आपने टॉन्सिल का नाम तो सुना ही होगा, वही टॉन्सिल जो हमारे ओरल कैविटी में होती है, पिंक रंग की, जिसके बारे में बताया जाता है कि यह हमारे इम्यूनिटी को बनाए रखने में मदद करता है. पर क्या आप इस टॉन्सिल के बारे में पूरी जानकारी रखते हो, क्या आपको यह पता है कि टॉन्सिल हमारे ओरल कैविटी के अंदर कितने संख्या में पाई जाती है, क्या यह केवल दो होती है, या और भी बहुत ज्यादा, और इसका काम क्या-क्या होता है… अगर अब तक आप टॉन्सिल के बारे में जानकारी नहीं रखते थे, तो बस यह वीडियो पूरा देख लो, यहां से आप बहुत कुछ जान के जाओगे, हां वीडियो अच्छा लगेगा तो लाइक जरूर कर देना यह मुझे इनकरेज करता है…
तो चलो बिना इधर-उधर की बात किये, सीधे टॉपिक पर आते हैं, देखिए टॉन्सिल हमारे मुंह के अंदर एक दो नहीं बल्कि पूरे चार सेट में पाई जाती है। जी हां चार सेट, एक सेट में एक से अधिक टॉन्सिल भी हो सकती है, चलीये जानते हैं।
टॉन्सिल का जो पहला सेट होता है, उसे पहले palatine tonsil कहते हैं, जो कि हमारे ओरल कैविटी के बिल्कुल पीछे साइड में होता है, एक बार इमेज में आप यह देख लीजिए। यह संख्या में दो होते हैं, दोनों साइड में।
टॉन्सिल का जो हमारा दूसरा सेट होता है, वह हमारे nasal cavity के बिल्कुल पीछे वाले दीवार पर पाई जाती है, जिसे pharyngeal tonsils या adenoid कहते हैं। यह छोटे बच्चों में 6 साल की उम्र तक तो बहुत बड़ा होता है। लेकिन जैसे-जैसे हम लोगों की उम्र बढ़ती जाती है, यह बहुत ही छोटा सा हो जाता है, एडल्ट होने पर तो यह बिल्कुल नाम मात्र का रह जाता है। और अगर बच्चों में इसकी आकार बढ़ जाता है तो बच्चों को सांस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत भी होने लगता है। उनके चेहरे का शेप भी बिगड़ जाता है, इस tonsil के बढ़ने से, ये संख्या में 1 होता हैं।
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टॉन्सिल का जो तीसरा सेट होता है, वह होता है lingual टॉन्सिल्स, जो कि हमारे जीभ के बिल्कुल एंड वाले पार्ट पर पाया जाता है, इमेज में देखिए इसका लोकेशन, यह भी संख्या में केवल एक होता है।
टॉन्सिल का जो चौथा सेट होता है, वह बिल्कुल हमारे कान के अंदर यहां, eustachian tube का जो सबसे आखरी वाला हिस्सा होता है, वहां पर यह टॉन्सिल्स पाए जाते हैं, इसे ट्यूबल टॉन्सिल कहा जाता है। एक बार यहां से देखें जब हम अपने नाक की कैविटी को देखेंगे, तो यहां पर ठीक जहां पर मैं arrow से पॉइंट कर रहा हूं, वहां पर eustachian tube का ओपनिंग होता है, वहीं पर होता है, यह ट्यूबल टॉन्सिल। यह संख्या में 2 होते हैं, दोनों कान को मिलाकर।
तो अब आप यह जान गए कि हमारे ओरल और नसल कैविटी में कुल मिलाकर 4 सेट टॉन्सिल पाए जाते हैं। अब इन का काम क्या होता है, यह जान लेते हैं।
देखिए हमारे ओरल और नसल कैविटी में जो टॉन्सिल पाए जाते हैं, वह लिंफेटिक टिशू से बने होते हैं।
वही लिंफेटिक टिशू जो हमारे इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाए रखने के लिए इम्यून सेल्स को mature या उनका निर्माण करते हैं।
देखिए जब भी हम अपने नाक से सांस लेते हैं, तो जाहिर सी बात है उस एयर में बहुत सारे वायरस बैक्टीरिया और भी कई तरीके के जहरीले तत्व तो होते ही हैं। होता यह है कि जैसे ही हमारे नाक में एयर आती है वह इस फैरिंजीयल टॉन्सिल से टकराती है। जिसकी वजह से एयर में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया इससे टकराकर वहीं पर मर जाते हैं और हमें एक साफ-सुथरी हवा हमारे फेफड़े को मिलती है।
और जब भी हम कोई खाना खाते हैं, तो हमारे फूड में भी कई सारी बैक्टीरिया और वायरस तो होते ही हैं, उन को फिल्टर करने के लिए हमारे मुंह में 2 सेट टॉन्सिल होते हैं, जो इन बैक्टीरिया और वायरस को फिल्टर करके हमारे स्टमक में पहुंचाते हैं।
इतना ही नहीं…. चुकी ये हमारे lymphatic सिस्टम का हिस्सा होता है, इसीलिए यहां पर हमारे कुछ वाइट ब्लड सेल्स का maturation भी होता है। इन में मुख्यतः हमारे मैक्रोफेजेस होते हैं और जरूरत पड़ने पर एडाप्टिव इम्यूनिटी के बी cells का maturation भी इन tonsils में होता हैं। जो हमें वायरस और बैक्टीरिया से बचाते हैं।