जब आप को आप की लोकेशन जाननी होती है तो आप अपने मोबाइल में अपना जीपीएस ऑन करते हैं और अपने मोबाइल फोन में मैक्सिमम केस में गूगल मैप खोलकर देखते हो और आपको आपकी लोकेशन पता चल जाती है। यह तो हुई आप की लोकेशन पता करना पृथ्वी के अंदर यानी अगर आपको यह जानना है कि पृथ्वी के अंदर आप कहां पर हो पृथ्वी के वक्र पृष्ठ पर आप कहां पर मौजूद हो तो यह देखने के लिए आप जीपीएस का इस्तेमाल करते हो
और आपको यह बात तो पता ही है कि जीपीएस काम करता है हम मनुष्य द्वारा अंतरिक्ष में छोड़े गए कुछ सेटेलाइट के द्वारा जो हमारे फोन में या किसी भी डिवाइस में लगे जीपीएस सिस्टम को डिटेक्ट कर पृथ्वी के अंदर हमारी लोकेशन को बता देता है। ये आज के 21 वी सदी में मानव की सबसे बड़ी क्रांति में से एक है क्योंकि जीपीएस के आ जाने के बाद से मनुष्य पृथ्वी के हर जगह पर कोने-कोने में वहा जाकर छुपी हुई चीज़ों को भी जान पा रहा हैं।
लेकिन अगर आपसे यह कहा जाए कि आपको यह बताना है कि हमारी पृथ्वी इस अंतरिक्ष में कहां पर है। इस अंतरिक्ष के परिपेक्ष में हमारे पृथ्वी कहां पर स्थित है तो यह जानना हमारे लिए बहुत ज्यादा कठिन हो जाएगा। क्योंकि अंतरिक्ष तो बहुत बड़ा है उसकी मैपिंग बहुत ज्यादा कठिन है। एक 3D व्यू में देखना पड़ेगा space time को और तो और अंतरिक्ष अनंत है उसमें कई सारी गैलेक्सी हैं उसमें कई सारे तारे हैं और उन चारों के चारों ओर कुछ छोटे छोटे ग्रह हैं। जिनमें से हमारा एक पृथ्वी भी है जो कि सूर्य का चक्कर लगाती है। अब इतनी कठिन चीज कर पाना यानि पृथ्वी का लोकेशन जान पाना यह वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही ज्यादा टेढ़ी खीर थी। पर लाइट है ना जोकि दूर-दूर तक ट्रेवल कर पाती है बहुत ही तेज रफ्तार से उसकी वजह से वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की लोकेशन को हमारे मिल्की वे गैलेक्सी के अंदर जान ही लिया है। तो चलिए एक बार जान लेते हैं पृथ्वी के लोकेशन को
जैसा कि आप जानते हैं कि अंतरिक्ष अनंत है उस अंतरिक्ष में कई सारी गैलेक्सीया होती हैं यानी इसे आप ऐसे समझ गए कि अंतरिक्ष बिल्कुल काला सा अंधकार में फैला हुआ एक स्पेस है और उसमें बहुत ही बड़े बड़े जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते इतने बड़े-बड़े एक तश्तरी जैसी संरचना होती है जिसे हम गैलेक्सी कहते हैं इन्हीं गैलेक्सी के अंदर तारे होते हैं और तारों के चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते रहते हैं अब देखिए हमारी पृथ्वी जिस गैलेक्सी में मौजूद है उसे आकाशगंगा कहते हैं यानी मिल्की वे गैलेक्सी। अब यह मिल्की वे गैलेक्सी की संरचना ऐसी है कि इसमें दो major स्पाइरल arms निकले हुए हैं जिनमें से हर एक भुजा कई सारी शाखाओं में फैली हुई है जिनके नाम है Scutum Centaurus और Perseus।
और 2 माइनर भुजाएं होती है वह भी शाखाओं में बंटी रहती हैं जिनके नाम है Norma और sagittarius

बात करे हमारे गैलेक्सी की size की तो हमारी गैलेक्सी 120000 लाइट ईयर के डायमीटर में फैली हुई है और यह 1000 लाइट ईयर जितनी मोटी भी है। अब जब हम परसियस arm और saggitarius arm के बीच के हिस्से को देखते हैं तो हम पाते हैं कि वहां पर एक छोटी सी शाखा निकली हुई है जोकि इन भुजाओं की तुलना में थोड़ी छोटी है। इसे orion spur के नाम से जाना जाता है और इसी orion spur में मौजूद है हमारा सन यानी हमारा सौरमंडल जोकि गैलेक्सी के सेंटर से लगभग 25000 लाइट ईयर दूर है और यह पूरी भुजाएं गैलेक्सी के सेंटर का चक्कर काटती रहती है।
और आपको तो पता ही है कि हमारी पृथ्वी हमारे सूरज का ही चक्कर लगाती रहती है। इसलिए अगर आपको जानना है कि हमारी पृथ्वी इस अंतरिक्ष मे कहां पर है तो इस चित्र को ध्यान से देखिए यहीं पर इसी और orion spur में ही हमारी पृथ्वी है। बहुत छोटी से एक रेत के कण जितनी बड़ी। जोकि गैलेक्सी के सेंटर से लगभग 25 से 27000 लाइट ईयर दूर है और आपको बता दें कि रात के आसमान में जो भी आप तारे देखते हो, जितना भी दूर आप देख पाते हो वो सब चीजें आप इसी orion spur के मटेरियल को ही देख पाते हो। क्योंकि यह गैलेक्सी इतनी बड़ी है कि इसमें 400 अरब तारे मौजूद है अब जरा सोचे कि हमारा अंतरिक्ष कितना बड़ा होगा। अंतरिक्ष में हमारी गैलेक्सी रेत की एक कण जितनी भी नहीं है और उसमें पृथ्वी की तो कोई हैसियत ही नहीं है।
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