हम अपने नाक से वातावरण से बाहर से एयर लेते हैं उसी एयर में मौजूद ऑक्सीजन हमारे रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट से होते हुए हमारे फेफड़ों के अंदर पहुंचता है. जहां फेफड़ों के अंदर बहुत ही छोटे-छोटे alvoli होते हैं. इन alveoli से चिपके रहते हैं पतली पतली ब्लड कैपिलरी जहां से इन ब्लड कैपिलरी में मौजूद खून में alvoli में मौजूद ऑक्सीजन हिमोग्लोबिन के साथ bind होकर फिर ह्रदय की तरफ जाकर पूरे शरीर भर में फैल जाता है और इन्हीं ब्लड कैपिलरी इसमें मौजूद खून CO2 को इन्हीं alvoli की तरफ ट्रांसफर कर देता है और फिर CO2 नाक के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है.
अब देखिए कोरोनावायरस क्या कर रहा है जब आप किसी व्यक्ति से without mask के मिल रहे हो, तो उसकी co2 निकालने की प्रक्रिया में उसकी air मॉलिक्यूल में कुछ वायरस के पार्टिकल भी है जिसे आप स्वसन क्रिया द्वारा इन्हेल कर ले रहे हो। अब जैसे ही वायरस हमारे नाक में पहुंचता है वहां पर तुरंत ही ये cell के सरफेस पर पहुंचकर बहुत सारे मल्टीप्लिकेशन के साथ अपनी संख्या बढ़ा ले रहा है। इसीलिए आप देख रहे हो कि जब भी आप कोरोनावायरस का टेस्ट कराओगे तो आपके नाक का स्वैप लिया जा रहा होगा। नाक से जब यह वायरस गले की तरह बढ़ता है तब इसकी संख्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है और नाक और गले के बाद यह फेफड़े में चला जा रहा है।
अब कोरोनावायरस जब आपके शरीर में पहुंच जा रहा है तो आपके साथ हो क्या रहा है सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट बात अब आपको बताने जा रहा हूं। देखिये जब भी कोई वायरस या बैक्टीरिया या कोई भी fungus हमारे शरीर में आता है तो हमारा शरीर उससे लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार रहता है। हमारा इम्यून सिस्टम ऑलवेज एक्टिव रहता है उससे निपटने के लिए।
होता क्या है जैसे ही वायरस शरीर में पहुंचता है शरीर उससे लड़ने के लिए शरीर के अंदरूनी भाग के अंदर की लाइनिंग में ज्यादा से ज्यादा म्यूकस प्रोड्यूस करने लग रहा है। म्यूकस क्या होता है, आप देखते होंगे आप रोने लगते हो या जब आपको बुखार होता है तो आपके नाक से निकलता है चिपचिपा सा पदार्थ जिसे आप शायद कफ कहते हो। आप ऐसा कहते हो कि लो रुमाल से नाक पोंछ लो। वही चिपचिपा पदार्थ शरीर पर produce करने लगता है। कारण यह होता है कि जब वह चिपचिपा पदार्थ ऑर्गन के लाइनिंग के अंदरूनी वाले भाग से निकलने लगता है तो उसमें वायरस सा बैक्टीरिया चिपक चिपक कर मरने लगते हैं या उसके अंदर वाइट ब्लड सेल्स के कुछ कण होते हैं जो उसके साथ क्रिया करके उसे निष्क्रिय कर देते हैं।
अब देखिए फेफड़े में जैसे यह virus आता है तो फेफड़ा इतना ज्यादा वह चिपचिपा पदार्थ म्यूकस जिसे हम कभी-कभी बलगम या कफ भी कह देते हैं जो नाक से निकलता है वह बहुत ज्यादा प्रोड्यूस करने लगता है केवल और केवल वायरस से निपटने के लिए और यह जो sac लाइक structure है जिसे alvoli कहते हैं फेफड़े में।
वह पूरी तरीके से इसी म्यूकस से भर जा रहा है जब हम ऑक्सीजन ले रहे हैं तो ऑक्सीजन बिल्कुल भी ब्लड स्ट्रीम में पास ही नहीं हो पा रहा है और लोग generally इसे कह देते हैं कि भाई फेफड़े में तो पानी भर गया है इसलिए व्यक्ति की मौत हो गई है। जिसकी वजह से लोग और समय ही मृत्यु को प्राप्त हो जा रहे हैं।
लेकिन आपके लिए गुड न्यूज़ है, आपके पास जितनी ज्यादा सही-सही इंफॉर्मेशन होगी आप उतना ही ज्यादा उस इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल करके अपने आप को स्वस्थ रख सकते हो। इसलिए आपको एक बहुत अच्छा एडवाइज देता हूं आप जितना हो सके उस लिक्विड लाइक म्यूकस जिसे आप कह रहे हो कि फेफड़ों में पानी भर गया है उसे आप फेफड़े से जितना ज्यादा बाहर निकाल सकोगे अपने नाक के जरिए अपने मुंह के जरिए समय समय के अंतराल पर उतना ही ज्यादा ऑक्सीजन को blood में पास करवा पाने में मदद कर पाएंगे।
प्रयास कीजिए कि आपको छींक आये, छींक एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें फेफड़ा बहुत ही pressure के साथ एयर को बाहर की ओर फेंकता है। जिसकी वजह से यह जो म्यूकस built-up हो गया है फेफड़े में वह भी बाहर निकल पाएगा या फिर डीप breathing या कुछ प्राणायाम के एक्सरसाइज को करके भी आप उस built-up म्यूकस को ज्यादा से ज्यादा निकाल सकते हो।