1982 में पहली बार पूरी दुनिया में 1G सिस्टम आया था, इस 1G में केवल व्यक्ति वॉइस कॉल कर सकता था, फिर 1991-92 के समय में 2G आ गया था, इसमें क्या था कि इसमें व्यक्ति वॉइस कॉल भी कर सकता था, साथ-साथ मैसेज भी भेज सकता था। सन् 2000 के आसपास पूरी दुनिया भर में 3ग को introduce कर दिया गया, इसमें होता यह था कि आदमी फोन कर सकता था, मैसेज भेज सकता था, साथ-साथ मल्टीमीडिया जैसे इमेजेस और वीडियोस को भी ट्रांसफर कर सकता था।
2010 के आसपास पूरी दुनिया भर में 4G को लाया गया, 4G में क्या था 4G के साथ ही पूरी दुनिया भर में अब लोग वीडियो कॉल से बात करना शुरू कर दिए थे। मोबाइल में कैमरा था और बस, कैमरे को ऑन किया और आपकी सारी इनफार्मेशन आपकी रिलेटिव के पास भी चली जाती है।
और अब 2021 में दुनिया के कुछ देशों ने 5G टेक्नोलॉजी को यूज करना शुरू कर दिया है। 5G के आने से क्या होगा, अब आप घर पर बैठे-बैठे ही अपने मोबाइल फोन से अपनी कार को ड्राइव कर सकते हो, अपने 1000 किलोमीटर दूर वाले घर की लाइट को भी अपने मोबाइल के कमांड से ऑन या ऑफ कर सकते हो, है ना जबरदस्त टेक्नोलॉजी।
रैम क्या होता हैं – mobile ram kya hai in hindi
पर यह 5G आखिर काम कैसे करता है, किस आधार पर यह बातें कही जा रही हैं कि यह 5G इस आधार पर दुनिया को बदल देगा, चलिए आपको यह सब बातें बताते हैं…
देखिए यह सब समझने से पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि आखिर मोबाइल नेटवर्क काम कैसे करता है. हम किसी को जब फोन लगाते हैं या कोई डाटा ट्रांसफर करते हैं, तो ट्रांसफर होता कैसे है.
देखिए आपने किन्ही घरों की छतों पर मोबाइल टावर को तो देखा ही होगा, आपको पता ही होगा कि मोबाइल टावर का काम क्या है। इस मोबाइल टावर का काम आपके मोबाइल फोन से सिग्नल को भेजना या वहां से रिसीव करना होता है। एक बार मोबाइल से टावर तक सिग्नल आ गया, फिर उसके बाद उस मोबाइल से आने वाले डाटा को ट्रांसफर करने का काम, इसी मोबाइल टावर के नीचे से जाने वाले बड़े-बड़े वायर्स करते हैं।
देखिए होता क्या है इन टावरों के अंदर बड़े-बड़े ऑप्टिकल फाइबर वायर लगे रहते हैं जोकि एक रीजनल मोबाइल स्विचइंग सेंटर में जाकर कनेक्ट हो जाते हैं। वहां पर उस किसी स्पेसिफिक क्षेत्र के व्यक्तियों का मोबाइल सिम का डाटा जैसे आधार कार्ड वगैरह यह सब चीजें रजिस्टर्ड रहते हैं। जैसे मान लीजिए आप लखनऊ में हैं और आप किसी को भोपाल के व्यक्ति को फोन कर रहे हैं,
तो सबसे पहले जैसे ही आप भोपाल वाले व्यक्ति को फोन लगाएंगे तो आपके मोबाइल से सिग्नल नजदीकी टावर पर जाएगा, वहां से ये सिगनल टावर में लगे ऑप्टिकल फाइबर से होते हुए लखनऊ के रीजनल मोबाइल switching सेंटर में जाएगा। अब यही सिग्नल भोपाल वाले मोबाइल switching सेंटर की तरफ ट्रांसफर करेगा और फिर भोपाल की मोबाइल स्विच ऑफ सेंटर से यह सिग्नल भोपाल वाले व्यक्ति के नजदीकी टावर पर जाएगा।
और वहां से सिग्नल उस भोपाल वाले व्यक्ति के मोबाइल पर जाएगा और व्यक्ति को फोन आने लगेगा. इसी तरह कई जंक्शन पॉइंट से गुजरकर हमारा डाटा भी ट्रांसफर होता है।
लेकिन हमें इस वीडियो में ये जानना है कि यह 5G काम कैसे करता है। आखिर किस आधार पर लोग यह कह रहे हैं कि यह 4G के मुकाबले 100 गुना ज्यादा तेज स्पीड देगा। इसकी लेटेंसी यानी डाटा को रिसीवर और ट्रांसफर करने का जो टाइम है वह मात्र और मात्र 1 से 10 मिली सेकंड तक होगा चलिए, आपको बताते हैं….
देखिए नेटवर्क को 5G में अपग्रेड करने के लिए साइंटिस्ट ने नेटवर्क में 5 बड़े बदलाव किए हैं. सबसे पहला बदलाव 5G नेटवर्क को अपग्रेड करने में जो किया गया है, वो है 5g millimeter-wave पर काम करेगा, जिस की फ्रीक्वेंसी होती है 30 गीगाहर्टज से 300 GHz तक होती है। यानी यह बहुत ही हाई फ्रिकवेंसी की रेडियो वेव होगी जो कि दुनिया में पहली बार इस्तेमाल की जाएगी।
अगर आपको पता नहीं है, तो बता दे कि जिस भी wave की फ्रीक्वेंसी जितना तेज होती है उतना ही ज्यादा उसमें डाटा ट्रांसफर करने की capacity ज्यादा और फास्ट होती है। लेकिन इसका रेंज यानी इस फिजिकल रेंज बहुत ही ज्यादा कम होता है। यानी यह बहुत ज्यादा दूर तक फैल नहीं पाती है।
इसलिए 5G को और मजबूत बनाने के लिए दूसरा अपग्रेडेशन किया जा रहा है वह है कि हर ढाई सौ मीटर एक स्मॉल सेल्यूलर टावर लगाया जाएगा। जो कि इस मिलीमीटर वेव के रेंज को बढ़ाएगा। लेकिन साथ ही साथ जब नेटवर्क इतना अच्छा हो जाएगा, तब जाहिर सी बात है यूजर्स भी बहुत ज्यादा हो जाएंगे और इसलिए कंजेशन को कम करने के लिए टॉवर्स में मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट वाले मैसिव मीमो एंटीना लगाए जाएंगे।
जो की संख्या में 100 से भी ज्यादा हो सकते हैं, ये 5G को upgrade करने के लिए तीसरा बदलाव हैं। आपको बता दें कि 4G में इनकी संख्या केवल 10 से 12 होती थी, लेकिन 5G में अब एक टावर पर 100 एंटीना भी लग सकते हैं। साथ ही साथ जिस यूजर पर ज्यादा ट्रैफिक आ रही है, जो यूजर ज्यादा डाटा को कंज्यूम कर रहा है, दूसरे की तुलना में वहां पर ज्यादा अच्छी तरीके से डाटा को प्रोवाइड कराने के लिए beamforming टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि सिग्नल को यूज़र तक पहुंचाने के लिए सिग्नल को बिल्कुल beam के तरह यूजर तक प्रोवाइड कराया जाएगा, इसे सिग्नल ट्रैफिक मैनेजमेंट की तरह समझिये, ये चौथा बदलाव हैं 5g upgradation में।
फिर उसके बाद 5G नेटवर्क को अपडेट करने के लिए जो पांचवा बदलाव किया जा रहा है, वह है full duplex का, देखिए अब तक जो हम नेटवर्क यूज करते आ रहे थे, उसमें टावर पर लगे रिसीवर एक समय में एक ही काम कर पाते थे, या तो वह डाटा को रिसीव कर पाते थे या तो वह डाटा को ट्रांसफर कर पाते थे। लेकिन अब 5G टेक्नोलॉजी को फास्ट बनाने के लिए, इसमें सिग्नल को 2 लेन में कन्वर्ट कर दिया जा रहा है, मतलब अब कोई नेटवर्क टावर, सिग्नल रिसीव भी कर सकता है और सिग्नल को ट्रांसमिट भी कर सकता है वो भी एक ही समय में।
इन पांच बड़े बदलाव से 5G 4G के मुकाबले 100 गुना ज्यादा तेजी से काम करेगा, और इसकी लेटेंसी यानी सिग्नल का सर्वर पर जाना और सर्वर पर से डाटा को आपके कंप्यूटर में आने में बहुत कम समय लगेगा। इसी कोई कहते हैं लेटेंसी।
5G काम कैसे करेगा, देखिए मान लीजिए अगर आपको कोई मूवी डाउनलोड करनी है, आप उस साइट पर जाओगे, आप ने जैसे ही उस साइट पर कमांड दिया, डाउनलोड करने के लिए सबसे पहले तो आपके मोबाइल से इस सिग्नल पास के लगे चलने टावर से होते हुए, वहां से यह सिग्नल पूरी दुनिया भर में समुद्र के नीचे जो ऑप्टिकल फाइबर बिछा हुआ है, वहां तक ट्रैवेल करते हुए मां लीजिये उस मूवी का सर्वर Usa में कहीं है, तो वहां से data रीजनल स्विचिंग सेंटर तक आने में केवल और केवल 1 मिली सेकंड का टाइम लगेगा और टावर पर लगे मैसिव मीमो एंटीना इस सिग्नल को millimeter-wave से बिल्कुल लेजर बीम की तरह आपके मोबाइल पर भेजेगा।
और यह जो सिग्नल होगा, उसकी फ्रीक्वेंसी atleast 6 गीगाहर्टज से लेकर 100 गीगाहर्टज तक तो होगा ही, बिल्कुल high-frequency रेडियो wave में आपकी मूवी को 5 से 10 सेकेंड के अंदर ही, एक जीबी की मूवी को डाउनलोड करवा देगा।