cellular respiration in hindi – हमने जब भोजन किया, तो वही भोजन पचकर बहुत ही छोटे छोटे मॉलिक्यूल में टूट गया। अगर वही भोजन छोटे-छोटे मॉलिक्यूल में नहीं टूटेगा, तो हमारे बॉडी में जो मौजूद सेल्स हैं, उसे absorb नहीं कर पाएंगे और हमें एनर्जी नहीं मिलेगी। ऐसा ही होता है, जब फूड के डाइजेशन के बाद ग्लूकोस हमारे सेल में पहुंचता है, बहुत ही छोटे से शुगर molecule के रूप में, तो वहां पर उसका ऑक्सीडेशन होता है। और यह ऑक्सीडेशन का जो प्रोसेस है, बहुत ही ज्यादा complecated होता है, इसमें बहुत सारी क्रियाएं होती है। और इसी के लिए ग्लूकोस के मॉलिक्यूल को तोड़कर एनर्जी बनाने के लिए ही ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। चलिए शार्ट में ही लेकिन एक प्रभावी तरीके से यह जानकारी ले लेते हैं कि हमारे शरीर में ग्लूकोस का ऑक्सीडेशन होता कैसे है?? जिसे सेल्यूलर रेस्पिरेशन (cellular respiration in hindi) कहते हैं.
ग्लूकोस का टूटकर एनर्जी में कन्वर्ट होने का यह प्रोसेस कुल 4 चरणों में होता है।
पहला चरण – ग्लाइकोलिसिस –
देखिये जैसे ही भोजन से पचकर ग्लूकोस हमारे सेल पर पहुंचता है, सेल के साइटोप्लाज्म में यह बिना ऑक्सीजन के presence में 6 कार्बन atom वाला glucose टूट कर तीन कार्बन के अणु वाले pyruvate के 2 molecule में बदल जाता है। pyruvate एक प्रकार का केमिकल ही है, इसी ग्लूकोस के टूटने में दो एटीपी ऊर्जा और 2 इलेक्ट्रॉन कैरिंग मॉलिक्यूल NADH जनरेट भी होता है। यह Nadh मॉलिक्यूल ही आगे चलकर हमारे शरीर में एनर्जी बनाने में बहुत ही ज्यादा हेल्प करेंगे, बस आप आगे देखते जाइए। एटीपी क्या होता है, एडिनोसिन त्रिफास्फेट हमारे शरीर में ऊर्जा की करेंसी होती है। इसी एटीपी के टूटने पर ही एनर्जी जनरेट होती है और हम कोई भी काम कर पाते हैं, चलना बोलना कुछ भी करना।
और इस तरीके से ग्लूकोस का टूट कर pyruvate में बदलने की क्रिया को glycolysis कहते हैं. यह पहला चरण है.
और इसी glycolysis के प्रोसेस के बाद हमें ऊर्जा के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है, अब ऑक्सीजन ही आगे इन मॉलिक्यूल के साथ क्रिया करके हमें एनर्जी प्रोवाइड कराएगा।
दूसरा चरण – pyruvate oxidation
पहले चरण के बाद अब दूसरा चरण शुरू होता है, cellular respiration का, जिसमें pyruvate के यह दोनों अनु अब माइटोकॉन्ड्रिया के अंदर जाते हैं, जहां पर pyruvate का ऑक्सीडाइजेशन होता है. ऑक्सीजन के presence में, जिसे कहते हैं, pyruvate oxidation. इसमें pyruvate के अणु acytel coA के अणु में बदल जाते हैं, इस प्रोसेस में कार्बन लास्ट होकर कार्बन डाइऑक्साइड बना लेता है और इलेक्ट्रॉन एटम से निकलकर NADH के साथ जाकर BIND हो जाते हैं। यह NADH एक कोएंजाइम होता है, जोकि oxidation में हेल्प करता है, ग्लूकोस के…
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तीसरा चरण – citric acid cycle
देखिए उसके बाद सेल्यूलर रेस्पिरेशन का तीसरा चरण चालू होता है, जिसे citric acid cycle या Krebs cycle कहते हैं. इसमें क्या होता है, इसमें acetyl coA का मॉलिक्यूल बहुत सारे कंपाउंड के साथ क्रिया करके, लास्ट में कार्बन डाइऑक्साइड और वाटर byproduct के रूप में बनाता है. और इस पूरे प्रोसेस में NADH के कुल आठ अणु बनते हैं, fadh2 के दो कार्बन डाइऑक्साइड के 6 और कुल 2 एटीपी रिलीज होता है। देखिए जो Nadh और ऐसे fadh2 है, यह इलेक्ट्रॉन कैरियर molecule होते हैं, यही आगे चलकर हमें एनर्जी को प्राप्त करवाने वाले एटीपी मॉलिक्यूल को बनाने में मदद करेंगे, चलिए जानते हैं कैसे ???
चौथा चरण – Electron Transportation Chain –
देखिए उसके बाद आता है, हमारे सेल्यूलर रेस्पिरेशन का सबसे आखरी चरण और सबसे complecated चरण जिसे कहते हैं इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्टेशन chain। जितने भी यह जो NADH और fadh2 के मॉलिक्यूल बने हैं, अब उनका यूज होगा और एटीपी अब जनरेट होगा। देखिए हमारे माइटोकॉन्ड्रिया के मेंब्रेन पर कुछ इलेक्ट्रॉन बाउंड कैरियर होते हैं, क्या होता है कि यह जो NADH और fadh2 मॉलिक्यूल जनरेट हुआ है, यह इन्हीं इलेक्ट्रॉन बाउंट कैरियर से आकर जुड़ जाते हैं, और जैसे ही यह जुड़े यह चैनल्स माइटोकॉन्ड्रिया के मेंब्रेन से बाहर की ओर हाइड्रोजन आयन को पंप करने लगते हैं।

मतलब प्रोटॉन को और अंत में यह जो लास्ट वाला आप इलेक्ट्रॉन कैरियर देख रहे हैं, इसे कहते हैं ATP synthase इसमें आकर यह hydrogen ion, एटीपी मॉलिक्यूल को synthesize करते हैं। और हमारे शरीर के लिए जो जरूरत होती है, energy वह एटीपी मॉलिक्यूल यहीं पर बनता है। एटीपी मॉलिक्यूल मतलब हमारे शरीर की बैटरी… इस पूरे प्रोसेस में नेट 32 से 36 एटीपी मॉलिक्यूल बनते हैं, इस पूरे सेल्यूलर रेस्पिरेशन प्रोसेस में एक ग्लूकोस molecule के ऑक्सीडेशन से…
इस पूरे प्रोसेस में जो हाइड्रोजन आयन बचा हुआ है, वह ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके वॉटर बना लेता है। जिससे हमारे शरीर में जो यूरिनेशन के समय ये जो वेस्ट प्रोडक्ट वाटर बना है, वह बाहर निकल जाता है।
अब देखिए ये एटीपी मॉलिक्यूल एनर्जी कैसे बनाता है, यह एटीपी दरअसल एडीपी और फास्फेट मॉलिक्यूल में टूटकर एनर्जी जनरेट करता है। जिसके सहारे हम चल पाते हैं, बोल पाते हैं आप कोई भी काम कर पाते हैं। मतलब जब एटीपी के बांड टूटते हैं, तो इससे ढेर सारी एनर्जी निकलती है।