मैंने आपको बताया है कि अंडमान निकोबार आइलैंड का निर्माण कैसे हुआ है अब जान लेते हैं भारत के एक और सबसे महत्वपूर्ण दीप समूह का जिसका नाम है लक्षदीप उस का निर्माण कैसे हुआ है? क्योंकि अंडमान निकोबार के उलट इन द्वीप समूह का निर्माण बहुत ही अलग ढंग से हुआ है।
यह जो हमारा भारत है main Land इंडिया है इसका निर्माण कैसे हुआ. यह कहां से आ गया है इसको भी इसके बारे में जानना है तो इसके बारे में मैंने एक post लिखा हुआ है। लेकिन अभी हम जानते हैं कि लक्षद्वीप का निर्माण कैसे हुआ है.
लक्षदीप भारत के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में मात्र और मात्र 32 किलोमीटर स्क्वायर के क्षेत्र में कई सारे दीप समूह का एक archipelagos है. लक्षद्वीप का शाब्दिक अर्थ है 1 लाख द्वीपों का समूह।
लक्षदीप का निर्माण समुद्र में रहने वाले एक लिविंग ऑर्गेनाइज्म ने किया है और केवल लक्षदीप ही नहीं पूरे दुनिया भर में इन लिविंग ऑर्गेनाइज्म ने ऐसे ही कई सारे द्वीपों का निर्माण किया है। इन लिविंग ऑर्गेनाइज्म को कहा जाता है कोरल पॉलिप्स। यह कोरल पॉलिप्स समुद्र में कोरल का निर्माण करते हैं। कैल्शियम कार्बोनेट का एक बिलकुल सख्त चट्टान जो कि समुद्र में एक द्वीप की तरह उभर कर आ जाता है चलिए आपको पूरी बात बताते हैं।
देखिए समुद्र में वह जगह जहां पर तापमान 23 से 27 डिग्री सेल्सियस होता है जहां पानी बहुत ज्यादा गहरा नहीं होता है वहां पर एक जीव होता है या कहीं एक लिविंग ऑर्गेनाइज्म जिसका नाम है कोरल पोलीप्स, एक algae के साथ मिलकर जो कि एक लिविंग ऑर्गेनिक ही है उसका नाम है zooxanthellae कैल्शियम कार्बोनेट की एक चट्टान जैसी संरचना बनाता है जो कि समुद्र में उभर कर आ जाता है जिसे हम कोरल रीफ के नाम से जानते हैं। पर यहां समस्या यह है कि कोरल पॉलिप्स को कैल्शियम कार्बोनेट का निर्माण करने के लिए कार्बन की आवश्यकता पड़ती है और यह कार्बन उसे मुहैया करवाता है यह काई। क्योंकि कोरल पॉलिप्स खुद फोटोसिंथेसिस की क्रिया नहीं कर सकता। चलिए आपको इसके बारे में पूरी तरीके से बताते हैं कि आखिर कैल्शियम कार्बोनेट का निर्माण कर यह समुद्र में आईलैंड कैसे बनाते हैं।

देखिए algae एक ऐसा लिविंग ऑर्गेनाइज्म होता है जो सूर्य के प्रकाश की मदद से फोटोसिंथेसिस करके कार्बन को release करता है। और यही बाहर निकाला हुआ कार्बन कोरल पॉलिप्स अपने अंदर अवशोषित कर लेता है। क्योंकि कोरल पोलिप्स को कोरल रीफ का निर्माण करने के लिए कार्बन की आवश्यकता होती है और यह कार्बन की आवश्यकता पूरा करता है। यह zooxanthellae नाम का algae. बदले में zooxanthellae को एक प्रोटेक्टिव शेल्टर की आवश्यकता होती है। जिसके अंदर वह फल फूल सके। इसके अंदर वह अपने कुछ केमिकल रिएक्शन को पूरा कर सके और और यह प्रोटेक्टिव shelter उसे देता है यह यह कोरल पोलीप्स।
देखिए coral polypse को कार्बन मिलते ही यह समुद्र में ही कैल्शियम कार्बोनेट नाम के सख्त परत को सीक्रेट करने लगते हैं जिसके बाद से समुद्र में यह कठोर चट्टान की परतें उभरने लगती हैं कोरल पॉलिप्स कैल्शियम कार्बोनेट को सीक्रेट कर वहीं पर मर जाता है और एक इन कठोर चट्टानों के ऊपर दूसरा coral polypse और कैल्शियम कार्बोनेट release करता है और इसी कारण से समुद्र में यह चट्टान नुमा आईलैंड बन जाते हैं। हमारे भारत का लक्षद्वीप आईलैंड कोरल reef ही है।
इस समय भारत के इस लक्ष्यद्वीप आईलैंड पर कुल 64,000 लोग रहते हैं। लक्षदीप में कुल 36 आईलैंड है जिसमें कई सारे atols reefs और आईलैंड हैं।
और आपको बता दें कि केवल लक्षदीप ही नहीं भारत के समुद्र तटों पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भी कई ऐसी जगह है जो कोरल रीफ से बनी हुई है। ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ तो पूरी दुनिया भर में फेमस है जो कि ऑस्ट्रेलिया को समुद्र की खतरनाक लहरों से बचाता भी है।