क्या आपने कभी यह सोचा है कि रात होते ही ऐसा क्या हो जाता है, जो हमें नींद आने लगती है. अंधेरा हुआ और हमारी बॉडी अपने आप ही हमें यह बताने लगती है कि यह तो सोने का टाइम हो गया है. कोई मेहनत करने की कोई जरूरत ही नहीं है, बस आंख बंद करना है, जिससे हमारे रेटिना पर कोई भी लाइट रेज ना आ जाए, और बाकी का काम शरीर खुद ही कर लेता है, और हमें नींद आ जाती है.
देखें मैं आपको पहले ही बता दे रहा हूं कि इस वीडियो के अंत में, मैं आपको एक बहुत ही इंटरेस्टिंग बात बताने वाला हूं, जिसको जानकर आपको बहुत ही ज्यादा मजा आने वाला है, तो वीडियो तो पूरा ही देखना, वीडियो में कुछ भी फालतू नहीं है.
देखिए रात को आपने अपनी दोनों आंखों को बंद किया और आप की तीसरी आंख खुल गई, और जब आप की तीसरी आंख खुली, तो उसने कुछ ऐसा जादू किया, जो आपको एक कैसे स्टेट में ले गया, जो सुबह उठते ही आपको बिल्कुल फ्रेश करने लग गए। बिल्कुल तरोताजा, सारी थकान मिट गई, सारे cells रिपेयर हो गए, और आप एक नई ऊर्जा के साथ सुबह उठे। मतलब दोनों आंखों के बंद होते ही और तीसरी आंख के खुलते ही आप सो गए, आप नींद में चले गए।
अब यह तीसरी आंख कहां से आ गई, ऐसा तो केवल माइथोलॉजी में सुना है, अगर आपने अब तक नहीं जाना कि हमारे तीसरी आंख जैसे कोई चीज भी होती है, तब तो यह वीडियो आपके लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हो जाती है। देखिए हमारे आंख के बीच में, बिल्कुल यहां पर, वाई axis से थोड़ा ऊपर की ओर, ठीक यहां पर होती है, हमारी तीसरी आंख, पर यह हमें बाहर से नहीं दिखाई देती, यह हमारे खोपड़ी के अंदर बिल्कुल दिमाग के बीचोबीच होती है।
इस तीसरी आंख, जो हमारे दिमाग के अंदर है, इसे पीनियल ग्लैंड कहते हैं, बिल्कुल मटर के दाने के आकार का, यह उससे भी छोटा मात्र और मात्र 150 मिलीग्राम का होता है, लेकिन इसके काम बहुत बड़े-बड़े होते हैं। इसका लोकेशन आप ब्रेन में देख लीजिए,
बिल्कुल यहां पर होता है हमारे thalamus के पीछे। देखें अगर हम इसे ब्रेन स्टेम के पोस्टीरियर भाग से देखेंगे, यानी पीछे की ओर से, तो आप ये चार मटर के दाने दिख रहे हैं, यह brainstem के colliculi हैं और उसके ठीक ऊपर बिल्कुल एक अकेला यही है, हमारा पीनियल ग्लैंड…
देखिए यह जो हमारा ब्रेन के दोनों हेमिस्फीयर हैं, इन दोनों hemishpere के ठीक बीच में इस fissure में, जो खाली जगह आप देख रहे हैं, इसी के बीच में ही बिल्कुल मिडलाइन में ही हमारा तीसरा आंख, जिसे पीनियल ग्लैंड कहते हैं, वह मौजूद है।
अब सवाल यह उठता है कि इस पीनियल ग्लैंड को आखिर थर्ड आई कहां है क्यों जाता है.
17 वी शताब्दी की शुरुआत में फ्रांस में एक famous philosopher और mathematician Rene descartes इस पीनियल ग्लैंड से बहुत ज्यादा fascinate थे, इनका मानना था कि अगर इस पीनियल ग्लैंड के बारे में, जानकारी हम मनुष्यों को पूरी की पूरी जानकारी हो जाए, तो हम ब्रेन के सारे के सारे एक्टिविटी को समझ सकते हैं. उनका मानना था कि पीनियल ग्लैंड के अंदर ही हमारी आत्मा का वास होता है, इसलिए उन्होंने इसे थर्ड आई कहना शुरू कर दिया.
देखिए pineal gland को third eye कहना एक तरीके से सही भी है, क्योंकि यह बिल्कुल हमारे दोनों आंख के बीच वाले एरिया में, अंदर की ओर पाया जाता है, और यह लाइट से प्रभावित भी होता है। जब लाइट कम होती है, तो यह पीनियल ग्लैंड मेलाटोनिन हार्मोन बनाने लगता है, और हमें नींद आती है। मतलब यह हमारे दोनों आंखों से प्रभावित होता है, इसीलिए इसे थर्ड आई कहा जाता है।
अब देखिए यह थर्ड आई काम कैसे करता है, सबसे पहले हमें यह जानना चाहिए, जब हम यह जानेंगे, तभी तो हम इसको सही से इस्तेमाल करना जान पाएंगे, नहीं तो बस भटकते ही रह जाएंगे, तो चलिए जानते हैं….
देखिये ये जो हमारी थर्ड आई है, यह तीन हारमोंस release करती है, और यह हार्मोन बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हैं, इन हार्मोन के वजह से ही लोग यह कहते हैं कि यह पीनियल ग्लैंड हमें संभोग से भी बड़ा आनंद देता है।
देखिए pineal gland जो हार्मोन रिलीज करता है, उनमें है सेरोटोनिन, जिसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है, यह हमें खुश रखता है, इसके वजह से यह में मज़ा मिलता है। मेलाटोनिन, जो हमारे नींद के लिए बहुत ज्यादा आवश्यक है, यह हमारे स्किन पर जाकर काम करता है, और कहा यह भी जाता है, इसके वजह से हमारी स्किन गोरी हो सकती है। जानेंगे पूरी बात, और एक है adrenoglomerulotropin जो कि हमारे एड्रिनल ग्लैंड पर जाकर काम करता है, aldosteron हारमोन रिलीज करने के लिए, चलीये जानते हैं, इन सभी के बारे में…
देखिए हमारे शरीर में एक हार्मोन होता है, वह हार्मोन भी होता है प्लस ही न्यूरोट्रांसमीटर भी होता है, उसका नाम है सेरोटोनिन… सेरोटोनिन का 90% भाग हमारे पाचन तंत्र में बनता होता है, लगभग 8% यह ब्लड के प्लेटलेट्स में बनता है, और एक से 2% यह हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में, यानी हमारे ब्रेन में बनता है, हमारे ब्रेन स्टेम में पाए जाने वाले raphe न्यूक्लियस के अंदर। देखिए यह जो serotonin है, इसी की वजह से हम खुश हो पाते हैं, हमें अच्छा फीलिंग होता है, किसी चीज के लिए हमारा मूड बन पाता है, हम अपने इमोशन को एक्सप्रेस कर पाते हैं…
Tryptophan नाम का एक अमीनो एसिड के सिंथेसाइज से, बहुत ही थोड़े अमाउंट में पीनियल ग्लैंड भी यह सेरोटोनिन हार्मोन या न्यूरोट्रांसमीटर बनाता है, इसीलिए लोग शायद यह कहते हैं कि अगर आप ये पीनियल ग्लैंड को एक्टिवेट कर लोगे, तो आपको संभोग से भी ज्यादा आनंद मिलेगा। अब जाहिर सी बात है सेरोटोनिन की वजह से हमें कोई मज़ा मिलता है, हैप्पीनेस मिलती है। अब ये बात कितनी सच्ची है, यह तो हमें आगे ही पता चलेगा…
हमारा यह जो तीसरी आंख है, इसका सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट काम… सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट, मेलाटोनिन hormone को बनाना हैं, देखिये यह मेलाटोनिन हार्मोन का काम क्या होता है कि यह हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक को मेंटेन करता है। इसी की वजह से हमें नींद आती है।
बायोलॉजिकल क्लॉक मतलब हम कितने बजे सोते हैं और कितने बजे उठते हैं। यह जो हमारा fix टाइमिंग होता है, जिस टाइम पर हमें ऑटोमेटिकली नींद आ जाती है, या automatically जो हम सो कर उठ जाते हैं, यह सब इसी हार्मोन की वजह से होता है।
यह बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हार्मोन है, और यह हार्मोन पीनियल ग्लैंड तब ही बनाता है, जब हमारी आंखों में लाइट बिल्कुल पड़ती ही नहीं है, मतलब जब अंधेरा का टाइम होता है, तब यह एक्टिवेट हो जाता है, और मेलाटोनिन बनाना शुरू कर देता है।
जब अंधेरा होता है तो हमारा हाइपोथैलेमस का एक न्यूक्लियस suprachaismatic nuclie स्टिम्युलेट होकर, हमारे हाइपोथैलेमिक ही एक न्यूक्लियस, परावेंट्रिकुलर न्यूक्लियस को stimulate कर देता है, और फिर यह न्यूक्लियस हमारी गर्दन में मौजूद सुपीरियर सर्वाइकल गैंग लियोन के थ्रू norepinephrine hormones को पीनियल ग्लैंड में लाता है।
और पीनियल ग्लैंड नॉरएपीनेप्रीन हार्मोन के कारण मेलाटोनिन बनाना शुरू कर देता है, और हमें नींद आने लगती है।
और तीसरा है adrenoglomerulotropin hormone जो कि हमारे किडनी के ऊपर मौजूद, adrenal gland को स्टिम्युलेट करके aldosteron hormone बनाता है, जो कि mainly यूरिन के फंक्शन में मदद करता है।
चलो इतना तो हो गया साधारण सी जानकारी हमारे तीसरी आंख के बारे में, लेकिन अब मैं आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं। जिसको जानकर आप बिल्कुल चौक जाओगे, और सच में ही चौक जाओगे, ऐसा नहीं कि मैं बस फालतू में ही ऐसा बोल रहा हूं, सच में ही यह बहुत ही इंपॉर्टेंट बात है…
एक केमिकल है जिसका नाम है, डीएमटी (N,N-Dimethyltryptamine) जिसे एक स्पिरिट मॉलिक्यूल भी कहा जाता है। आप चाहे तो इसके बारे में गूगल पर सर्च कर सकते हैं, माना जाता है कि जो व्यक्ति इस डीएमटी को लेता है, तो वह एक दूसरे ही डायमेंशन में चला जाता है, वह तरह-तरह के रंगों को देख सकता है, वह इस दुनिया से परे पैरानॉर्मल लोगों से बात भी कर सकता है। और कहा ऐसा भी जाता है कि डीएमटी बिल्कुल भी एडिक्टिव नहीं होता है। इसका structure बिल्कुल serotonin से मिलता हैं।
फिलहाल यह chemical इंडिया में बैन है, और इसे एक कंट्रोल्ड drug के class में रखा गया है.
2013 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में चूहों के ऊपर एक प्रयोग किया गया, और यह पाया गया कि चूहों के दिमाग के अंदर जो पीनियल ग्लैंड होता है, उनके अंदर भी थोड़ा बहुत डीएमटी प्रोड्यूस होता है, जब हम बहुत ही गहरी ध्यान की मुद्रा में चले जाते हैं, तब भी हमारे पीनियल ग्लैंड में यानी हम मनुष्य के अंदर डीएमटी रिलीज होने लगता है, और हम किसी दूसरे डायमेंशन में पहुंच जाता है। एक ऐसा डायमेंशन जो इस धरती से परे है, जो सच्चाई है ऐसे ऐसे अनुभव जिसको नॉर्मल स्टेट में कभी अनुभव किया ही नहीं जा सकता है।
पर रुकीये रुकीये है, इतना जल्दी निर्णय भी मत ले लीजिए, साइंटिस्ट का यह मानना है कि केवल पीनियल ग्लैंड में ही नही बल्कि शरीर के बाकी अंगों में भी थोड़ा-थोड़ा डीएमटी प्रोड्यूस होता है। पर पर्याप्त मात्रा में नही, वैसे psychedelic एक्सपीरियंस को अनुभव करने के लिए जैसा कि मैं आपको बता रहा हूं। साइंटिस्ट का मानना है कि बहुत ही थोड़ा सा, नाम मात्र का dmt हमारे शरीर में प्रोड्यूस होता है, पीनियल ग्लैंड और शरीर के बाकी अंगों में भी…