गुरुद्वारा मे सिर ढककर क्यों जाते हैं

इस धरती पर कई जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते है ,और सभी धर्म अपनी अपनी मान्यताओ को मानते है .उन्ही में से एक सिख धर्म की बात करे तो ये धर्म अपने खास मान्यताओ के लिए जाना जाता है. सिख धर्म में कोई भी पूजा की जाती है तो सिर ढकना जरूरी होता है, और आपने ये गुरूद्वारे में भी देख होगा वहां सिर्फ उन्ही लोगो को अंदर जाने की अनुमति होती है, जिन्होंने अपने सिर ढके हुए होते है.पर क्या आप इसके पीछे का कारण जानते है ……?

इसके पीछे का कारण काफी खास है। तो आईए जानते हैं कि गुरूद्वारे में जाने से पहले सिर क्यों ढका जाता है। सिख धर्म में ऐसी मान्यता है कि हमारे शरीर में 10 द्वार मौजूद हैं। दो आंखें, दो कान, एक मुंह, दो नासिका, दो गुप्तांग और सिर होता है। इन 10 द्वारों में सिर का स्थान सबसे संवेदनशील होता है। माना जाता है कि इस दसवें द्वार यानि कि सिर के जरिए ही मनुष्य परमात्मा के दर्शन कर पाता है। यही नहीं, इस दसवें द्वार का सीधा संबंध हमारे मन से होता है।

चूंकि, हमारा मन काफी चंचल होता है इसलिए हम परमात्मा में आसानी से ध्यान नहीं लगा पाते। ऐसे में कहा जाता है कि भगवान के दरबार में जाने से पहले मन को नियंत्रित करने के लिए सिर को ढकना जरूरी है। वैसे सिर ढकने के पीछे एक और धारणा है। माना जाता है कि इससे ना सिर्फ नकारात्मक उर्जा का नाश होता है बल्कि शरीर में ध्यान से एकत्रित हुई सकारात्मक उर्जा भी बनी रहती है। मान्यता है कि सिर ढककर पूजा करने से हमारे सिर के बीच में मौजूद चक्र सक्रिय हो जाता है।

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