किसी भी महिला के लिए गर्भधारण करने के लिए पूरी योजना और सावधानी बरतने की जरूरत होती है। वहीं, कई बार सभी सावधानियां बरतने के बाद भी गभर्धारण करना मुश्किल हो जाता है। फैमिली ग्रोथ के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, करीब 6.7 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं इनफर्टिलिटी (प्रजनन संबंधी समस्या) की शिकार होती हैं। यह समस्या शरीर में कमजोरी या फिर महिला या पुरुष में किसी तरह की चिकित्सीय कमी के कारण हो सकती है।
ऐसे में वैज्ञानिकों ने गर्भधारण करने के लिए ‘आईवीएफ’ नामक तकनीक की खोज की है। इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) कहा जाता है। इस लेख में हम ‘आईवीएफ’ प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख में आपको आईवीएफ कैसे किया जाता है, आईवीएफ के लाभ क्या हैं और नुकसान क्या हैं आदि सवालों के जवाब मिलेंगे। IVF को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन(in vitro fertilization) कहा जाता है जिसके द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे को आम भाषा में test tube baby भी कहा जाता है| यह एक आधुनिक वैज्ञानिक तरीका है, जिसके द्वारा गर्भधारण कराया जा सकता है|
इस तकनीक में महिला के अंडाशय में से अण्डों को बाहर निकाल कर प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है | जिसे हम embryo कहते हैं और उस भ्रूण(embryo)को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है,जिससे कि वो गर्भधारण कर सके | आज के समय में जब कोई भी दंपत्ति 1साल से भी अधिक लगातार गर्भधारण करने के प्रयास के बाद भी निःसन्तानता से परेशान होता है तो ऐसे दंपत्ति को असिस्टेड रिप्रोडक्टिव तकनीक की सहायता की जरुरत पड़ती है | IVF के बारे में कुछ गलतधारणाएं हैं जिनको हमे दूर करने की जरूरत है |
पहली गलत धारणा – निसंतान होने का कारण सिर्फ महिलायें होती है| जब कोई भी दंपत्ति निःसन्तान होता है तो सिर्फ महिला को ही जिम्मेदार माना जाता है और उसे बाँझ कहा जाता हे, जबकि निसंतान होने का कारण सिर्फ महिला के अंदर कमी होने से नहीं होता इस में पुरुष और महिला दोनों ही बराबर के जिम्मेदार होते हैं | इसलिए कोई भी इलाज़ का निर्णय लेने से पहले पुरुष और महिला दोनों की समान रूप से जांच होनी चाहिए | २-दूसरी गलत धारणा |
IVF तकनीक के द्वारा बच्चे पैदा करने में कष्ट होता है | IVF बहुत ही आसान और सरल इलाज़ होता है जिसमें कि कोई बड़े ऑपरेशन या भर्ती की आवश्यकता नहीं होती है | IVF के इलाज़ में बस एक कमी मानी जा सकती हे कि इसमें बस इंजेक्शन लगाने का कष्ट होता है क्युंकि अभी तक विज्ञान ने ऐसी कोई दवाई नहीं बनायी जिससे इंजेक्शन का कष्ट बचाया जा सके