मृत्यु का अनुभव कैसा होता हैं – near death experience in hindi

near death experience in hindi – इस संसार में अगर कोई ऐसी चीज है जिससे मनुष्य सबसे ज्यादा डरता है, तो वह है अनिश्चितता,

यानी कुछ भी अचानक से हो जाने वाली अप्रिय घटना या फिर जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते हो.

अनिश्चितता और जिसके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते हैं वह है मौत में.

मौत के आने का समय निश्चित नहीं होता है और इसमें कैसा अनुभव होता है यह भी हमें पता नहीं है.

मतलब हम कह सकते हैं कि मौत उन घटनाओं में से है

जिससे हम मनुष्य सबसे ज्यादा डरते हैं. बल्कि इसके बारे में बात करने से भी डरते हैं.

लेकिन आज हम यहां मौत से संबंधित विषयों पर बात करेंगे

और आज हम बात करेंगे कि मौत के वक्त एक मनुष्य को कैसा अनुभव होता है.

उसे कैसी फीलिंग होती है. आखिर मनुष्य उस समय किस तरह के विचारों में चला जाता है.

उस समय हमें कोई एंजल दिखते हैं या कुछ और चलिए जानते हैं इसके बारे में…

लेकिन इसके बारे में जानने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि

यह बातें एक वैज्ञानिक रिसर्च पर आधारित है और यह भी आपको बताते चलें कि

विज्ञान भी अभी पूरी तरीके से मौत के समय होने वाले अनुभव को (near death experience in hindi)

पूरी तरीके से एक्सप्लेन नहीं कर सकता.

क्योंकि यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक मरता हुआ व्यक्ति इसके अनुभव के बारे में नहीं बता सकता.

तो प्रश्न उठता है कि एक रिसर्च ने किसी व्यक्ति के मरते हुए अनुभव को कैसे जान लिया

और कैसे अपने स्टडी को प्रस्तुत किया.

वैज्ञानिकों ने किया कुछ एक्सपेरिमेंट (Near Death Experience hindi)

इसके लिए वैज्ञानिकों ने मरते हुए व्यक्तियों व्यक्तियों के दिमाग का EEG स्कैन किया.

जिसमें दिमाग के इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को नापा जाता है.

और उन व्यक्तियों पर अध्ययन किया जो किसी कारणवश मौत की दहलीज को छूकर दोबारा जिंदगी में वापस लौट आए,

यानी जीने नियर डेथ एक्सपीरियंस (Near Death Experience hindi) था.

और अपनी स्टडी में researchers ने मौत में होने वाली अनुभव को कुछ इस तरह बताया…

कुछ ऐसा अनुभव होता हैं मौत के वक्त (Near Death Experience hindi)

व्यक्ति मृत घोषित होता है जब वह व्यक्ति ब्रेन डेड हो जाता है

और ब्रेन डेड कोई व्यक्ति तब होता है.

जब व्यक्ति के ब्रेन में खून का बहाव रुक जाता है और ऐसा होता है

जब व्यक्ति का हृदय काम करना बंद कर देता है.

दरअसल मृत्यु के समय व्यक्ति का दिमाग और दिल एक दूसरे से sync हो जाता है.

मौत के करीब पहुंचने पर दिमाग दिल को सिग्नल भेजता है तेजी से धड़कने के लिए.

जो कि दिमाग को डैमेज कर देता है और इस प्रकार ब्रेन में खून का बहाव रुक जाता है.

lack of oxygen के कारण ब्रेन अजीब तरीके से काम करने लग जाता है.

बची कुची एनर्जी पूरे दिमाग में फैलने लगती है,

जो की पुरानी यादों को दोबारा से जीवंत करने लगती है. व्यक्ति भावुक होने लगता है.

व्यक्ति का दिमाग ज्ञानेंद्रियों से आने वाले इंफॉर्मेशन को हैंडल नहीं कर पाता है और हैलूसीनेट करने लगता है.

छींक क्यों आती हैं

सुख और दुःख का अनुभव एक साथ

दिमाग में तरह-तरह की क्रियाएं घटनाएं घटने लगती है, कई तरह के न्यूरोकेमिकल दिमाग में रिलीज होने लगते हैं.

डोपामाइन जो हमें खुशी का अनुभव कराता है और नोरेपिनेफ्रिन जो कि सतर्क रहने के अनुभव हमें कराता है,

दिमाग रिलीज करने लगता है. इसलिए व्यक्ति बहुत ही खुश और रिलैक्स फील करता है.

लेकिन वह बहुत अलर्ट भी फील करता है.

near death expereince in hindi

होता हैं ऊर्जा का विस्फोट

व्यक्ति जैसे ही मरने वाला होता है एक बहुत ही इंटेंस एनर्जी का विस्फोट सा होता है व्यक्ति के दिमाग में,

ऑक्सीजन की कमी के कारण दिमाग के न्यूरॉन जोकि इलेक्ट्रिकली व्यवहार करते हैं,

अब धीरे-धीरे निष्क्रिय होने लगता है और दिमाग मर जाता है.

ऐसे व्यक्ति जिन्हें कोई दिमागी बीमारी होती है जैसे पार्किंसन

उन्हें मरते वक्त भूत और राक्षस दिखने का भ्रम भी होता है.

कुछ ऐसी ही ऐसी ही बातें उन्होंने भी बताए जिन्हें नियर डेथ एक्सपीरियंस (near death experience in hindi) था.

यानी जो मौत के मुंह से बचकर दोबारा जी उठे थे.

उन्होंने बताया कि उन्हें अचानक से सुख का अनुभव हुआ,

उन्होंने बताया कि वह बहुत ज्यादा शांत थे और बहुत ज्यादा परेशान भी थे.

जानकारी विडियो से लीजिये – 

near death experience wikipedia

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