देखिए जब भी हमारे शरीर में कोई bacteria घुस जाता है, तो उसे kill करने का काम हमारी इम्यून सिस्टम के सबसे इंपॉर्टेंट सेल मैक्रोफेज का होता है। macrophage bacteria को तो kill करता ही है। साथ ही साथ cytokines नाम एक substances को रिलीज करता है ताकि और ज्यादा macrophage इसे detect करके उस particular इंफेक्शन वाली जगह पर आएं। और वहां पर बैक्टीरिया को kill करें।
पर जब सिचुएशन ऐसी हो जाती है की bacteria की संख्या इतनी ज्यादा हो जाती है कि उन्हें macrophage द्वारा kill करना असंभव हो जाता है। तब शरीर को हमारे इम्यून सिस्टम के आर्मी को उस इन्फेक्शन वाली जगह पर भेजना पड़ता है। और यह जो आर्मी है, ये वायरस या बैक्टीरिया के अनुसार अपने आपको adapt करती है, वैसा बनाती है, फिर जाकर वहां पर उस बैक्टीरिया को kill करती है, इसीलिए यह जो दूसरे type का immune system हमारे शरीर में एक्टिवेट हो रहा है, उसे adaptive immune system कहते हैं।
देखिये आपको मैं कई बार बता चुका हूँ कि हमारे जो लोंग बोंस के एंड पर रेड बोन मैरो होता है, उसमें एक सेल है हेमेटोपोेटिक स्टेम सेल उसी से ही रेड ब्लड सेल्स बनते हैं, वाइट ब्लड सेल्स बनते हैं, प्लेटलेट्स बनते हैं, यह जो दूसरे प्रकार के इम्यून सिस्टम के जो सेल हैं, जो अब पूरी तरीके से किसी भी pathogen को किल करेंगे, वह भी हमारे रेड बोन मैरो के इसी सेल से डिवेलप होते हैं। यह cell है b लिंफोसाइट और t lymphocyte, t lymphocyte थायमस में जाकर mature होता है, और b लिंफोसाइट बोन मैरो में ही mature होकर, एक deactive स्टेट में लिंफ नोड में जाकर स्टोर हो जाते है।
देखिये होता क्या है कि यह जो डेंड्रिटिक सेल और macrophage होते हैं यह इन बैक्टीरिया को अपने अंदर एंड गल्फ कर लेते हैं, और इन बैक्टीरिया के कुछ जो पार्ट होते हैं उन्हें अपने सरफेस पर mhc molecule नाम का एक प्रोटीन होता है, उससे bind करके सीधे चले जाते हैं, lymph node के अंदर वहां पर कुछ टी लिंफोसाइट मौजूद होते हैं, इन्हें यह मैक्रोफेजेस और dendritic cell एक्टिवेट कर देते हैं, t lymphocyte cell को और जैसे ही ये t cell एक्टिवेट हुआ, यह बहुत सारे t cell में डिफरेंटशिएट होने लगते हैं, और साथ ही साथ b सेल को जाकर एक्टिवेट भी कर देते हैं। अब b cell और t cell दोनों ही एक्टिवेट हो जाते है।
ये t सेल तो अब इन बैक्टीरिया को तो मारने का काम करता ही है, साथ ही साथ जो कैंसर सेल हैं जो cell अब डैमेज हो चुके हैं, उन्हें भी kill करना शुरू कर देता है। पर जो भी सेल है इसका रोल सबसे ज्यादा इंपोर्टेंट होता है, यह b cell प्लाजमा सेल में कन्वर्ट हो जाती है, और अब एंटीबॉडी जो कि एक प्रकार का प्रोटीन होता है, y शेप में उसे रिलीज करने लगता है। ताकि यह उस particular बैक्टीरिया या वायरस के surface पर जो protein होता है antigen जाकर bind हो जाए और यह बैक्टीरिया या वायरस उस cell को डैमेज ना कर पाए।
और जब कोई भी वायरस या बैक्टीरिया सेल में एंटर नहीं कर पाता। सेल को डैमेज नहीं कर पाता है, तब macrophage इन एंटीबॉडी को डिटेक्ट कर लेता है, और इन बैक्टीरिया या वायरस को phagocyte करके इन्हें kill करना शुरू कर देता है। और देखते ही देखते पूरी तरीके से वह bacteria पूरे शरीर से पूरी तरीके से गायब हो जाता है। फ्यूचर में कभी भी वह वायरस बैक्टीरिया दोबारा से हमारे शरीर को डैमेज न पहुंचा सके इसीलिए यह b cell 2 cell में differentiate हो जाता है, एक प्लाज्मा सेल जो एंटीबॉडी release करता है, और एक मेमोरी b सेल जो उस particular bacteria के प्रति दोबारा से कभी भी antibody रिलीज कर सके। जिससे कभी भी future में इस bacteria में infection हो तो ये memory b cell हमेशा से ही इस पर्टिकुलर pathogen की stored मेमोरी की सहायता से antibody release कर दे।