फेफड़े में बलगम कैसे बनता हैं – how mucus formed in lungs

आप जब भी बीमार पड़ते हो, जब भी आपको जुखाम लगता है, तो आपके नाक से लगातार पानी बहने लगता है। एक चिपचिपा सा पदार्थ और जब आप को कई दिन तक बुखार रहता है, तब तो यह चिपचिपा पदार्थ अपना रंग भी बदल लेता है, हल्का ग्रीनीश कलर का हो जाता है, जानते हैं इस चिपचिपी से पदार्थ को कहते क्या है, इस चिपचिपे से पदार्थ को म्यूकस कहते हैं।

हमारे शरीर एक दिन में लगभग एक से डेढ़ लीटर mucus रिलीस करता है और इसका काम क्या होता है, दरअसल ये चिपचिपा पदार्थ हमारे शरीर के जितने भी ऑर्गन हैं, उन सभी के इनर लाइनिंग पर प्रोड्यूस होता है, और यह mucus mucin नाम के एक प्रोटीन से बने होते हैं। जिसके कारण से substance चिपचिपा सा रहता है, इसमें उसके अंदर बहुत सारा पानी और वाइट ब्लड सेल्स होता है। जब भी कोई बैक्टीरिया वायरस fungi या पैरासाइट हमारे शरीर में एंट्री करता है। तो हमारे शरीर के organ में जो इनर लाइनिंग में मौजूद म्यूकस मेंब्रेन होते हैं, वह म्यूकस रिलीज करने लगते हैं और इसी चिप चिप से पदार्थ में मिलकर यह pathogen नष्ट हो जाते हैं।

कैसे बनता हैं mucus फेफड़े मे –

देखिए जब हम अपने रेस्पिरेट्री सिस्टम की बात करते हैं, तो हमारे नाक से जो म्यूकस निकलता है, जो चिपचिपा सा हल्का सफेद रंग का ट्रांसपेरेंट सा वह हमारे नाक के अंदरूनी म्यूकस मेंब्रेन और इन nasal sinuses से निकलता है। होता यह कि जब हमारी एयर नाक में एंट्री करती है, तो air में मौजूद जो छोटे-छोटे बैक्टीरिया और वायरस होते हैं, उन को मारने के लिए हमारे नाक के अंदर यह mucus प्रजेंट होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह म्यूकस केवल हमारे नाक और साइंसेज के अंदर ही होता है, जब air ट्रेकिया पर आती हैं यानी windpipe के अंदर तो इसके अंदरूनी दीवार पर भी यह म्यूकस हमेशा बनता ही रहता है।

और हमारे फेफड़ों के अंदर हमेशा फ्रेश एयर बिना बैक्टीरिया वायरस के पहुंचती है। अब अगर किसी तरीके से बाई चांस हमारे फेफड़ों के अंदर हमारे alveoli के अंदर बैक्टीरिया या वायरस पहुंच जाते हैं, तो इन alveoli के अंदर शरीर बहुत ही तेजी से म्यूकस बनने लगता है। जिसके कारण से इन alveoli के अंदर inflammation होने लगता है। और जब हम कभी भी अपने फेफड़े के अंदर से म्यूकस को बाहर निकालते हैं, तो इसमें उसका कलर हमें गहरे या हल्के ग्रीनीश रंग में दिखता है। अब जो म्यूकस जिसमें उसके अंदर बैक्टीरिया और वायरस से मिले हुए हैं जो कि हमारे alveoli या bronchioles निकल रहा है, इसे phlegm कहते हैं।

और यह जो phlegm का कलर हल्के ग्रीन color का होता है, असल में इस हरे रंग कारण जो बैक्टीरिया और वायरस हमारे इस alveoli के अंदर आ गए थे, उसको मारने के लिए जो वाइट ब्लड सेल्स आई थी, वह वाइट ब्लड सेल्स कुछ एंजाइम रिलीज करते हैं, उसके कारण से इसका कलर गहरे या हल्के green रंग में बदल जाता है।

Previous articleपेट तक सांस लेने से क्या होता हैं – belly breathing in hindi
Next articleभोजन फेफड़े में क्यों नही जाता हैं – epiglottis function in hindi