आज कल की दुनिया काफी मॉडर्न हो गई है. और इस मॉडर्न दुनिया में अधिकतम लोग अपने
विचार और व्यक्तित्व को फिल्मों को देखकर विकसित कर रहे हैं.
फिल्मों को ही देख कर लोग प्यार कर रहे हैं. फिल्मी अभिनेताओं को देखकर ही लोग अपने शरीर को सुडौल बनाने में ज्यादा समय दे रहे हैं.
यह नहीं कहा जा रहा है कि सभी व्यक्ति एक जैसे ही है,
लेकिन भारत में लोग अपने जीवन के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय बॉलीवुड के अतार्किक
और सेक्स फिल्मों को देखकर उनसे प्रेरित होकर लेने में बिल्कुल नहीं हिचक हैं.
जिस तरह से फिल्मों में लड़का लड़की के प्यार को दिखाया जा रहा है.
और सेक्स को वह आजकल के युवाओं के दिमाग को बुरी तरीके से प्रभावित कर रहा है.
आप फिल्मों में देखे होंगे कि फिल्मों में स्कूल कॉलेजों की लाइफ जब दिखाई जाती है.
तो उसमें हर एक फ्रेंड सर्किल में एक दो ऑपोजिट सेक्स वाले फ्रेंड तो होते ही हैं,
लेकिन साधारण जिंदगी में आप लड़का लड़की को केवल मित्र होना ही देख पाए ऐसा बहुत ही कम संभव है.
शायद इसका कारण यह भी हो सकता है कि भारत का समाज अभी उतना ओपन माइंडेड नहीं है.
लेकिन भारत के समाज में लड़का और लड़की का मित्र न बन पाना,
क्या इस बात का सच में ओपन माइंडेड से कोई मतलब है ?
इस बात को गहराई से जानने के लिए हमें लेना होगा साइंस का सहारा और जानना होगा कि साइंस का इस विषय में क्या मत है ?
क्या सच में एक लड़का और लड़की बिना एक दूसरे से बिना सेक्स किये हुए केवल मित्र बनकर रह सकते हैं ?
वैज्ञानिकों ने किया सेक्स विचारधारा पर अध्ययन
वैज्ञानिकों ने इस बात पर अध्ययन करने के लिए 88 जोड़ों को जिनमें से एक पुरुष और एक महिला थी, को एक साइंस लैब में बुलाया.
यह सभी जोड़े स्वयं को केवल मित्र मानते थे और कभी सेक्स नहीं किये थे.
सभी जोड़े अंडरग्रैजुएट थे. साइंटिस्ट्स ने सभी जोड़ों से एक-एक करके कुछ सवाल पूछे और उनके क्रियाकलापों का अध्ययन किया.
महिला और पुरुष दोनों के मानसिक स्थिति का अध्ययन करने पर पता चला कि दोनों अपोजिट सेक्स के मित्रों के विचारों में काफी अंतर रहा.
महिला के मुकाबले पुरुषों में अपने महिला मित्र के प्रति रोमांटिक अट्रैक्शन ज्यादा देखा गया.
पुरुष मन ही मन यह सोचते हुए पाए गए कि जिस तरह वह उस महिला के प्रति रोमांटिक रूप से आकर्षित है,
उस महिला के मन में भी उस पुरुष के लिए जरूर कोई ना कोई विचार जरूर होंगे.
महिलाओं में पुरुषों के प्रति मित्रता का रुझान
लेकिन स्टडी में ऐसा नहीं देखा गया. महिलाओं में पुरुषों के प्रति प्लेटॉनिक फ्रेंडशिप (platonic friendship) का रुख ज्यादा देखा गया,
वहीं कुछ महिलाओं में पुरुषों के प्रति रोमांटिक अट्रैक्शन देखा गया.
नतीजा यह रहा कि काफी लंबे समय तक एक पुरुष अपनी महिला मित्र के प्रति सेक्स अट्रैक्शन को ओवरइस्टीमेट करता रहता है.
और महिला अपने पुरुष मित्र के सेक्स आकर्षण को अंडर एस्टीमेट करती रहती है.
फल स्वरूप एक पुरुष का एक महिला मित्र के के साथ समय व्यतीत करना बहुत ही ज्यादा हार्ड हो जाता है.
मनुष्य का दिमाग हैं सेक्स के प्रति वायर्ड
स्टडी से साफ है एक महिला के दिमाग से सोचें तो एक पुरुष और महिला मित्र हो सकते हैं.
पर पुरुष के विचार काफी भिन्न होते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो साइकोलॉजिकल कारणों से एक महिला और पुरुष कभी भी केवल मित्र बने हुए नहीं रह सकते,
क्योंकि इन दोनों में से कोई न कोई एक दूसरे के प्रति सेक्स अट्रैक्ट हो ही जाएगा.
हम मनुष्य का दिमाग इस तरह वायर्ड है कि हम अपने ऑपोजिट सेक्स वाले व्यक्ति की तरफ अट्रैक्ट हो सके.
जिससे हम मनुष्यों का वंश आगे बढ़ सके और यह हमारे पूर्वजों से ही सदियों से चला आ रहा है.
यही वह कारण है जो कोई पुरुष व्यक्ति अपने महिला मित्र के प्रति पहले आकर्षित होता है.
छोटे उम्र में नहीं होता ऐसा
इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि मनुष्य की उम्र जब 5 से 12 साल की होती है तो एक लड़का अपने मित्र लड़कों में ही ढूंढता है.
और लड़की लड़कियों में ही. लेकिन सेक्स ऑर्गन के डेवलपमेंट के बाद लड़का और लड़की एक दूसरे के तरफ आकर्षित होने लगते हैं.
और तब ही स्कूल कॉलेज इसमें हम लड़का और लड़की की फ्रेंडशिप को देख पाते हैं,
तो उम्मीद है आप किस बात को आसानी से समझ गए होंगे.
जानकारी विडियो से लीजिये –
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