एक बार आप अपने नाक या अपने कान को पकड़ कर देखिए, आपको क्या पता चल रहा है, आप यह ध्यान दे रहे होंगे कि हमारा कान और हमारी नाक वह ना तो हड्डी है और ना ही कोई मसल है, बल्कि बहुत ही स्पेशल किस्म की टिशू है, जो at the same time काफी मजबूत भी है, प्लस फ्लैक्सिबल भी है। जानते हैं हमारे शरीर में यह जो स्पेशल टिशु है, इसे कार्टिलेज कहा जाता है। हालांकि इसके कई प्रकार हैं, और बॉडी के अलग-अलग जगहों पर इसका अलग-अलग फंक्शन भी हैं।
यह वन ऑफ द मोस्ट इंपोर्टेंट टिशु है, जब कोई बच्चा अपनी मां के गर्भ में होता है तो शुरुआत में उसके अंदर हड्डियां नहीं होती है, यह कार्टिलेज ही होते हैं। यही कार्टिलेज आगे चलकर धीरे-धीरे ओसिफिकेशन करके हमारे शरीर में हड्डियां बनाते हैं। मुझे लगता है इतना जानकर आपको कार्टिलेज के बारे में excitement तो जरूर आ गया होगा।
देखिये cartilage एक कनेक्टिव टिशु होता है, जिसका मेन सेल जो इन कनेक्टिव टिशु को बनाता है, कई सारे ground substances रिलीज करके प्रोटींस वगैरह को रिलीज करके… वह एक फाइब्रोब्लास्ट लाइक सेल्स जिसे कहते हैं, chondrocyte उससे मिलकर यह कार्टिलेज बना हुआ होता है।
और यह कार्टिलेज करता क्या है, यह कार्टिलेज दरअसल हमारी जो बोन ज्वाइंट है, उसके मोशन में फ्लूडिटी लाता है। साथ ही साथ जो दो bone के ऊपर कंप्रेशन होता है, उसको resist करने में मदद करता है। कई सारे bony part जैसे हमारे रिब्स के बोन को एक्सटेंशन करता है, फॉरवर्ड डायरेक्शन में, और इसी कार्टिलेज की मदद से हमारे नाक और कान जैसे चीजों को शेप मिलता है।
अब यह कार्टिलेज बना किन-किन चीजों से मिलकर बना होता है, यह हमें जानना चाहिए, देखीये यह कार्टिलेज के अंदर मुख्यतः तीन तत्व हैं एक है इसका कार्टिलेज का ग्राउंड सब्सटेंस दूसरा है, fibers और तीसरा है इसके मूल सेल chondrocytes.
ग्राउंड सब्सटेंसस में इनके आता है glycosaminoglycans और Proteoglycan फाइबर में कॉलेजन और elastin ऐसी चीजें होती हैं.
जिसकी वजह से इसमें थोड़ा इसमें elastic nature भी होता है, और थोड़ा यह मजबूत भी होता है, collagen की वजह से, अब देखिए इन्हीं सब तत्व के अमाउंट में थोड़ा फेरबदल होता है, कम ज्यादा होता है तो यही कार्टिलेज तीन रूपों में विभक्त हो जाते हैं। मतलब कार्टिलेज तीन प्रकार के होते हैं, और यह भेद होना दरअसल इन तत्वों के मात्रा में वेरिएशन होने की वजह से ही होता है।
देखिये पहला कार्टिलेज होता है, elastic cartilage इसमें क्या होता है कि इसमें chondrocytes cells की संख्या ज्यादा होती है। और इसमें elastin fiber कंपेरटिवली बाकी cartilage से ज्यादा होता है। इसलिए यह स्ट्रेचेबल होता है। यह कहां-कहां होता है, हमारा जो epiglottis हैं जिससे हम food को foodpipe में भेजते हैं वो elastic cartilage ही होता है, हमारा outer ear, जिसे हम छू सकते हैं यह भी इलास्टिक कार्टिलेज ही होता है।
दूसरा कार्टिलेज होता है, hyaline cartilage इसमें क्या होता है, इसमें chondrocyte cell की संख्या इलास्टिक कार्टिलेज की तुलना में कम होता है, और elastin फाइबर, collagen फाइबर की तुलना में कम होता है। इसलिए थोड़ा स्ट्रेचेबल होने के साथ-साथ ये मजबूत भी होता है। hyaline कार्टिलेज शरीर में कहां कहां होता है। hyaline cartilage कार्टिलेज हमारे बोन ज्वाइंट के ऊपर, bone के ends पर होता है, हमारी जो ribs की हड्डियां होती है दरअसल उन को sternum तक एक्सटेंड करने के लिए यही hyaline कार्टिलेज मदद करते हैं। और हमारे जो नाक होती है जो outer nose shape जिसे हम टच कर पाते हैं। वह भी hyaline कार्टिलेज से ही बना होता है।
और आखरी प्रकार का कार्टिलेज होता है, फाइब्रोकार्टिलेज इसमें chondrocyte की संख्या सबसे कम होती है। लेकिन इसमें collagen फाइबर की संख्या सबसे ज्यादा होती है। और इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, हमारे रीढ़ की हड्डीओं के बीच जो इंटर्वर्टेब्रल डिस्क होता है, वह फाइब्रोकार्टिलेज ही होता है।