innate immune system कैसे काम करता है

आपको यह बात पता ही होगा कि हमारे हड्डियों के अंदर बोन मैरो भरा जाता है। हमारे long bones के एंड की तरफ रेडबोन मेरा होता है और इन्हीं लोंग बोंस के बीच में yellow bone marrow भरा रहता है। ये जो रेड बोन मैरो है इसमें एक cell पाई जाती है hematopoietic stem cell कहते हैं। hematopoietic stem cell से ही रेड ब्लड सेल्स बनते हैं, प्लेटलेट्स बनते हैं और वाइट ब्लड सेल्स बने होते हैं। यह वाइट ब्लड सेल्स ही हमारे इम्यून सिस्टम में बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट role play करते हैं। और यह वाइट ब्लड सेल्स दरअसल चार प्रकार के होते हैं, और यह सभी के सभी रेड बोन मैरो के हेमेटोपोेटिक स्टेम सेल से बनते हैं।

देखिए चार प्रकार के जो वाइट ब्लड सेल्स हैं यह कौन कौन से होते हैं neutrophils eosinophils basophils और monocytes,
जो मोनोसाइट है यह जरूरत के अनुसार मैक्रोफेज और डेंड्रिटिक सेल में बदल जाता है और यही डेंड्रिटिक सेल और macrophage हमारे इम्यूनिटी को बनाए रखने में सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं। चलिए अब चीजों को बिल्कुल ऑर्गेनाइज तरीके से समझते हैं।

देखिये जब हम पैदा हुए होते हैं, बचपन से ही एक इम्यून सिस्टम हमारी रक्षा करता रहता है, और यह हमारे बॉडी में इनबिल्ट रहता है, आज हम उसी इम्यून सिस्टम की बात करने जा रहे हैं। जिसे इन नेट इम्यून सिस्टम कहते हैं।

देखिये जब भी कोई बैक्टीरिया वायरस हमारे शरीर में घुसता है, तो ये हमारे शरीर के particular tissue को डैमेज करने लगता है। वह जो tissue है, जहां पर वायरस या बैक्टीरिया है, वह वहां के सेल्स को डैमेज करने लगता है। जिसकी वजह से यह जो cell है, यह एक प्रकार के सिग्नल को फैलाने लगते हैं। शरीर को यह बताने के लिए कि यहां पर वायरस आ गया है, जो यहां पर यह शरीर को डैमेज कर रहा है।

यह जो सिग्नल होता है, यह दरअसल pathogen associated molecular pattern (pamp) के आधार पर होता है। यह भेजा हुआ सिग्नल दरअसल हमारे शरीर का जो सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट इम्यून सेल है, जो हमारे innate immune system का बैकबोन है, मैक्रोफेज वह इसे डिटेक्ट कर लेता है।

डिटेक्ट करते ही macrophage इन बैक्टीरिया या वायरस को खाना शुरू कर देता है। लेकिन जैसे ही ब्लड में circulate हो रहे neutrophil को जो कि एक petroling पुलिस की तरह होती है, हमारे शरीर में यह बात पता चलता है कि पर्टिकुलर टिशू में वायरस इन्फेक्शन हो गया है, तो वह भी इस बैटल फील्ड में उतरकर इन viruses को मारना शुरू कर देते हैं। पर न्यूट्रोफिल जब इन pathogen को kill कर रहा होता है, साथ ही साथ inflammatory substance जैसे साइटोकींस वगैरह को भी रिलीज करता ही रहता है। जिसे उस जगह पर सूजन और जलन जैसी चीजें होने लगती हैं।

देखिये आपको यह पता चल चुका है कि 4 वाइट ब्लड सेल्स में से न्यूट्रोफिल का काम क्या होता है। अब थोड़ा यह जान लेते हैं कि इस eosinophils का काम हमारे शरीर में क्या होता है। बैक्टीरिया और वायरस जैसे चीजों को फगोसाइट macrophage कर सकता। लेकिन जब कोई पैरासाइट हमारे शरीर में आता है तो उसे किल करना बहुत कठिन होता है। इसके लिए जिम्मेदारी शरीर में eosinophiil के पास होती है। ऐसे ऐसे प्रोटीन रिलीज कर देता है, पैरासाइट के सरफेस पर जो इसके पैरासाइट को अंदर से खोखला कर के पैरासाइट को किल कर देता है। साथ ही साथ कोई भी allergens जैसे pollens वगैरह उसे भी काउंटर करने में ये मदद करता है।

तीसरा वाइट ब्लड सेल्स है basophils यह basophils भी पैरासाइट और बैक्टीरिया को किल करने का काम तो करता ही है, प्लस साथ साथ ही है ऐसा प्रोटीन भी रिलीज करता है, जो कभी भी ब्लड को clot होने नहीं देता है। मतलब ब्लड जमने नहीं पाता है। देखिये basophils allergens में भी बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल पर करता है। ऐसे ऐसे chemical रिलीज करता है जो हमारी tissue को डैमेज भी कर सकता है।

और चौथा जो वाइट ब्लड सेल है, मोनोसाइट वह जरूरत के अनुसार मैक्रोफेज और डेंड्रिटिक सेल में बदल जाता है। माइक्रोफेज तो नॉर्मल ही टिशू में ही reside होकर वहां पर pathogens को kill करता है। पर अगर किसी भी प्रकार से यह macrophage इन pathogens को अगर kill नहीं कर पाता है, तो यही मोनोसाइट डेंड्रिटिक सेल में बदलकर इंफेक्शन वाले जगह पर आकर, वहां पर इन बैक्टीरिया या वायरस के जो बाहरी परत पर प्रोटीन होते हैं, उन्हें अपने अंदर engulf करके अपने surface पर इन protein के part को कैरी करके, यह डेंड्रिटिक सेल ले जाता है, हमारे lymph node पर, जहां पर वह एक्टिवेट कर देता हमारे लिंफोसाइट को, जो कि एक स्पेशल किस्म का वाइट ब्लड सेल ही होता है।

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