बुखार में शरीर गर्म कैसे हो जाता है

आज से लगभग 4 साल पहले मैंने आपको एक वीडियो में यह बताया था कि हमें बुखार होता कैसे है। बहुत ही छोटे से वीडियो में बहुत ही प्रभावी तरीके से मैंने आपको यह बात बताया था। आज इस वीडियो में आपको यह बता देते हैं कि आखिर हमारे शरीर में बुखार के समय तापमान बढ़ कैसे जाता है। चलिए जानते हैं।

देखिए जैसा कि हम सब जानते हैं कि जब भी हमारे शरीर में कोई pathogen घूसता है, कोई भी bacteria या virus तो हमारा शरीर इसे एक threat की तरह समझता है। और तुरंत ही अपने इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट करके इन्हें मारने का प्रयास करना शुरू कर देता है। देखिये होता यह है कि जैसे ही बैक्टीरिया या वायरस शरीर में आया इसे हमारे इम्यून सेल्स डिटेक्ट कर लेते हैं।

इम्यून सेल्स इसे कैसे डिटेक्ट कर लेते हैं। देखिए शरीर में घुसते ही यह pathogen पायरोजन नाम के substance को रिलीज करने लगते हैं। जिसके बाद से इम्यून सेल्स इन बैक्टीरिया या pathogen के ऊपर धावा बोलना शुरू कर देते हैं। और जब यह इम्यून सेल्स जैसे मैक्रोफेज डेंड्रिटिक सेल्स mast सेल्स इन pathogen को मारते रहते हैं।

तब उस समय यह इम्यून सेल साइटोकींस नाम के एक प्रोटीन को रिलीज करते रहते हैं। जिनमें interleukins और tnf-alpha जैसे साइटोकींस होते हैं। जो सिग्नल देते हैं कि इस infection वाले स्थान पर और ज्यादा इम्यून सेल्स आए और इनफेक्शंस को मारे। साथ ही साथ यह cytokines ब्लड में ट्रेवल भी करते रहते हैं। ब्लड में ट्रैवल करते करते यह cox-2 नाम के प्रोटीन को भी एक्टिवेट कर देते है।

यह cox-2 क्या करता है, यह हमारे ब्लड में ही circulate होने वाले arachidonic acid को प्रोस्टाग्लैंडइन में कन्वर्ट कर देता है। और यह प्रोस्टाग्लैंडइन हमारे दिमाग के हाइपोथैलेमिक में जाता है और वहां पर जब हाइपोथैलेमस इसे डिटेक्ट करता है, तो उसे ये सिग्नल मिलता है कि हमारे शरीर के तापमान को बढ़ाओ जिससे हमारे शरीर में जितने भी pathogen है वह शरीर की गर्मी से ही मर जाए। वह आगे अपनी संख्या बढ़ा कर हमारे शरीर को बीमार ना कर सके।

और हमारे शरीर का तापमान हाइपोथैलेमस कैसे बढाता है। हाइपोथैलेमस शरीर का तापमान हमारे शरीर में shievering यानी कपकपी पैदा करके और हमारे ब्लड वेसल्स को constrict करके हमारे शरीर का तापमान बढ़ाता है। दरअसल जैसे ही pathogen हमारे शरीर में घुसेगा हमारा मेटाबॉलिक रेट भी बढ़ जाता है, यानी सेल के अंदर जो क्रियाएं होती है वह भी बहुत तेजी से बढ़ जाती हैं। कम से कम 10 परसेंट ज्यादा। इसीलिये शरीर के तापमान में वृद्धि होने लगती है।

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