थाइराइड कैसे काम करता है – how thyroid works in hindi

आज मैं आपको हमारे शरीर के अंदर एक ऐसे अंग के बारे में बताने जा रहा हूं, जिसे हमारे शरीर का सेकंड बॉस कहें, तो कोई गलत नहीं होगा। हमें भूख लगेगी या नहीं, हमारा भोजन कैसे पचेगा, कितने जल्दी पचेगा, फूड का ब्रेकडाउन कैसे होगा, उसका अब्जॉर्प्शन कैसे होगा, हमारे फेफड़े सांस कैसे लेंगे और हमारे दिल की धड़कन। ये सब कुछ वो स्पेशल बॉडी ऑर्गन ही कंट्रोल करता है। और उसका नाम अब कई बार सुने होंगे, इतनी बार कि आप भी यह बात सुनकर बिल्कुल पक गए होंगे, लेकिन आपको उसके महत्व के बारे में शायद पता नहीं होगा।

लेकिन आज इस post में मैं आपको उस विशेष अंग के बारे में पूरी जानकारी दे दूंगा।

उस विशेष अंग का नाम है, थायराइड जो कि हमारे शरीर में भी मेटाबॉलिक एक्टिविटी को कंट्रोल करता है।

थायराइड हमारे गले में बिल्कुल हमारे नेक के बेस में स्थित होता है, हमारा जो ऐडम्स एप्पल होता है, जो ये निकला हुआ सा हिस्सा, उसके नीचे होता है। और यह विंड पाइप के आगे होता है।

थाइमस कैसे काम करता हैं

थायराइड ग्लैंड बटरफ्लाई शेप का ग्लैंड होता है। जिसमें 2 लोब होते हैं, हर एक लोब, 5 सेंटीमीटर लंबा और 3 सेंटीमीटर चौड़ा हो सकता है। और थिकनेस में यह मात्र 1.5 सेंटीमीटर ही थिक होता है। इसका रंग brownish red होता है और इसमें बहुत सारी ब्लड कैपिलरीज होती हैं। क्योंकि यह एक एंडोक्राइन ग्लैंड होता है यानी यह अपने हार्मोन को ब्लड के थ्रू सीक्रेट करता है।

वजन की बात करें, तो यह एज पर बहुत हद तक डिपेंड करता है। पर फिर भी इसका वजन ज्यादा से ज्यादा 18 से 20 ग्राम ही हो सकता है। जरा सोचो इतना हल्का सा एक ऑर्गन हमारे पूरे बॉडी को control करता है।

जब हम इस थायराइड ग्लैंड के अंदर जाकर देखेंगे यानी जब हम इसे माइक्रोस्कोपिक व्यू पर जाकर देखेंगे, तो हम पाएंगे कि यह बना है कई सारे hollow स्ट्रक्चर से बना हैं, जिसे फॉलिकल्स कहते हैं। और इन फॉलिकल्स के अंदर एक स्टिकी मटेरियल भरा रहता है। जिससे collide कहते हैं। इसी फॉलिकल्स के चारों ओर कुछ सेल्स होती हैं जिन्हें follicular cells कहते हैं। यही फॉलिकल्स थायराइड के मेन हार्मोन को बनाते हैं। जो बॉडी के मेटाबॉलिक एक्टिविटी को कंट्रोल करते हैं।

यह सारे फॉलिकल्स कनेक्टिव टिशु से जुड़े रहता है, और इन्हीं फॉलिकल्स के बीच में एक और सेल पाई जाती है, जिससे पैराफॉलिकुलर सेल करते हैं। यही वह पैराफॉलिकुलर सेल है जो कैल्सीटोनिन नाम के हार्मोन को बनाती है, जो हमारे शरीर में कैल्शियम के स्टोरेज के लिए बहुत जरूरी है। और बीच-बीच में इन्हीं follicles के ब्लड वेसल्स भी होती हैं। जहां पर ये अपने हार्मोन को सीक्रेट करते हैं।

चलिए जानते हैं कि थायराइड अपने मेन हार्मोन बनाता कैसे है।

देखिए जब हम कोई भोजन खाते हैं। तब जब भोजन का पाचन हो जाता है, वहां से आयोडीन की मॉलिक्यूल ब्लड stream से होते हुए थायराइड के इन फॉलिकल मैं आ जाते हैं। जहां पर पहले से ही थायराइड tyrosine नाम के अमीनो एसिड को बनाए रखता है। एक बहुत ही कंपलेक्स प्रोसेस के बाद जब आयोडीन के तीन मॉलिक्यूल इस tyrosine के दो मलीकुल से जुड़ जाते हैं, तो यह थायराइड का पहला सबसे इंपोर्टेंट hormone का निर्माण करते हैं, जिसे Triiodothyronine के नाम से भी जानते हैं।

और जब आयोडीन के चार मॉलिक्यूल इन फॉलिकल में पहले से ही मौजूद tyrosine के 2 मुल्कों से जुड़ जाता है, तो यह थायराइड के दूसरे सबसे इंपॉर्टेंट hormone t4 का निर्माण करते हैं। जिसे thyroxine के नाम से भी जानते हैं।

एक बार थायराइड अपने ये दो हार्मोन T3 और t4 रिलीज कर देता है, उसके बाद यह हार्मोन ब्लड स्ट्रीम के जरिए, हमारे शरीर के एक एक सेल में जाने लगता है। देखें जब t4 हार्मोन हमारे सेल के अंदर जाता है, तो वह भी t3 में ही कन्वर्ट हो जाता है, और अपना एक्शन स्टार्ट करता है।

जैसे ही यह थायराइड के हार्मोन हमारे सेल में पहुंचते हैं, यह हमारे सेल में ग्लूकोस के ऑक्सीडेशन को रेगुलेट करना शुरू करते हैं, ये glucose के oxidisation से हमारे शरीर में बॉडी हीट और केमिकल एनर्जी बनती है। जिससे हमारा पूरा का पूरा शरीर चलता है, सेल में पहुंचते ही यह थायराइड के hormone प्रोटीन का सिंथेसिस करना शुरू करते हैं, और लिपिड्स को लिपॉलिसिस करना शुरू कर देतें है, यानी उन्हें ब्रेकडाउन करना शुरू करते हैं।

और इन हार्मोन का सबसे महत्वपूर्ण काम हमारे सेक्सुअल लाइफ में बहुत ही इंपॉर्टेंट होता है, क्योंकि यह हमारे रिप्रोडक्टिव tissue को grow करने में मदद करते हैं, साथ ही साथ हमारे नर्वस टिशु को भी ग्रो करवाने में मदद करते हैं।

इस तरह से शरीर के बहुत ही बेसिक बेसिक मेटाबॉलिक एक्टिविटी को कंट्रोल करके, यह हमारे शरीर में फूट के डाइजेशन से लेकर रेस्पिरेटरी सिस्टम और हार्ट तक को भी कंट्रोल करता है।

यह तो हुआ थायराइड के मेन हार्मोन के बारे में, आप जानते हैं थायराइड के एक और बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट हार्मोन, जोकि थायराइड का पैराफॉलिकुलर cell रिलीज करता है, कैल्सीटोनिन…

देखिए थायराइड के पैराफॉलिकुलर सेल में यह कैल्सीटोनिन हार्मोन स्टोर रहता है, जब शरीर में हमारे ब्लड में कैल्शियम की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो यह कैल्सीटोनिन हार्मोन, थायराइड रिलीज करता है, और यह कैल्सीटोनिन हार्मोन क्या करता है.. हमारे शरीर में एक्सेसिव कैल्शियम को हमारे बोन में जाकर स्टोर करवा देता है। ज़रूरत पड़ने पर parathyroid gland के हॉर्मोन इसे ब्लड में increase कर देता हैं।

आप कभी न कभी किसी व्यक्ति को घेंघा रोग से पीड़ित तो देखे ही होंगे। जिस में व्यक्ति का गला बहुत बुरी तरीके से फूल जाता है, यह बीमारी भी थायराइड की बीमारी होती है, जिसमें थायराइड पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है, इसीलिए लोग कहते हैं कि आयोडीन संतुलित मात्रा में खाइए, इतना कि जितना शरीर को जरूरत है नहीं तो घेंघा रोग हो जाएगा…

ठीक उसी तरह जब थायराइड हार्मोन बहुत ज्यादा शरीर में बढ़ने लगता है, तो इसे हाइपर थायराइड की बीमारी कहते हैं। इसमें शरीर का मेटाबॉलिज्म बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जो कोई तरीके की बीमारी लाता है, जैसे ऑटोइम्यून डिजीज…

तो अब आप आयोडीन का महत्व समझ गए होंगे और उसके ज्यादा और कम खाने से भी क्या नुकसान है, वह भी समझ गए होंगे, इस थायराइड ग्लैंड के फंक्शंस के बारे में जानकर…

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