हवा में फैलने वाले प्रदूषण के particles को देखें तो आप देते हो कि इसका जो size है वह 10 माइक्रोमीटर का, उससे छोटा होता है हमारे शरीर में रेड ब्लड सेल्स जोकि होते हैं लगभग 7 माइक्रोमीटर का, जब हम और बारीक में जाएंगे तो हम पाते हैं कि जो बैक्टीरिया होता है वह होता है 0.5 माइक्रोमीटर का यानी pm10 के पोलूशन पार्टिकल्स 20 गुना छोटा और जब हम आते हैं वायरस पर तो वायरस होता है 0.1 माइक्रोमीटर का यानी पीएम 10 पोलूशन पार्टिकल से 100 गुना ज्यादा छोटा इतना छोटा होता है वायरस।
वायरस क्या होता है एक ऐसा लिविंग या नॉन लिविंग ऑर्गेनाइज्म जो जीवित व्यक्ति के संपर्क में आने पर जिंदा हो जाता है और मृत चीजों के संपर्क में आने पर ऑटोमेटेकली ही वह निष्क्रिय हो जाता है। ये इतना छोटा होता है कि एक बैक्टीरिया के ऊपर भी वायरस हो सकता है।
और ये बैक्टीरिया क्या होता है, बैक्टीरिया भी एक pathogen है जो शरीर में पहुंचकर बीमार करता है। बस इसमें यह होता है कि इसे एंटीबायोटिक द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है या इसे खत्म भी किया जा सकता है। पर यह वायरस से बड़े होते हैं और यह भी कोशिकाओं को डैमेज करते हैं।
अब आप जो यह सुन रहे हैं फंगस इंफेक्शन, यह fungus या fungi आखिर यह क्या होता है। आजकल चल रहा है ना corona से ब्लैक फंगस वाइट fungus, आखिर ये फंगस क्या है चलिए आपको आसान से आसान शब्दों में पहले आपको बताते हैं..
देखिए आपको कभी न कभी दाद खाज खुजली होती है ना स्किन पर जेनिटल्स के आसपास या फिर स्किन पर कहीं भी। यह जो आप डार्क या लाल रंग में जो सर्कल दिख रहे हैं जिसे रिंगवॉर्म भी कहते हैं यह वह फंगस इंफेक्शन ही है, स्किन पर. यह जो आप उभरा उभरा पार्ट देख रहे हैं ये फंगस इंफेक्शन ही है जो स्किन पर लग गया है। अब चलिए आपको ढंग से समझाते हैं।
जैसे प्लांट होता है ना वैसे भी यह उस फंगी भी होता है, इन्हें हिंदी में कवक कहते हैं या फफूंद कहते हैं। देखिए यह प्लांट की तरह ही होता है लेकिन इनमें क्लोरोफिल नहीं होता है। वहीं हरे रंग का केमिकल जो पौधों में हरे रंग को लाता है। यह उस जगह पर जल्दी ग्रो करता है जो जगह थोड़ी moist हो और थोड़ी वार्म हो। यह छोटे भी हो सकते हैं और बड़े भी हो सकते हैं, जो बड़े आकार के fungus हैं वो मशरूम होते हैं। और जो छोटे आकार के fungus होते हैं वह मोल्ड और yeast के फॉर्म में होते हैं। जो ब्रेड में लगकर ब्रेड को खराब कर देते हैं या किसी चादर को अगर बहुत दिन तक नहीं धोते है तो ये fungus चादर पर भी लग जाते हैं।
यह फंगस कहीं भी grow कर सकते हैं। ह्यूमन के स्किन पर, किसी भी जीव के स्किन पर, किसी प्लांट के तने पर किसी पेड़ के तने पर या कहीं भी किसी नमी वाले तकिए के ऊपर चादर के ऊपर कहीं पर भी। और जब यह फंगस ह्यूमन के स्किन या शरीर के अंदर कहीं भी बहुत ज्यादा ग्रो करने लगते हैं तो यह एक बीमारी का रूप ले लेते हैं और यह बहुत ही घातक बीमारी भी बन जाते हैं कई कई बार तो।
तो इंफेक्शन होता क्या है, इंफेक्शन होता है किसी बाहरी जीव का हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर जाना। इसी तरह जब यह फंगस हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है स्किन पर या शरीर के अंदर तो उसे फंगस इंफेक्शन कहते हैं, देखिए इंफेक्शन होता कैसे है…
यह फंगस मान लीजिए किसी प्लांट पर या कहीं किसी गोबर या किसी एनिमल dung के ऊपर रहते हैं। मिट्टी में भी इनकी संख्या बहुत ज्यादा होती है। जब आप ऐसे ही किसी जगह पर जाते हो तो यह आपके शरीर में by air प्रवेश कर जाते हैं, या शरीर में कहीं पर भी चिपक जाते हैं। उसके बाद जैसे ही ये आपके स्किन में आते हैं वैसे ही स्किन के पास कहीं भी एक pore ढूंढ लेते हैं, स्किन के अंदर। जहां से वह अपनी जड़ों को या अपने पोषण लेने वाले hyfae जैसे स्ट्रक्चर को स्किन के अंदर पेनिट्रेट करने लगते हैं। जिसके बाद से ये स्किन के अंदर से ही पोषण लेना शुरू कर देते हैं और वहां पर grow करना शुरू कर देते हैं।
जैसे ही ये शरीर के अंदर ग्रो करते हैं यह एक खास प्रकार के प्रोटीन को रिलीज करने लगते हैं। जिससे शरीर को यह पता चलता है कि स्किन के इस भाग पर फंगस का इंफेक्शन हो गया है और शरीर उस स्पेशल टिशु या उस स्पेशल सेल को जहां पर यह फंगस ग्रो कर रहा है उस सेल में ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन की सप्लाई को ही बंद कर देता है। जिससे वह सेल मर जाती है और उस सेल के मरने के साथ ही fungus ग्रो करना बंद कर देता है।
लेकिन अगर किसी कारण से इम्यून सिस्टम इस फंगस इंफेक्शन को रोक पाने में असक्षम होता है तो यह बहुत ज्यादा फैल जाते हैं और एक जगह इकट्ठा होकर बहुत ही बुरी बीमारी भी कर सकते हैं। अगर इस शरीर के अंदर ग्रो करने लगे और इन्हें रोका नहीं गया तो यह बहुत ही बुरी तरीके से आसपास की टिशू को डैमेज कर देते हैं। जिसकी वजह से पर्टिकुलर ऑर्गन टिशु काम करना भी बंद कर देता है।
लेकिन हमारी इम्यून सिस्टम इस फंगस से लड़ पाने में पूरी तरीके से सक्षम है। और अधिकतम केस में इंटरनल बॉडी के अंदर में इस फंगल इन्फेक्शन को रोकने में बॉडी सक्षम है। यह केवल उन्हीं लोगों को बॉडी के इंटरनली इनफेक्ट करती है जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत ही ज्यादा वीक हो जाता है। जैसे आजकल corona कि ट्रीटमेंट लेने में इतना ज्यादा स्टेरॉइड लेना पड़ रहा है जिसके कारण से इम्यून सिस्टम naturally काम ही नहीं कर पा रही है और लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर हो जा रहा है। जिसके कारण से mucormyosis वाले फंगस शरीर के अंदर ही ग्रो करने लग रहे हैं।
अब आप को ध्यान होगा कि कई लोगों को दाद खाज खुजली जैसे समस्या भी होती है स्किन के ऊपर, ये भी fungus ही होता है। देखिए अगर आपको इससे बचना है तो आपको अपने skin को हमेशा dry रखना है। कभी भी skin को moist या नमी में बहुत देर तक नही रखना है। चाहे वह बहुत ज्यादा पसीने से या नहाने के बाद गिले रह कर। अगर आपकी स्किन में नमी होगी और थोड़ा गर्माहट हुई तो वहां पर फंगस grow कर सकते हैं। तो उम्मीद करता हु आपको सब कुछ समझ मे आ गया होगा।