थाइमस कैसे काम करता हैं – how thymus works in hindi

हमारे शरीर का एक ऐसा अंग, जो तब तक बड़ा होता जाता है, जब तक हम अपने प्यूबर्टी पर न पहुंच जाए, यानी जब तक हम पूरी तरीके से वयस्क ना हो जाए और जब हम वयस्क हो जाते हैं, उसके बाद यह अंग धीरे-धीरे साइज में छोटा होने लगता है। और 75 साल की उम्र आने तक तो यह केवल एक धागा बनकर ही रह जाता है, बिल्कुल कमाल की होने वाली है, यह आज की वीडियो, बहुत ही छोटे से वीडियो में बहुत ज्यादा कुछ जान ने को मिल जाएगा आपको।

आज मैं आपको हमारे शरीर के अंदर एक बहुत ही रहस्यमई अंग के बारे में बताने जा रहा हूं, तो बिना किसी देरी के चलिए यह वीडियो शुरू करते हैं। और अगर आपको यह वीडियो अच्छा लगेगा तो बिना लाइक किए तो इस वीडियो को आप, जाइएगा मत….

देखें जब बच्चा अपने मां के गर्भ में होता है, तब आठवें हफ़्ते में वह रहस्यमई अंग डिवेलप होना शुरू हो जाता है, मां के गर्भ में ही…

यह हम मनुष्य के अंदर एक मात्र ऐसा अंग है, जो जन्म लेने से पहले ही पूरी तरीके से अपनी शेप में आ जाता है, उस रहस्यमई अंग का नाम है, थाइमस। थायमस एक लिंफाइड ऑर्गन है, जिसका काम हमारे शरीर में इम्यूनिटी के लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है, बहुत ही ज्यादा और साथ ही साथ ये एक ग्लैंड भी है, जो हार्मोन रिलीज करता है।

देखिये जैसे ही एक बच्चा पैदा होता है तो, वह एक well shaped परिपक्व थायमस ग्लैंड के साथ पैदा होता है, उस समय इस thymus का वजन 10 से 15 ग्राम तक होता है, लेकिन यह बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, 18 साल से 21 साल तक का, वैसे ही यह थायमस ग्लैंड अपने फुल maturity में आ जाता है, और लगभग 40 से 45 ग्राम तक वजन में हो जाता है।

लिवर कैसे काम करता हैं – how liver works in hindi

थायमस ग्लैंड एक bilobed ऑर्गन है, यानी इसमें 2 लोब होते हैं, यह बिल्कुल हमारे फेफड़ों के बीच में, हमारे पसलियों को जोड़ने वाली हड्डी sternum के पीछे और बिल्कुल जहां पर गला खत्म होता है, ठीक वहीं पर स्थित होता है। यह थोड़ा पिंकिश ग्रे रंग का होता है, और उसके ऊपर उभरे हुए lobules होते हैं।

जब हम इस थायमस ग्लैंड को काट के देखेंगे, तो हम पाएंगे कि यह कुछ भागो में बटा हुआ है, जिसे trabaculae कहते हैं और इसी trabaculae में इसके बीच के भाग को medulla कहते हैं और उसके पेरिफेरल वाले भाग को कॉर्टेक्स कहते हैं। देखिये अब यही से जाना शुरु करते हैं कि हमारा यह थायमस ग्लैंड हमारे इम्यूनिटी में बहुत और बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल play कैसे करता है।

देखिये हमारे इम्युनिटी के लिए एक बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट सेल होता है, टी सेल… जो किसी भी वायरस से या बैक्टीरिया से एंटीजन को लेकर हमारे b cell को एक्टिवेट करता है। और b lymphocyte cell इन सभी बैक्टीरिया और वायरस इसको मार कर हमारे शरीर को इन invader से बचाता है।

और हमारे शरीर में यह टी सेल जिसे टी लिंफोसाइट भी कहते हैं, उसका मैचुरेशन इसी थायमस ग्लैंड में ही होता है। देखिये सबसे पहले तो इस टी सेल का अर्ली फॉर्म डिवेलप होता है हमारे हड्डियों के अंदर जो बोन मैरो होता है, उसमें… यह बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट पार्ट है हमारे शरीर के लिए. फिर वहां से जब इस टी सेल का अली फॉर्म जिसे progenitor cells कहते हैं, ब्लड स्ट्रीम से होते हुए हमारे थायमस ग्लैंड में आता है, तब वहां पर इसका मैचुरेशन शुरू होता है।

बोन मैरो से आएं ये इमैच्योर टी सेल जैसे ही thymus में आते हैं, thymus इन्हें mature करने के लिए कुछ हारमोंस के जरिए, इन इमेच्योर टी सेल को सिग्नल देता है कि अपने ऊपर रिसेप्टर डिवेलप करें।

जो टी सेल रिसेप्टर डिवेलप नहीं कर पाते हैं या जो मेच्योर टी सेल रिसेप्टर स्पेसिफिक प्रोटीन के साथ bind होने की capability नही रखते, उन्हें थायमस एलिमिनेट कर देता है। उसके बाद जो बचे हुए टी सेल होते हैं, वह हमारे शरीर में ही हमारे हेल्थी सेल को टारगेट करने लगते हैं। जिससे हमें ऑटोइम्यून की बीमारी भी हो सकती है। ऐसे सेल को भी थायमस धीरे-धीरे एलिमिनेट करना शुरू करता है। और बाकी जो मैच्योर टी सेल होते हैं, उन्हें ही हमारे ब्लड स्ट्रीम में रिलीज कर दिया जाता है।

और अब यह मैच्योरिटी सेल हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार हैं। इनफैक्ट जितने भी t cell thymus में मैच्योर होने को आते हैं, उनमें से केवल एक परसेंट ही ब्लड stream में रिलीज किए जाते हैं।

देखिए मैंने आपको बताया कि यह थायमस ग्लैंड एक नवजात बच्चे से लेकर हमारे प्यूबर्टी तक डिवेलप होता है, तब तक बच्चों और किशोरावस्था वाले लोगों में इम्यूनिटी बहुत ही मजबूत रहती है। उदाहरण के लिए इस कोरोनावायरस को ही देख लीजिए, इसमें आपको छोटे बच्चे या किशोरावस्था वाले लोग कम प्रभावित होते हुए दिखेंगे।

क्योंकि इन एज ग्रुप वाले लोगों के अंदर थायमस ग्लैंड अपने peak पर होता है। वही जैसे जैसे व्यक्ति का उम्र बढ़ता जाता है, वैसे वैसे शरीर में इन टी सेल की जरूरत नहीं होती है। इसलिए थायमस ग्लैंड puberty के बाद धीरे-धीरे डिक्रीज होना शुरू कर देता है। और 75 साल के आने तक तो यह केवल एक fat की लेयर बन के रह जाता है। एक धागा से बनकर रह जाता है, यह thymus galnd

इसीलिए तो छोटे बच्चे और किशोर लोगों पर वायरस और बैक्टीरिया का खतरा रिलेटिवली कम रहता है।

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