क्या आप ये जानते हैं कि हमारा पित्त जिसे इंग्लिश में bile कहते हैं, यह कैसे बनता है, आपने आयुर्वेद में और किसी भी नेचुरोपैथी में यह बात बार-बार सुना होगा कि जब किसी का पित्त गड़बड़ होता है, तो बहुत सारी बीमारी आ जाती है। इसीलिए इस पित्त word की poplarity के कारण हमें यह जानना ही पड़ेगा कि आखिर यह पित्त जिसे bile कहते हैं, इसका निर्माण हमारे शरीर में होता कैसे हैं और इसका काम क्या है???
पित्त यानी बाईलजूस हमारे शरीर में एक yellowish ग्रीन कलर का fluid है। जिसका काम mainly हमारे शरीर में जो हम घी तेल खाते हैं, उनका पाचन करना होता है, और यह जो पित्तरस है, यह mainly बने होते हैं वाटर, बाइल एसिड, bilirubin कोलेस्ट्रॉल, phospholipids इलेक्ट्रोलाइट्स, xenobiotics जैसी चीजों से…. मुझे पता है यह सब चीज है सुनकर आप कंफ्यूज हो गए होंगे, लेकिन एक एक करके जब मैं आपको इन सब के बारे में बताऊंगा, तो आपका सभी कन्फ्यूजन पूरी तरीके से दूर हो जाएगा और आप यह जान जाओगे कि हमारे शरीर में पित्त का निर्माण होता कैसे है।
देखिए शुरुआत करूंगा मैं इस टॉपिक का, आपको यह बताकर कि lipids क्या होते हैं, देखिए जो तेल घी वगैरह हम खाते हैं, उसे बायलॉजी की भाषा में दरअसल lipids कहते हैं। ये एक बहुत ही broad term है। समझने के लिए आप क्या कीजिए, आप ये जानिए कि जो तेल घी वगैरह हम खाते हैं, वह lipids ही है। इस पर मैंने वीडियो बना रखा है। आप देख सकते हैं वो वीडियो, जब हम घी तेल वगैरह खाते हैं, तो यह digest होकर हमारे शरीर में फैटी एसिड और glycerol के रूप में ब्लड में circulate होते हैं।
और जब यही फैटी एसिड हमारे सेल के साइटोप्लाज्म में आता है, तो इसमें विभिन्न एंजाइम के क्रिया के कारण से कोलेस्ट्रॉल में बदल जाता है। और ये कोलेस्ट्रॉल बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है, हमारे शरीर में bile यानी पित्त के निर्माण में.. अब देखिये होता क्या है, सबसे इंपोर्टेंट पार्ट हमारे बाईल जूस का, जोकि bile एसिड होता है, इसमें यह कोलेस्ट्रॉल बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट रोलप्ले करता है। बल्कि यही कोलेस्ट्रोल ही बाइल एसिड में कन्वर्ट होता है। अब यह कैसे होता है, यह एक बहुत ही लॉन्ग प्रोसेस है, जो कि बायोकेमिस्ट्री का हिस्सा है. इसमें बहुत सारे एंजाइम और केमिकल रिएक्शन होते हैं। मुझे लगता है कि यह जानना अभी इस वीडियो में जरूरी नहीं है।
देखिए जैसे ही यह कोलेस्ट्रॉल ब्लड के थ्रू हमारे लिवर में पहुंचता है। लिवर में बहुत सारी क्रियाएं होती हैं इस cholesterol के साथ, बहुत सारे enzyme की क्रिया होती हैं। जैसे सबसे पहले इसी कोलेस्ट्रॉल पर 7 alpha hydroxylase एंजाइम एक्ट करता है। जिसके बाद बने प्रोडक्ट पर और भी बहुत सारी chemical reaction होती हैं। और लास्ट में यही कोलेस्ट्रॉल दो एसिड में बदल जाता है। cholic acid और chenodeoxycholic acid में। और यह जो दो एसिड बने हैं कोलेस्ट्रॉल से liver के अंदर यही बाइल एसिड कहलाते हैं।
देखिये इसी लिवर के अंदर अब क्या होता है कि यह जो दो बाइल एसिड बने हैं, cholic acid और chenodeoxycholic acid यह संपर्क में आ जाते हैं, दो प्रोटीन से glycine और taurine के जब यह cholic acid glycine के संपर्क में आता है, तो यह बन जाता है, glycocholic acid और जब ये cholic acid taurine के संपर्क में आता है तो taurocholic acid बन जाता हैं। और cholic acid का यह दो cojugation कंबाइंडली कहलाता है, deoxycholic acid।
यह तो हुआ cholic acid का conjugation अब अगर यही chenodeoxycholic acid का conjugation इन दो प्रोटीन taurine और glycine के साथ होता है, तो glycine के साथ मिलने पर यह glycochenodeoxycholic acid बनाता है. और taurine के साथ में मिलने पर ये taurochenodeoxycholic acid में बदल जाता है. दोनों conjugation chenodeoxycholic acid का lithocholic acid कहलाते है।
यह चारों conjugation दरअसल bile salt कहलाते हैं। मतलब बाइल एसिड के साथ जब यह प्रोटीन का cojugation हो जाता है, तो यह बाइल साल्ट बन जाते हैं। अब मुझे लगता है कि आप बाइल एसिड और bile salt के कांसेप्ट को समझ गए होंगे, जो कि bile juice के composition में water के बाद सबसे अधिक होता है।
अब जान लेते हैं कि हमारे इस पित्त में बिलीरुबिन कहां से आता है, और यह बिलीरुबिन आखिर होता क्या है। देखिए हम सबको पता है कि हमारे खून में एक बहुत ही इंपॉर्टेंट सेल है, जिसे रेड ब्लड सेल कहते हैं। यह रेड ब्लड सेल की लाइफ 120 दिन की होती है। 120 दिन के बाद जब यही dead rbc हमारे spleen में पहुंचता है, तो spleen में पहुंचने के बाद इनका कैटाबॉलिज्म शुरू हो जाता है, rbc में मौजूद hemoglobin bilirubin बनाने में मदद करता है। यह दो पार्ट में टूट जाते हैं heme और globin.
यह ग्लोबिन प्रोटीन दोबारा से ब्लड में circulate हो कर, reuse हो जाता है, और यह heme, heme oxygenase enzyme के कारण biliverdin में कन्वर्ट हो जाता हैं। और यही biliverdine biliverdin reductase की वजह से bilirubin में convert हो जाता हैं।
फिर यही बिलीरुबिन blood आकर blood प्रोटीन albumin के साथ bind होकर ब्लड से होते हुए हमारे लिवर में पहुंचता है। जहां पर albumin bilirubin unbind होकर हमारे हैपेटॉसाइट्स में पहुंचकर बाइल जूस में जाकर मिल जाता है।
इसके अलावा हमारे bile juice में कुछ xenobiotic होते हैं जो कि हमारे शरीर में फॉरेन substances होते हैं, जैसे pestisides drugs pollutants वगैरह जो हम voluntarily या involuntarily consume कर लेते है।
इसी बाईलजूस में कुछ मॉलिक्यूल कोलेस्ट्रॉल के भी आ जाते हैं, हमारे लिवर से ही जो कि बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं हमारे लिपिड्स के डाइजेशन में। ठीक इसी तरह हमारे लीवर के hepatocytes हमारे bile में बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल प्ले करने वाले फास्फोलिपिड्स को भी रिलीज करती है। इसमें फास्फोलिपिड lecithine के form में रिलीज किया जाता है, लीवर के हैपेटॉसाइट्स के द्वारा…
एक बार bile juice बन गया, तो यह लिवर से secret होते हमारे गॉलब्लैडर में store हो जाता है। जहां पर gallbladder इस पित्त यानी bile से थोड़ा वाटर absorb कर लेता है, जिससे bile का concentration थोड़ा बढ़ जाता है।
एक बार हम फूड खा लेते हैं और हमारा फूड जैसे ही स्मॉल इंटेस्टाइन के duodenum में आता है। एक hormone Cholecystokinin गॉलब्लेडर को सिग्नल देता है, इस bile को रिलीज करने के लिए…
देखिये हर दिन हमारी बॉडी लगभग 400 से 500 ml पित्त यानी bile का निर्माण करती है। एक बार पित्त अपना काम कर ले स्मॉल इंटेस्टाइन में, उसके बाद 95% bile दोबारा से हमारे लिवर में enterohepatic circulation के through absorb हो जाता है।