क्या आप जानते हैं दुनिया में सबसे मजबूत मैटेरियल कौन सा है. अभी तक का सबसे strongest मैटेरियल जो भी हम जानते होंगे वो शायद टंगस्टन होगा जिससे बुलेट बनती है। जिससे मिसाइल और स्पेसक्राफ्ट जैसी चीजें बनती हैं। हीरा के बारे में सुना होगा जो कि कार्बन से ही बना होता है लेकिन इतना मजबूत होता है कि उसको काटने के लिए कुछ स्पेशल टाइप की मशीनों की आवश्यकता पड़ती है।
और लोहा तो हम सभी जानते हैं जिसका प्रयोग हम अपने जीवन में करते हैं और उसे काफी मजबूत मानते हैं। पर क्या होगा जब आप यह सुनेंगे कि यह सब तो एक ऐसे मटेरियल के सामने तीनके जितने कमजोर है। जिसको फूकने मात्र से ही वह बिखर जाए। जिसके एक पतली से कागज जितनी मोटाई होने पर भी उसे उसे अगर आरी से भी काटो तो भी वह न कटे फटे और यह मटेरियल नेचुरली नहीं बल्कि मनुष्यों ने खुद अपने इन्वेंशन से इस दुनिया को दिया है।
और बताया जाता है कि आने वाले दिनों में यह पदार्थ दुनिया के सभी चीजों पर राज करेगा क्योंकि ये इतना ज्यादा मजबूत है इतना ज्यादा ड्यूरेबल है कि रोड रोलर के चलाने पर भी उस मटेरियल को कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
2 वैज्ञानिकों ने जिनका नाम आंद्रे जिम और कांस्टेंटिन नोवोसेलोव ने एक ऐसे पदार्थ को जन्म दिया जो इस दुनिया में सबसे ज्यादा मजबूत पदार्थ था। उसका पदार्थ का नाम था ग्रेफीन। आपने स्कूल के दिनों में कभी पेंसिल का इस्तेमाल तो किया ही होगा और जब आप पेंसिल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जिस पेंसिल की टिप से आप लिखते हो, वह बना होता है ग्रेफाइट से। वही डार्क रंग जिससे पेंसिल कोई चीज लिखती है।
इन दो वैज्ञानिकों ने जब इन पेंसिल के ग्रेफाइट मैटेरियल को इकट्ठा करके एक सेलोटेप से इन मटेरियल को चिपका के इसके बाद इसको खोला तो उन्हें मिला एक सिंगल atom की लेयर से बना हुआ शीट जैसी संरचना जो कि इतना ज्यादा मजबूत था कि दुनिया की कोई भी चीज इससे तोड़ नहीं सकती थी, काट नहीं सकती थी और फाड़ भी नहीं सकती थी और वजन की बात करें तो यह इतना ज्यादा हल्का था जिसकी कल्पना भी नहीं किया जा सकता है।
इसके 1 मीटर स्क्वायर के सीट की वजन मात्र और मात्र 0.7 ग्राम था जो कि दुनिया में सबसे हल्का और सबसे मजबूत मटेरियल बन गया था। हल्का होने के साथ-साथ यह मटेरियल बिजली का इतना अच्छा कंडक्टिव मैटेरियल है कि इसके जरिए अगर करंट का ट्रांसफर कराएं तो यह 0% लॉस के साथ इलेक्ट्रिसिटी का ट्रांसफर कर सकता है।
और फ्लैक्सिबिलिटी की बात ही मत करो इतना ज्यादा स्टेबल है कि अगर इसका सही से इस्तेमाल किया जाए तो दुनिया में ऐसी न जाने कितनी ही प्रकार के मटेरियल को हम बना सकते हैं जो कभी भी नष्ट ही नहीं होगी बल्कि ऐसे मटेरियल को नष्ट करने के लिए वैज्ञानिकों को एक अलग ही तरीके की टेक्नोलॉजी को इजात करना पड़ेगा इतना गजब का है ये graphene

इस मटेरियल की बनाने की शुरुआत 2004 में हुई जब इन 2 वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू किया और जब इन्होंने पेंसिल से प्राप्त ग्रेफाइट का इस्तेमाल कर इस सेलो टेप से कई बार चिपका कर इसकी परत को पाया तो उन्होंने पाया कि ये कार्बन की बनी हुई एक पतली सी सीट है जो कि एक 2D संरचना थी। इसकी थिकनेस ना के बराबर थी क्योंकि इस मटेरियल में केवल एक सिंगल एटम की ही लेयर से बना हुआ संरचना था।
पर अब तो मैं आपको यह बता रहा हूं कि यह मटेरियल ग्राफीन बना है ग्रेफाइट से जो की होती है पेंसिल कि वह डार्क रंग वाली संरचना जिससे हम लिखते हैं तो वह पेंसिल की नोक जिससे हम लिखते हैं वह ग्रेफाइट तो बहुत कमजोर होता है। कई बार तो लिखते लिखते पेंसिल की टिप टूट भी जाती है तो फिर यह ग्राफीन इतना ज्यादा मजबूत कैसे है।
देखिए ग्रेफाइट कि अगर हम संरचना देखते हैं जो की पेंसिल की टिप वाली मटेरियल होती है वह कार्बोन कई सारे लेयर से मिलकर बनी होती है। लेकिन इन लेअर्स के बीच दूरी इतना ज्यादा होती है यह बहुत ही ज्यादा कमजोर होता है। जिसकी वजह से हल्की सी फ़ोर्स से भी बहुत ही आसानी से टूट जाती है। पर ग्रेफीन केवल एक सिंगल एटम की लेयर से बनी हुई संरचना वाला मटेरियल होता है। जिस पर कितना भी प्रेशर लगा लो उसे तोड़ना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है।
इंजीनियरिंग की भाषा में अगर आप किसी मटेरियल किस strength को नापना चाहते हो तो आप उसे नापोगे tensile strength की पैमाने पर। जो कि होता है किसी मटेरियल की वह अधिकतम प्रेशर या फोर्स की सीमा जिस पर वह वह टूट जाता है या को collapse कर जाता है। इस graphene मटेरियल की tensile strength 130 गीगापास्कल है। साधारण भाषा में बताएं तो अगर आपको इस मटेरियल को तोड़ना होगा तो आपको इसके पर इंच स्क्वायर एरिया पर 9427 टन का फ़ोर्स लगाना पड़ेगा और आपको बता दें कि एक टन में 1000 किलो होता है।
यानी ये मटेरियल लोहे से भी इतना ज्यादा मजबूत है कि सही मायनो में बताया जाए तो हम इस दुनिया में कुछ सबसे अच्छे इलेक्ट्रिक कंडक्शन वाले मैटेरियल इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं और लोहे से भी हजारों गुना ज्यादा मजबूती हमें मिलेगी मात्र कागज से भी सौ सौ गुना से भी ज्यादा कम पतले मटेरियल में।
इसकी इलेक्ट्रिसिटी कंडक्शन की बात करें तो यह कॉपर से लाखों गुना ज्यादा अच्छा मटेरियल है। अभी दुनिया में इलेक्ट्रिसिटी के कुछ सबसे अच्छा मटेरियल है कॉपर और एलुमिनियम जैसे मैटेरियल लेकिन इन मैटेरियल में इलेक्ट्रिसिटी को ट्रांसफर करने में कुछ लॉस भी नही होता है। जिसका हम पूरी तरीके से यूटिलाइज नहीं कर पाते हैं। लेकिन इस मटेरियल में इलेक्ट्रिसिटी का लॉस लगभग ना के बराबर ही देखा गया है। इसका मतलब अगर हम इसका इस्तेमाल करेंगे तो हम ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति भी ला सकेंगे।
इतना ही नहीं यह ग्राफीन मटेरियल दुनिया में सबसे बड़ा अभेद्य मटेरियल है। यानी इस दुनिया में ऐसा कोई भी atom नहीं है जो इस मटेरियल के आर पार जा सके यहां तक कि दुनिया के सबसे छोटे के एटम हीलियम भी इसके आर पार नहीं जा सकते हैं।
इतना गजब का है यह मटेरियल। तो इस मटेरियल से आखिर बनाया क्या क्या जा सकता है और अगर यह मटेरियल आज के समय में जितना जल्दी हो सके टेक्नोलॉजी में लाया जा सके तो यह दुनिया कितना ज्यादा बदल जाएगी जिसकी हम कल्पना भी इस बुद्धि से तो नहीं कर पाएंगे।
जैसा कि इस मटेरियल का सबसे बड़ा गुण है इस दुनिया का सबसे मजबूत मैटेरियल है तो इसके सहायता से दुनिया के कुछ ऐसे वस्तुओं का निर्माण कर सकते हैं जो कभी टूटेगा भी नहीं। जिसकी durability इतनी ज्यादा होगी की इससे किसी भी स्थिति में टूटने का खतरा ही नहीं होगा।
उदाहरण के लिए हम इस मटेरियल से ऐसे स्पेसशिप का निर्माण कर सकते हैं जो बहुत ज्यादा मजबूत होगा और जो अंतरिक्ष में बहुत दूर तक सफर कर सकेगा और चुकी यह इलेक्ट्रिसिटी का बहुत ही अच्छा कंडक्टर है इसीलिए ये heat का भी बहुत अच्छा कंडक्टर ऑटोमेटिक ही हो जाता है। इसी कारण से इसके जरिए ऐसे स्पेसशिप में एनर्जी को इस तरह से व्यवस्थित किया जा सकता है। जिससे कम से कम एनर्जी में ज्यादा से ज्यादा दूरी तय किया जा सकेगा।
आज दुनिया में न जाने ऐसे कितने ही मोबाइल फोन है जो यह दावा करते हैं कि उनकी स्क्रीन इतनी मजबूत है कि कितने भी ऊंचाई से उन्हें पटक दो वह कभी टूटेंगे नहीं लेकिन कुछ कंडीशन में उनके स्क्रीन को तोड़ा जा सकता है लेकिन जब इस मटेरियल का दुनिया में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने लगेगा तो ऐसे फोन बनाए जाने लगेंगे जो कभी टूटेंगे ही नहीं।
जैसा कि मैंने आपको बता रखा है कि यह मटेरियल ऐसा मटेरियल है जो दुनिया का सबसे अभेद्य मटेरियल है। इस हिसाब से देखें तो हम एक पतली सी टीशर्ट जैसी संरचना बनाकर ऐसी बुलेट प्रूफ जैकेट बना सकते हैं जिसकी सहायता से हम अपने सैनिकों को एडवांस बुलेट फायर से भी बचा सकेंगे।
हम किसी भी मटेरियल के ऊपर इस मटेरियल की कोटिंग करके उस मैटर को इतना ज्यादा मजबूत बना देंगे कि ना तो उस पदार्थ में कभी जंग लगेगा और ना ही उस मटेरियल को थोड़े से टक्कर से नुकसान होगा जैसे हम आज की अपनी मोटरबाइक कार को इस मटेरियल से कोटिंग कर सकते हैं
यह तो इलेक्ट्रिसिटी का बहुत ही अच्छा कंडक्टर है इस हिसाब से देखें तो अगर हम इस मटेरियल से कंप्यूटर के चिप्स बनाने लगेंगे तो आज जो हम कैलकुलेशन कंप्यूटर पर कुछ माइक्रो सेकंड में करते हैं वह आप कुछ नए नैनो पिको सेकंड में होंगे यानी इतना तेज कंप्यूटर काम करेगा जिसकी सहायता से हम हैवी से हैवी एप्लीकेशन एक छोटे से कंप्यूटर में चलाने लगेंगे।
मटेरियल के सहायता से अब इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के आकार भी छोटे होने लगेंगे, मोबाइल तो इतने पतले बनने लगेंगे और कंप्यूटर भी इतने छोटे से आने लगेंगे की हमें उन का आभास भी नहीं होगा कि वह हमारे जेब में रखे हैं या नहीं।
आज जो हम और आरो का पानी पीते हैं उसमें कुछ ना कुछ हार्डनेस मिल ही जाता है लेकिन जब हम इस मटेरियल के मेंब्रेन से पानी को फिल्टर करने लगेंगे तो हम इसे समुद्र के खारे पानी को भी बिल्कुल मीठे पानी में फिल्टर कर सकेंगे
आज जो हम बड़े-बड़े म्यूजिक के स्पीकर देखते हैं इस मटेरियल के इस्तेमाल से वह आप छोटे से इंच मात्र के स्पीकर से हम बहुत ही हाई क्वालिटी साउंड को सुन पाएंगे और क्योंकि यह मशीन बहुत ही ज्यादा फ्लैक्सिबल है तो इसकी सहायता से हम अपने शरीर में आर्टिफिशियल मसल्स का निर्माण भी कर सकेंगे है। ना कमाल का