26 जनवरी 1950 को तमिलनाडु राज्य का गठन किया गया था जो कि भारत का सबसे दक्षिणतम राज्य है. इस राज्य का अपना ही महत्व है क्योंकि ये भारत के कुछ सबसे अमीर राज्यों में से गिना जाता है. यह भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण राज्य भी है क्योंकि यहां से इंडियन ओशन और asean देशों पर सीधे नियंत्रण किया जा सकता है. तमिलनाडु का क्षेत्रफल 1,30,058 किलो मीटर स्क्वायर है. इसमें कुल 32 जिले हैं और यहां की मुख्य भाषा तमिल है. जनसंख्या की बात करें तो यहां लगभग 8 करोड लोग रहते हैं और चेन्नई यहां की राजधानी है.
लेकिन तमिलनाडु का इतिहास अपने आप में बहुत ज्यादा पुराना है. तमिलनाडु उन गिने-चुने जगहों में से एक है जहां पर प्रागैतिहासिक काल से लेकर अब तक लगातार मानव बस्तियां बसी हुई है. माना जाता है कि तमिल भाषा विश्व के सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है जो कि द्रविड़ भाषा है और यहां पर अत्यंत प्राचीन काल में तीन मुख्य राजवंश राज्य करते थे. चेर, चोल और पांड्य इन्हीं 3 राजाओं ने मिलकर तमिलनाडु के अत्यंत प्राचीन संस्कृति का निर्माण किया और तमिलनाडु का नींव रखा.
लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि उस प्राचीन काल में जब तमिलनाडु पर इन राजवंशों का राज था, जब तमिलनाडु आज के अपनी परिस्थिति में नहीं था, जब आक्रमणकारियों के पहले तमिलनाडु बहुत थी समृद्ध शाली था, उस समय तमिलनाडु का नाम क्या था. आखिर प्राचीन काल में तमिलनाडु का पुराना नाम क्या था.
माना जाता है कि आज का जो तमिलनाडु का क्षेत्र है प्राचीन काल में तमिलकम् नाम से जाना जाता था. जिसका अर्थ तमिल लोगों की भूमि, जहां केवल तमिल भाषी लोग ही रहते थे. लेकिन जैसे ही अंग्रेजों ने भारत पर अपना शासन किया अंग्रेजो ने उस क्षेत्र का नाम बदलकर मद्रास प्रेसीडेंसी कर दिया और वह भी केवल इसलिए क्योंकि प्राचीन काल में चेन्नई के पास एक नगर का नाम मद्रासपटनम हुआ करता था इसके आधार पर अंग्रेजों ने तमिल कम का नाम बदलकर मद्रास प्रेसिडेंसी कर दिया।