हमें ठंडी या गर्मी का एहसास कैसे होता हैं

हमारे स्किन में तीन प्रकार के रिसेप्टर पाए जाते हैं. जो हमें स्पर्श का अनुभव करवाते हैं, हमें ठंडी गर्मी का अनुभव करवाते हैं. और हमें दर्द का अनुभव करवाते हैं., जब भी कोई हमें चोट वगैरा लगती है. पिछली वीडियो में मैंने आपको mechanoreceptors के बारे में बताया था कि कैसे यह हमें स्पर्श यानी टच का अनुभव करवाते हैं. आज इस वीडियो में हम दूसरे प्रकार के रिसेप्टर थर्मोरिसेप्टर्स की बात कर लेते हैं कि कैसे यह थर्मोरिसेप्टर्स हमें ठंडी या गर्मी का एहसास कराते हैं.

जैसा कि आपको पता है कि जब भी सर्दियों के मौसम में टेंपरेचर चेंज होता है, हाईएस्ट टेंपरेचर से lower टेंपरेचर की ओर, तो उसे हमारा स्किन डिटेक्ट कर लेता है। हम तुरंत स्वेटर वगैरह पहनना शुरू कर देते है, और गर्मियों के मौसम में जब टेंपरेचर लोअर से हायर की तरफ चेंज होता है, तो भी हमारी स्किन इसे डिटेक्ट कर लेती है और हमें बहुत पसीना आता है, हम हल्के कपड़े पहनना शुरू कर देते हैं। ऐसा हमारा skin कैसे कर लेता हैं।

देखिए एक रिसेप्टर है, थर्मोरिसेप्टर्स हमारे स्किन में जिसे कहते हैं, krause end bulb इसका लोकेशन हमारे स्किन में यहां पर आप देख सकते हैं। यह क्या करता है कि जब भी हमारे सराउंडिंग में टेंपरेचर 24 डिग्री सेल्शियस या उससे नीचे होना शुरू हो जाता है। 24 से 10 डिग्री तक चेंज होता हैं। तो यह इसे sense कर लेता है कि कैसे टेंपरेचर में इतना वेरिएशन आने लग रहा है। krause end bulb एक कनेक्टिव टिशु के layer कैप्सूलेटेड रहता है। एक पतली सी झिल्ली की तरह लेयर होती है। और इसी लेयर में जब चेंज होते हैं, टेंपरेचर के कारण से… तो यहीं से ये इसे डिटेक्ट कर लेता है, और उनके थ्रू सिग्नल सबसे पहले हमारे स्पाइनल कॉर्ड में जाता है, स्पाइनल कॉर्ड से thalamus में और thalamus से हाइपोथैलेमस में जाता है।

हाइपोथैलेमस सिग्नल को सेंस करके अकॉर्डिंग्ली व्यवहार करना शुरू करता है।

यह तो हुआ कोल्ड रिसेप्टर जो ठंड को हमारे शरीर में डिटेक्ट कर पाता है। दूसरे प्रकार का रिसेप्टर जो heat को sense करता है, warmth को हमारे स्किन में वह होता है, ruffini corpuscles या कहिए ruffini endings, यह क्या करता है जब भी हमारे स्किन में सराउंडिंग के अकॉर्डिंग 30 से 46 डिग्री सेल्सियस का तापमान में चेंज हो जाता है। तो यह इसे sense कर लेता है। और सिग्नल इसमें भी पहले स्पाइनल कॉर्ड फिर वहां से thalamus फिर हाइपोथैलेमस पर मिलाता है, और हाइपोथैलेमस टेंपरेचर के अकॉर्डिंग व्यवहार करके शरीर की टेंपरेचर को नॉरमल टेंपरेचर पर लाता है।

मेनली टेंपरेचर को रेगुलेट करने के लिए हाइपोथैलेमस ज्यादा heat को मैनेज करने के लिए हमारे स्किन से पसीना रिलीज करवाना शुरू कर देता है। ब्लड वेसल्स को dialate करके जिससे ब्लड से ज्यादा से ज्यादा पानी स्किन की तरफ जाए और स्किन से heat भांप  बनकर evaporate हो जाये।

देखिये यह भी एक कैप्सूलेटेड nerve ending ही होता है। पर इसमें स्किन में इनके end पर dendrites होते हैं, जो heat को sense कर पाते हैं।

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