cholesterol in hindi – कोलेस्ट्रॉल एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो की मोम की तरह होता हैं. जो हमारे शरीर में बनता है।
अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है, तो एक क्रिया होती है, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहते हैं।
इससे कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक (plaque) के रूप में जमा होने लगता है, जिससे धमनियां संकरी हो जाती हैं।
किन कारणों से बनता हैं कोलेस्ट्रोल शरीर में
- अधिक तेलयुक्त आहार लेना मसलन फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन आदि।
- पोलीअनसेच्युरेटेड फैटी एसिड का अधिकता में सेवन करना जो कि वानस्पतिक तेल में मिलता है।
- इसके अलावा सिगरेट पीने वालों को ये समस्या हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल के प्रकार (type of cholesterol in hindi)
कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है।
लो डेंसिटी लिपोप्रोटींस (एलडीएल) या बैड कोलेस्ट्रॉल (हानिकारक कोलेस्ट्रॉल)
आर्टरिज़ (खून के प्रवाह की नलियां) में जमा हो जाता है।
इससे खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं। हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटींस (एचडीएल) जिसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है,
शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को लिवर के पास ले जाने का काम करता है जिससे शरीर से इसका निष्कासन हो सके।
धमनियां में जा कर जम जाता हैं कोलेस्ट्रोल (cholesterol in hindi)
हमारा रक्त धमनियों में बहता है और इसी के सहारे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचता है।
धमनियों के अंदरूनी हिस्से में लाइनिंग होती है, जिसे Endothelium कहा जाता है,
यह नाजुक और नर्म होती है। लेकिन कोलेस्ट्रोल के कारण यह सख्त होने लगती हैं।
हार्ट अटैक का कारण बनता हैं
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण, धमनियों में प्लाक जमा होने लगता हैं, जिसके कारण सबसे ज्यादा खतरा हृदय और मस्तिष्क को होता है।
कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi) के कारण इन दो महत्वपूर्ण अंगों तक ठीक से खून नहीं पहुंच पाता है,
जिससे व्यक्ति के इन अंगो में पोषण और ऑक्सीजन भी नही पहुच पाता हैं.
और जानलेवा स्थिति भी पैदा हो जाती हैं इसके कारण। कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से मुख्य रूप से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
इसलिए अगर आपको सीने में दर्द महसूस हो, बेचैनी हो या दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगे, तो ये कोलेस्ट्रॉल के बढ़े होने के संकेत हो सकते हैं।
ब्रेन में स्ट्रोक का खतरा ज्यादा बढ़ जाता हैं
धमनियों में प्लाक के कारण दिमाग खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला stroke रक्त वाहिकाओं में रुकावट या रक्त वाहिका फट जाने की वजह से हो सकता है।
इसलिए सुनिश्चित करें कि धमनियों में रक्त के थक्के न जम सकें।
इसे नजरअंदाज करना आपके लिए जान लेवा साबित हो सकता है
इसलिए ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं और अपना कोलेस्ट्रॉल मेन्टेन करें।
पाचनतंत्र भी होता है इससे प्रभावित
कोलेस्ट्रोल (cholesterol in hindi) पित्त में असंतुलन बना देता है जिससे कि पित्त में पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
नेशनल डाइजेस्टिव डीजीज इन्फोर्मेशन क्लियरिंगहाउस के मुताबिक 80 फीसदी गैलस्टोन कोलेस्ट्रोल स्टोन ही होते हैं।
पैर सन्न होने लगता हैं
यदि कोलेस्ट्रोल बढ़ जाए तो पैरों में संवेदन शून्यता आ सकती है।
जिससे हमें सही तरीके से चलने फिरने में दिक्कतें महससू होने लगती हैं।
कोलेस्ट्रॉल शरीर में रक्त के प्रवाह में बाधा बनता है, प्लाक बनकर इसलिए कोलेस्ट्रॉल (cholesterol in hindi) बढ़ने पर अक्सर शरीर के अंगों तक ऑक्सीजनयुक्त खून नहीं पहुंच पाता है,
जिससे उस अंग में झुनझुनी या सिहरन जैसा महसूस होने लगता है।
- मानव रक्त में, कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से लेकर 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है।
- 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च माना जाता है और ऐसी स्थिति में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
- 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर कहेंगे। इसका उच्च स्तर हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका कई गुना बढ़ा देता है।