देखिए हमारे शरीर में लगभग 5 से 5.5 लीटर ब्लड है। यह पूरे शरीर में ट्रेवल करता रहता है, न्यूट्रिशन और ऑक्सीजन को डिलीवर करने के लिए, हर एक टिशू में, जो हम भोजन करते हैं, जो हम पानी पीते हैं, वह भी absorb होकर इसी ब्लड में ट्रेवल करता रहता है, जैसे ही यह ब्लड हमारे शरीर के विभिन्न ऑर्गन की टिशु पर पहुंचता है, तो दरअसल यह जो ब्लड vessels है, यह टिशु पर पहुंचने पर बिल्कुल पतले पतले सिंगल सेल से बने हुए ब्लड कैपिलरी से होते हुए ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन को हर एक tissue, हर एक cell तक पहुंचाता है।
पर क्या आपको यह पता है कि यह जो ब्लड कैपिलरी होती है, ये सिंगल सेल के layer से बनी हुई होती है, यानी बिल्कुल पतली सी लेयर से बनी हुई होती है। अब चुकी है ब्लड कैपिलरी केवल एक सिंगल सेल जितनी thick wall से बनी हुई होती है। इसलिए हर एक सेल के बीच में एक छोटा सा gap रहता है। जिससे हमेशा ही इस gap से कुछ फ्लूइड हमेशा से ही leak करता रहता है, और यह फ्लूइड जो है tissue में ही जाकर इकट्ठा हो जाता है टिशू को nutrition प्रोवाइड कराता है, और फिर दोबारा से वीनस के थ्रू ब्लड ब्लड सरकुलेशन में शामिल हो जाता है। टिशू से मेरा मतलब वह है, जिससे मिलकर हमारा कोई ऑर्गन बनता है, जैसे लीवर हो गया हमारा heart हो गया यह हमारी स्किन जैसी चीज़े….
अब देखिए मान लीजिए अगर टोटल 20 लीटर फ्लूइड अगर इस ब्लड कैपिलरी से leak हो कर टिशू में आता है, तो टोटल 17 लीटर fluid दोबारा से veins के थ्रू ब्लड सरकुलेशन में reabsorb हो जाता है। और बाकी का बचा हुआ 3 लीटर फ्लूइड शरीर के इन विभिन्न tissue में ही आकर trap हो जाता है, इकट्ठा हो जाता है। अब आपको यह बता दें कि चुकी इस ब्लड कैपिलरीस single cell के layer से बना होता है, और ब्लड में मौजूद जो RBC होते हैं, यानी रेड ब्लड सेल्स की आकार में इतने बड़े होते हैं कि ये इन gap junction से बाहर leak नहीं हो पाते हैं, इसलिए इस fluid में जो अभी इस टिश्यू में trap हुआ है, इसमें रेड ब्लड सेल्स नहीं होते हैं।
यह इकट्ठा हुए fluid colorless होता है, इसमें प्रोटीन होते हैं, वाइट ब्लड सेल्स होते हैं, जैसे लिंफोसाइट वगैरह, अब देखिये ये fluid है जोकि टिशू के इस interstitual स्पेस में इकट्ठा हो गया है, इसे अब lymph के नाम से जाना जाता है। देखिए यह जो lymph है, इसे भी जरूरत है कि यह भी दोबारा से ही ब्लड सरकुलेशन में रिअब्जॉर्ब होकर शरीर में दोबारा से सर्कुलेट हो सके, क्योंकि इसमें बहुत सारे काम के प्रोटीन और वाइट ब्लड सेल्स होते हैं।
तो होता क्या है कि प्रकृति ने हमारे शरीर में यह जो fluid इकट्ठा हो गए हैं टिशू में उनको दोबारा से री सर्कुलेट करने के लिए एक सिस्टर ही हमारे शरीर में डेवलप कर दिया है, इस सिस्टम को कहते हैं लिंफेटिक सिस्टम, इसमें क्या होता है कि इसमें बिल्कुल ब्लड वेसल्स की तरह ही कुछ लिंफेटिक वेसल्स हमारे शरीर भर में बिल्कुल जाल की तरह बिछी रहती है। जैसे बिल्कुल ब्लड वेसल के जाल बिछे रहते है। इसमें भी पतली पतली कैपिलरी होती हैं जो कि टिशू पर आकर बिल्कुल जाल की तरह बना लेती हैं।
जोकि सिंगल सेल layer से मिलकर बनी हुई होती हैं। पर इसमें एक खास बात होती है, बिल्कुल veins की तरह इसमें भी सिंगल डायरेक्शन में lymph को flow करने के लिए इसमें वाल्व लगे रहते हैं। देखिये सबसे पहले लिम्फ कैपिलरी होती है, जो कि single-cell layer की बनी हुई होती है। इसमें भी gap होता है, सेल के बीच में, सबसे पहले इन इन पतली पतली कैपिलरी में lymph absorb होकर एक बड़े लिंफेटिक वसल में आकर एक direction में flow करने लगता है।
Volve के कारण यह lymph दुबारा से टिशू में रिवर्स flow नहीं कर पाती है, यह लिंफेटिक vessels सीधे जाकर हमारे सर्कुलेटरी सिस्टम के मेजर vein से जाकर जोड़कर हमारे heart से होते हुए recirculate हो जाता है, खास बात यह है इस सिस्टम की कि इन लिंफेटिक वेसल्स में बीच-बीच में एक लिंफ नोड नाक की संरचना होती है, जिसके अंदर बहुत सारे लिंफेटिक टिशू होते हैं, जिनमें बहुत सारे इम्यूनिटी सेल्स होते हैं, जैसे लिंफोसाइट बगैरह।
यह lymph node क्या करता है कि हमारे शरीर में आने वाली किन्ही pathogens को kill कर देता है और हमारे शरीर में यह 1 तरीके से immunity के लिए बहुत ही जरूरी चीज है। आपको बता दें कि हमारे शरीर में जो लिंफेटिक सिस्टम के प्रमुख organs में से lymph node भी है, इसके अलावा टॉन्सिल है, स्प्लीन है और थायमस है। आगे हम इन सब के बारे में जानेंगे…