हमारी स्किन 3 लेयर से मिलकर बनी हुई है, यह तीनों लेयर हमें इंफेक्शन से बचाते हैं first line of defence के तौर पर, किसी भी प्रकार की uv rays से बचाते हैं, हीट लॉस होने में या वॉटर लॉस होने नहीं देते है। और हमारे skin की 3 लेयर हमारे शरीर में कौन-कौन सी होती हैं। देखिये हमारी जो skin की सबसे ऊपरी लेयर होती है, वह पतली होती है, इसे एपिडर्मिस कहते हैं। इसके नीचे हमारी स्किन की दूसरी लेयर आती है, जिसे डर्मिस लेयर कहते हैं, जो सबसे ज्यादा मोटी लेयर होती है। और सबसे नीचे हमारी स्किन की हाइपोडर्मिस की लेयर आती है। जिसमें mainly फैट सेल्स होती हैं।
अब देखिए यह जो एपिडर्मिस की लेयर होती है यह भी 5 लेयर से मिलकर बनी होती है, और यही एपिडर्मिस की लेयर हमारे स्किन को कलर देती है। हम काले होंगे या गोरे, चलिए थोड़ा ढंग से जानते हैं…
देखिए यह जो एपिडर्मिस है इसकी जो सबसे नीचे वाली लेयर होती है, जो dermis से जुड़ा रहता है, उसे stratum basale के नाम से जानते हैं। यह single-layer स्क्वैमस एपीठेलियल सेल से बनी हुई होती है, और इस layer में जो जो सेल होती हैं, वह बहुत इंपॉर्टेंट होती हैं, इसमें मेलानोसाइट होता है, जो हमारे स्क्रीन को रंग देता है, काला या गोरा… इसमें मर्केल सेल होती है जिसके वजह से हम किसी स्पर्श को अनुभव कर पाते हैं, यानी टच रिसेप्टर होता है, इसमें keratinocyte और उनके स्टेम सेल भी होते हैं, जिसके वजह से कभी भी पानी हमारे स्क्रीन के अंदर नहीं जाता है। यही keratinocyte यूवी रेज हमें protect भी करता है और हीट लॉस भी नहीं होने देता।
Epidermis की दूसरी लेयर staratum spiniosum होता हैं। जिसमे keratinocyte नीचे वाली लेयर से ही proliferate और differentiate होकर आती हैं। इसमें kiratinocyte desmosomes नाम एक adherent से जुड़े रहते हैं।
एपिडर्मिस की तीसरी लेयर होती है, stratum granulosum, इसमें क्या होता है कि इसमें यही keratinocyte डिफरेंटशिएट होकर ऐसी सेल्स बना लेती हैं। जिसमें ग्रेन्यूल्स होते हैं। इन granules में histadine और cystein नाम के प्रोटीन भरे रहते हैं। जो कि keratine filament को आपस में जुड़े रहते हैं। कोई केराटिन प्रोटीन जो हमारे हेयर में होते हैं और स्किन में भी होते हैं।
एपिडर्मिस की जो चौथी लिया है, वह केवल हमारे palm में और हमारे sole में पाई जाती है। जिसे stratum lucidum के नाम से जानते हैं। इसमें इसी keratinocytes के डेड सेल होते हैं, जो कि ट्रांसलूसेंट होते हैं और इन्हें हम अपने palm में और sole में microscope के जरिए देख भी सकते हैं।
एपिडर्मिस की जो पांचवी ले रहा है जो सबसे ऊपर की layer है, जिसे हम टच कर पाते हैं, उसमें dead सेल होती हैं, keratinocyte की जोकि नीचे से push होते होते ऊपर आने पर 40 से 56 दिनों में डेड सेल्स हो जाती हैं, इस layer को stratum corneum के नाम से भी जानते हैं।
आपको बता दें कि एपिडर्मिस कि इन 5 layer में कोई भी ब्लड सप्लाई नहीं होती है, यह अपने नीचे वाले लेयर dermis से डिफ्यूजन के थ्रू न्यूट्रीशन लेते हैं, क्योंकि उसमें ब्लड सप्लाई होती है।
अब देखिए आप जान गए हैं कि बहुत ही पतली सी एपिडर्मिस के लिए 5 layer से मिलकर बनी हुई होती है। अब जानते हैं जो इसके नीचे वाली लेयर होती है, dermis वह कैसे बनी हुई होती है।
देखिये dermis कि वह ले यार जो बिल्कुल ही हमारे epidermis से लगी हुई होती है, उसमें कुछ ridges बने हुए होते हैं, मतलब कुछ उतार-चढ़ाव जैसी संरचना और आप जानकर आश्चर्य करने वाले हो कि इन्हीं उतार-चढ़ाव की वजह से जो डर्मिस की सबसे ऊपरी लेयर में होती है, यही हमारे हाथों में और पांव में फिंगरप्रिंट का निर्माण भी करते हैं। जो हमें अलग पहचान देती है अलग-अलग जेनेटिक्स के अनुसार इनका पैटर्न भी अलग अलग होता है। dermis की सबसे ऊपरी वाली लेयर लूज कनेक्टिव टिशु से बनी हुई होती है। और इसमें फाइब्रोब्लास्ट होता है, mast cell होते हैं, macrophage होते हैं। इसे Papillary dermis भी कहते हैं। और dermis की जो दूसरी लेयर है जो उसी रेटिकुलर layer के नाम से भी जाना जानते हैं। इसमें डेंस कनेक्टिव टिशु होती है, जिसमें कोलाजन और इलास्टिन होता है। इसी की वजह से हमारी स्किन थोड़ी rigid होने के साथ-साथ थोड़ी इलास्टिक भी होती है। और बुढ़ापे में जो भी रिंकल्स वगैरह पढ़ते हैं झुर्रियां बगैरा वह इसी layer के वजह से ही होता है। इसी dermis लेयर की वजह से…
Dermis layer में ब्लड सप्लाई होती है, टच को और हीट वगैरह को sense करने के लिए nerve सप्लाई भी होती है। ऐसे ऐसे मेकैनोरिसेप्टर्स होते हैं जो इनको डिटेक्ट करते हैं। इनमें से एक sweat gland होते हैं, जो पसीना release करते है। इनमें हमारे हेयर फॉलिकल भी होते हैं, जो हमारे skin पर छोटे-छोटे बाल होते हैं, सेबेशस ग्लैंड होता है जो हमारे स्क्रीन पर ऑयल रिलीज करता है।
अब देखिए हमारे स्किन के लिए सबसे आखरी लेयर होती हैं, जो हमारे muscles से जुड़ी हुई होती है, उसे हाइपोडर्मिस की layer कहते हैं। जो कि fat tissue यानी adipose tissue से मिलकर बनी हुई होती है। जिसे मेनली सुपर fascia की लेयर के नाम से भी हम लोग जानते हैं। मैं आपको बता चुका हूं कि जो fascia का काम होता है, वह हमारे मसल को मसल से जोड़ने के लिए ऑर्गन को मसल से जोड़ने के लिए skin को muscle से जोड़ने का काम भी fascia का होता है। जो कि कनेक्टिव टिशु होती है। hypodermis में कनेक्टिव टिशु अदीपोज टिशु और कुछ इम्यून सेल्स होते हैं। जो इसकी रक्षा करते हैं। इसी layer की वजह से ही heat कभी भी हमारे शरीर से एक्सेस अमाउंट में बाहर नहीं निकलता है और हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है।