आप सभी यह बात जानते हैं कि हमारी जो मसल है, वह कई सारे मसल फाइबर के बंडल से बना हुआ है, और उसकी जो इकाई सेल है, वह है मसल फाइबर, इसे ही मसल की cell कहते हैं। पर क्या आपको यह पता है कि यह जो हमारी मसल्स फाइबर है, इसका भी एक यूनिट है, यह कई सारी यूनिट आपस में मिलकर मसल्स फाइबर का निर्माण करती है, इसका नाम है sacromere…
यह sacromere कैसे बने होते है, यह sacromere तीन प्रोटीन से मिलकर बने हुए होते हैं, actin जिसकी वजह से thin फिलामेंट बनता है, मायोसिन जिसकी वजह से thick फिलामेंट बनता है। और titin एक elastic protein जो thick फिलामेंट को कनेक्ट किया रहता है, ये स्प्रिंग के आकार का होता है। यह तीनों प्रोटीन इस तरीके से arranged रहते हैं कि जब यह slide करते हैं, तब मसल में एक मैकेनिकल फोर्स जनरेट होता है, जोकि tendon के थ्रू bone में transmit हो जाता है, और हम मूवमेंट कर पाते हैं।
देखिये आज के इस वीडियो में हमें यह जानना है कि हमारा यह मसल काम कैसे करता है, और हम यही जानने वाले हैं, देखिए क्या होता है कि हमारे मसल को काम करने के लिए सबसे जरूरी होता है। हमारे नर्वस सिस्टम से आने वाले सिग्नल की जो की मोटर न्यूरॉन से आते हैं। होता यह है कि जैसे ही brain से सिग्नल आते हैं, हमारे मसल के तरफ हमारे न्यूरोमस्कुलर जंक्शन पर, एक न्यूरोट्रांसमीटर acetylcholine मसल के ऊपर मौजूद रिसेप्टर से bind हो जाते हैं, और एक केमिकल प्रोसेस चालू हो जाता है, जिसकी वजह से मसल कॉन्ट्रैक्ट होता है, और इसके अंदर जो प्रोटीन होते हैं, वह एक दूसरे से स्लाइड होने लगते हैं और फिर इससे जो मैकेनिकल फोर्स generate हुआ है वह बोन में transmit हो जाता है और हम मूवमेंट करने लगते हैं।
चलिए थोड़ा विस्तृत तरीके से जान लेते हैं, देखिये यह बात तो आप जान ही गए होंगे कि जो हमारा मसल वह कॉन्ट्रैक्ट होकर हमारे शरीर में मूवमेंट करता है, यानी सिकुड़कर, अब देखिए जैसे ही हमारे ब्रेन से nerve के थ्रू सिग्नल आता है, न्यूरोमस्कुलर जॉइंट पर, एक्शन पोटेंशियल के थ्रू… यह क्या करता है, न्यूरोमस्कुलर जॉइंट पर nerve ending पर acetylcholine न्यूरोट्रांसमीटर जाकर मसल फाइबर के ऊपर acetylcholine रिसेप्टर से bind हो जाता है।
जिसके वजह से sarcolemma में जो की मसल फाइबर की आउटर मेंबरानस लेयर होती है, उसमे सोडियम आयन का इनफ्लक्स होता है, जिसकी वजह से एक और एक्शन पोटेंशियल जनरेट होता है जो मसल्स फाइबर के आउटर लेयर सार्कोलम्मा में ही मौजूद transverse tubule से होते हुए हमारे मसल फाइबर के जो outer layer है, sarcolemma वहीं पर जाता है, आपको बता दें कि जो मसल फाइबर के आउटर लेयर होती है, उसके ऊपर एक सार्कोप्लास्मिक रेटिकुलम नाम की संरचना होती है, जो कि एक कैल्शियम स्टोरेज की membraneous लेयर होती है।
देखिये जैसे ही यहां पर एक्शन पोटेंशियल पहुंचा यह सार्कोप्लास्मिक रेटिकुलम कैल्शियम ions को रिलीज कर देते हैं, जो कि मसल्स फाइबर के अंदर ही डिफ्यूज हो जाता है। जहां पर यह जो मसल्स फाइबर के अंदर प्रोटीन होते हैं, actin, myosin और titin जैसे प्रोटीन उनके ऊपर काम करने लगता है। यह कैल्शियम आयरन इसी मसल्स फाइबर में मौजूद जो actin प्रोटीन है, जो thin फिलामेंट बनाता है, उसके ऊपर bind हो जाता है।
जिसके कारण से यह प्रोटीन के जो बैंड है यह शिफ्ट हो जाते हैं और मायोसिन हेड के bind होने वाले एरिया को expose कर देते हैं, जिसके कारण से यह जो मायोसिन प्रोटीन का हेड है, यह actin से जाकर बंद हो जाता है, अगले स्टेज में adp और phosphate जैसे अणु इन दोनों प्रोटीन के बीच जो cross bridge बना है, उसके ऊपर जाकर एटीपी में कन्वर्ट होकर एनर्जी provide कराते हैं, जिसके वजह से मायोसिन का हेड मूवमेंट करने लगता है, और actin protein sarcomere के सेंटर की तरफ move होने लगता है। इसे power stroke कहते हैं।
बाद में यही atp दोबारा से फिर से actin से detached होकर मायोसिन से bind होकर एडीपी और phosphate में टूटकर दोबारा से वही साइकिल शुरू कर देता है. यानी myosin head दुबारा से डीएक्टिवेट और रीएक्टिवेट होकर एक्टिंग प्रोटीन को sarcomere सेंटर में शिफ्ट करता जाता है, और मसल कॉन्ट्रैक्ट होती जाती है। और कॉन्ट्रैक्ट होकर यह मसल में मैकेनिकल फोर्स को transmit करके मूवमेंट करवाती है।