अक्सर आप देखे होंगे कि हमारे कान से एक गहरे ब्राउन रंग का 1 substance निकलता रहता है। थोड़ा चिपचिपा सा जिसे जनरल इयर वैक्स के नाम से जानते हैं। आपको पता है कि होता क्या है। देखिये हमारे कान से लगातार हर 1 घंटे में लगभग 10 लाख सेल जो कि हमारे कान के अंदरूनी दीवार के skin cell होते हैं, वह shade होकर बाहर निकलते रहते हैं, उन्हें हमारे कान से बाहर निकालने के लिए और कान के अंदरूनी दीवार फंगी और बैक्टीरिया से बचाने के लिए और पानी कान में ना जा सके, इससे बचाने के लिए कान में यह सब्सटेंस हमेशा रिलीज होते रहता है, जो इन सब को mix karke कान से बाहर निकलता है। चलिए शार्ट में जान लेते हैं कि यह चीज कान में सीक्रेट होता कैसे है।
लेकिन हमारी कान का यह जो एक्सटर्नल ऑडिटरी मीटअस है यानी ये canal जहां से हम किसी चीज को सुन पाते हैं, वहां के अंदरूनी भाग से ये डेड स्किन सेल्स shade होती हैं। और यहां से इसी एक्सटर्नल ऑडिटरी मीटअस के थोड़ी बाहरी भाग से स्पेशल किस्म के अपोक्राइन sweat गलैंड्स होते हैं, जो कुछ special प्रकार के sweat को रिलीज करते हैं। जो इन सभी dead skin cell बैक्टीरिया और fungi को एक साथ मिक्स कर लेते हैं। इसे ceruminous gland भी कहते है।
और केवल ये स्पेशल किस्म के लिए अपोक्राइन gland ही नहीं होते हैं, हमारे कान के छेद के दीवारों में, बल्कि sebaceous gland भी होता है जो स्किन में हमेशा sebum नाम का ऑयल रिलीज करता रहता है। जाहिर सी बात है, क्योंकि सेबेशस ग्लैंड हमारे स्क्रीन के हर जगह पर पाया जाता है, skin को moist करने के लिए, यही sebum sebaceous gland से रिलीज होने वाला ऑयल, हमारे कान के स्किन को moist रखता है, चिपचीप्पा सा, एक्सटर्नल ऑडिटरी मीटअस के कैनाल को, जिसमें बैक्टीरिया और fungi trap हो जाते हैं।
जब यही चिपचिपा सा sebum स्पेशल स्वेट ग्लैंड से निकलने वाला secretion, डेड स्किन, कान में आए dirt और गंदगी यह सब मिल जाते हैं, तो हमें इयर वैक्स मिलता है, जो हमारे कान को protect करता है, किसी भी प्रकार के इंफेक्शन और कान में पानी जाने से रोकता भी है ये earwax। जब हम बात करते हैं या चूइंग करते हैं, तब हमारे जबड़े के मूवमेंट की वजह से यही ईयर वैक्स हमारे काम से बाहर निकल जाता है, या नहाते वक्त हमारे कान से धूल जाता है।