फीमेल ब्रेस्ट का फंक्शन ना केवल अपने बेबी को ब्रेस्ट फीड कराने के लिए होता है. बल्कि सेक्सुअली भी इसका बहुत ही major role होता है, सेक्सुअल प्लेजर के लिए…. आइए जानते हैं कि यह ब्रेस्ट बना कैसे होता है???
देखिये यह है हमारा rib cage और इसी rib cage के ऊपर होता है, हमारा यह pectoris major muscle seratus anterior muscle और यह है external oblique muscle यह तीनों ही मिलकर हमारे rib cage के ऊपर हमारा चेस्ट वॉल का निर्माण करते हैं। लेकिन औरतों में क्या होता है कि यह chest wall के ऊपर pectoris fascia नाम की एक कनेक्टिव टिशु की layer होती है। वही फसश जो मसल को मसल से जोड़ती है। मसल को किसी organ से जोड़ती है। और इसी pectoris fascia के ऊपर थोड़ा सा space होता है, जिससे रेट्रोमैमरी स्पेस कहते हैं इसी स्पेस की वजह से ब्रेस्ट चेस्ट पर कहीं भी move कर सकता है आसानी से हिलडुल सकता है। और कुछ इस तरीके से breast female चेस्ट वॉल से लगा हुआ होता है। और स्त्री स्तन की लोकेशन की बात करें तो, यह दूसरे रिब केज से लेकर छठे rib cage तक इसका फैलाव होता है, चेस्ट पर…
चलिए यह तो जान गए अब यह जानते हैं कि यह ब्रेस्ट बना कैसे हुआ होता है…
सबसे पहले देखिए यह जो आप फूल की पंखुड़ियों जैसी संरचना देख रहे है, ब्रेस्ट के ऊपर इसे ब्रेस्ट का lobe कहते हैं। जो कि एक ब्रेस्ट में लगभग 15 से 20 संख्या में होते हैं। और यह जो lobe हैं, यही मेन टिशू है, जो breast में फंक्शन करता है। इसे breast का पैरेंकाइमा कहते हैं। ये lobe कई सारे गुच्छे की तरह दिखने वाले lobules से मिलकर बने हुए होते हैं, और हर एक lobules sac like structure alveolie से मिलकर बना हुआ था है।
ये alveolie epithelial सेल से मिलकर बना हुआ होता है। इसी में मिल्क produce होता है। यह सारे के सारे alveoli एक duct के थ्रू जाकर एक major duct से जुड़ जाते हैं, जिसे लैक्टिफरस डक्ट कहते हैं। यह लैक्टिफरस डक्ट lectferous साइनस नाम के एक संरचना का निर्माण करते हैं। जो कि थोड़ा फुला हुआ स्ट्रक्चर होता है, इसी में मिल्क आकर स्टोर होता है। और सीधे यह लैक्टिफरस साइनस जाकर खुलता है breast के निप्पल में।
और यह जो आप सभी lobe और ducts वगैरह देख रहे हैं, इन सभी को सपोर्ट करने के लिए ब्रेस्ट में adipose टिशु यानी fat की tissue और कनेक्टिव टिशु की अरेंजमेंट होती है। जो इस सभी स्ट्रक्चर को होल्ड किया रहता है। यही adipose tissue जब बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो ब्रेस्ट का साइज बड़ा हो जाता है। और जो कनेक्टिव टिशु का arrangement होता है। इसे लिगामेंट कूपर कहते हैं। यह एक प्रकार का लिगामेंट होता है, जो सभी एडिट पोस्ट यीशु और इन lobe को chest wall से कनेक्ट किया रहता है। यही लिगामेंट्स breast को सपोर्ट करता है, यह लोग को कंपार्टमेंट में बांट भी देता है। और यही जब लिगामेंट कमजोर हो जाता है तो ब्रेस्ट sag करने लगता है यानी लटक से जाता है।
अब देखिए ब्रेस्ट के ऊपर स्किन की लेयर होती है। नॉर्मल स्किन की layer हम सभी जानते हैं। बीच में जो आप देख रहे हैं इसे एरियोला कहते हैं। यह पिगमेंटेड ब्राउन कलर की स्किन होती है। जिसमें बहुत ही स्पेशल किस्म के sebaceous gland पाए जाते हैं। जोकि ऑयल रिलीज करके इस एरिया को skin chafe से बचाते हैं। breast feeding के समय और बीच में यह निप्पल है, जो कि स्मूथ मसल से बना हुआ होता है, इसमें बहुत सारे pores होते हैं जो milk को बाहर रिलीज करते हैं, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान।
Nipple में बहुत ही हाईली सेंसटिविटी नर एंडिंग के receptors होते हैं जो इन्हें सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान इसे errect कर देते हैं, और पूरे breast में बहुत ज्यादा ब्लड सप्लाई के लिए ब्लड वेसल्स बिछी हुई होती है। साथ ही साथ इसमें लिंफ नोड्स भी बहुत ज्यादा होते हैं। इसीलिए ब्रेस्ट में कैंसर होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है।