तारों की मृत्यु कैसे होती हैं – death of stars in hindi

death of stars in hindi – आपको ये बात पता ही होगा कि ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी चीज़े हम देख रहे हैं,

जैसे कोई तारा, कोई गैलेक्सी या कुछ भी, एक ना एक दिन उनका अंत होना ही होना हैं।

ये धूमकेतु, उल्का पिंड, मंदाकिनियाँ, ये सब एक दिन नष्ट हो जायेंगी।

उसी तरह आसमान टिमटिमाने वाले तारे भी एक दिन नष्ट हो जायेंगे।

और तारों की मृत्यु की प्रक्रिया बहुत रोचक और रोमांचक होती हैं।

तो चलिए जानते है कि आखिर कोई तारा मरता कैसे हैं…..

तारो की मृत्यु उनके द्रव्यमान पर निर्भर करता हैं :-

तारों की मृत्यु तारों के द्रव्यमान (mass) पर निर्भर करता हैं।

एक तारे के पास जितना ज्यादा mass होता हैं उसके पास उतना ही मटेरियल होता हैं।

लेकिन ज्यादा mass वाले तारे के gravitational force के कारण उसके कोर का तापमान ज्यादा होता हैं।

इसलिए उस तारे का मटेरियल जल्दी जल (burn) हो जाता हैं। और वो जल्दी मरते हैं, कम mass वाले तारे की तुलना में। (death of stars in hindi)

उदाहरण के लिए एक Red Dwarf तारा जो कि अपने सूर्य के mass का लगभग 50% ही होता हैं,

ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा दिन तक जीवित रहने वाले चीज़ों में से एक हैं।

एक Red Dwarf Star अपने बहुत कम mass और कम कोर तापमान के कारण

अपने मटेरियल को बहुत ही धीरे धीरे जलाता (burn) हैं। और ये चमकता भी बहुत कम हैं।

कैसे मरते हैं अलग अलग द्रव्यमान के तारे :-

अब यहाँ से हम बात कर लेते हैं अलग अलग mass के तारे मरते कैसे हैं।

आपको मैं ये बात बता दूं कि एक कम mass वाले तारे की मृत्यु (death of stars in hindi) अलग प्रकार से होती हैं,

एक माध्यम mass वाल तारे की मृत्यु अलग प्रकार से होती हैं, और एक बड़े mass वाले तारे की मृत्यु अलग प्रकार से होती हैं।

कम mass वाले तारे की मृत्य : सफ़ेद बौना (white dwarf in hindi) –

जो तारे सूर्य के mass से 0.08 से 8 गुना तक होते हैं, वो कम mass के तारे माने जाते हैं।

जब ये कम mass वाले तारे अपने पूरे मटेरियल को fuse यानि संलयित कर लेते हैं

तो उनमे nuclear fusion यानि नाभिकीय संलयन की क्रिया बंद हो जाती हैं।

जिसके कारण तारे का nuclear energy के कारण बाहर की ओर लगने वाला force

और अंदर की ओर लगने वाला force जो की gravitational force के कारण लगता हैं,

संतुलन में नही रह पाता हैं। और तारा अपना 50% mass planetary nebula (ग्रहीय निहारिका) के रूप में बाहर छोड़ देता हैं।

और बचता हैं केवल तारे का सफ़ेद चमकीला कोर जिसे सफ़ेद बौना (white dwarf in hindi) कहते हैं। (death of stars in hindi)

ये white dwarf अरबों साल तक चमकाने के बाद अंत में black dwarf बनकर नष्ट हो जाते हैं।

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मध्यम mass वाले तारे की मृत्यु : न्यूट्रॉन तारा (neutron star in hindi) –

मध्यम mass वाले तारे जो कि सूर्य से 8 से 20 गुना तक बड़े होते हैं।

इन तारों में fusion की क्रिया बंद होने के बाद जब इन तारो के कोर का mass 1.4 गुना सूर्य के mass के बराबर पहुच जाता हैं,

तब इसके कोर के अणु के अंदर electron और proton क्रिया करके neutron का एक dense कोर बना लेते हैं।

और कोर के बाहर की लेयर सुपरनोवा धमाके के कारण बाहर अन्तरिक्ष में फैल जाता हैं।

और पीछे छोड़ जाता हैं लगभग 25 km के diameter का एक बेहद ही dense गोला,

यही गोला बन जाता हैं neutron star. ये neutron star अरबों साल तक उर्जा क्षय करने के बाद मर जाते हैं।

ज्यादा mass वाले तारे की मृत्यु : ब्लैक होल (black hole in hindi) –

ज्यादा mass वाले तारे जो की सूर्य से 20 गुना या उससे ज्यादा बड़े होते हैं।

ये तारे जब अपने अंत पर होते हैं तब इनके कोर अपने ही अन्दर लगातार सिकुड़ते हुए black hole बना लेते हैं (death of stars in hindi)।

इसमें बड़े तारे के कोर तारे जब सूर्य के mass से 1.4 गुना ज्यादा हो जाते हैं,

तब ये तारे सुपरनोवा धमाके के साथ ही अपने gravity के कारण लगातार सिकुड़ते हुए black hole बना लेते हैं।

इस जानकारी को विडियो के रूप में देखने के लिए ये विडियो देखिये :-

तारों का जीवन चक्र

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