में store करवा देता है। जब भी जरूरत पड़ती है, ग्लूकोस की तब glucagon इसे ग्लूकोस में कन्वर्ट करके, हमारे शरीर को एनर्जी provide करवाता है।
यानी ग्लूकागन और इंसुलिन का काम बिल्कुल एक दूसरे के ऑपोजिट है।
डायबिटीज में भी तो यही होता है, डायबिटीज में व्यक्ति का पेनक्रियाज इंसुलिन नहीं बना पाता है। जिसके कारण से शरीर में ब्लड शुगर accumulate होने लगता है और यूरिन के थ्रू शरीर से ग्लूकोस बाहर निकलने लगता है, जिससे शरीर कमजोर होने लगता है।
वही islets of langerhans का तीसरा सेल डेल्टा सेल सोमेटोस्टेटिन नाम के हार्मोन को रिलीज करता है, जिसका काम इन अल्फा और बीटा सेल से इंसुलिन और glucagon हार्मोन को inhibit करवाने में मदद करना हैं।
देखिए islets of langerhans से जो भी हार्मोन रिलीज होते है, वह सीधे ब्लड स्ट्रीम में secret होते हैं, जिसके कारण से पेनक्रियाज को एक एंडोक्राइन ग्लैंड भी कहा जाता है।
एंडोक्राइन ग्लैंड वह होता है, जो अपने हार्मोन को सीधे ब्लड स्ट्रीम में सीक्रेट करते हैं।
इस हिसाब से हम यह कह सकते हैं कि पेनक्रियाज एक एंडोक्राइन और एक exocrine दोनों ही प्रकार का ग्रैंड है।