गले से आवाज़ कैसे निकलती है – larynx anatomy in hindi

जब हम अपने गले की संरचना को देखते हैं, तब हम पाते हैं कि हमारे गले में दो पाइप जैसी संरचना होती है, एक होता है विंड पाइप, जो कि आगे की ओर होता है. और हमारे फेफड़े में जाता है, जिसके जरिए air travel करके फेफड़े तक पहुंचती है.

दूसरा होता फूड पाइप जो कि विंड पाइप की पीछे की ओर होता है, जहां से भोजन मुंह के जरिए हमारे पेट में जाता है. देखें जब हम अपने गले की एनाटॉमी को देखेंगे, तब हम पाएंगे कि हमारे गले में विंड पाइप के आगे की ओर एक संरचना होती है, जिसके कारण हमारे गले में यह उभरा हुआ notch निकला रहता है, जिसे इंग्लिश में ऐडम्स एप्पल कहते हैं. और हिंदी में इससे कंठ भी कहते हैं.

लेकिन जो कंठ वाला भाग हमारे गले में निकला होता है ना, इसे ही मेडिकल की भाषा में larynx या वॉयसबॉक्स भी कहते हैं, और यह वॉयसबॉक्स हमारे लिए बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है, क्योंकि इसी के जरिए हम बोल पाते हैं, हमारे कंठ से आवाज निकलती है.

चलिए हम सबसे पहले तो अपने इस कंठ की संरचना को देख लेते हैं, यानी वॉइस बॉक्स को… उसके बाद हम यह जानेंगे कि हमारे वॉइस बॉक्स से आवाज कैसे निकलती है।

हमारा वॉइस बॉक्स कुछ इस तरीके से दिखता है जिसे larynx कहते हैं। larynx  का length लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर तक होती है, और हम इसे अपने गले में बाहर की ओर से भी, हाथ लगाकर अनुभव कर सकते हैं।

देखिए हमारे larynx के अंदर मुख्यतः 5 संरचनाएं होती हैं। जिसके आधार पर हमारे larynx की रचना होती है, सबसे पहले हमारे गले में सबसे ऊपर की ओर होता है, हमारा hyoid Bone जो कि किसी और bone से जुड़ा नहीं रहता है. बल्कि मसल्स के थ्रू हमारे चेहरे और गले के बाकी हिस्सों से जुड़ा रहता है.

उसके बाद इसी हाई hyoid bone के नीचे एक मेंब्रेन से जुड़ा रहता है, हमारा थाइरॉएड कार्टिलेज, जिससे हमारा कंठ भी कहते हैं. देखिए इस का शेप  का होता है, हमारा कंठ और इसी के पोजीशन के चेंज होने की वजह से ही हमारे आवाज के pitch में चेंजेज भी लाते हैं।

फिर उसके बाद इसी थाइरॉएड कार्टिलेज से एक छोटे से मेंब्रेन से जुड़ा होता है cricoid कार्टिलेज जो कि नीचे से थायराइड कार्टिलेज को सपोर्ट करता है। यह तो हुआ हमारे वॉयसबॉक्स के सामने का स्ट्रक्चर, अब चलीये चलते हैं इसके अंदर के स्ट्रक्चर को देखने के लिए, जो कि सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट है जहां से आवाज़ उत्पन्न होती है।

देखिये सबसे पहले अंदर की ओर थाइरॉएड कार्टिलेज और hyoid bone के सहारे लगा रहता है, हमारा एपिग्लोटिस। जोकि हमारे शरीर का बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट पार्ट है, यह क्या करता है जब भी हम कोई भोजन खाते हैं, तो आप ध्यान दिया होंगे कि कभी भी भोजन हमारे विंड पाइप से होते हुए हमारे फेफड़े में नहीं जाता है। बल्कि फूड पाइप से होते हुए हमारे पेट में जाता है।

कान कैसे सुनता है – how do we hear sound in hindi

वह इसी एपिग्लोटिस के वजह से ही होता है, होता यह है कि जब हम कोई फूड को निगलते हैं, तो यह एपिग्लोटिस निगलते वक्त विंड पाइप को ढक लेता है, और एक नाली नुमा संरचना बना कर सीधे फूड पाइप में खुलता है। जिसके वजह से फूड हमेशा इसोफगस से होते हुए हमारे स्टमक में ही जाता है।

और यहां पर पीछे की ओर pair में एक कार्टिलेज पाया जाता है,जिसे arytenoid cartilage कहते हैं। यहीं से दो धागेनुमा संरचना निकली होती है, आगे की ओर। ये  धागेनुमा संरचना दरअसल लिगामेंट्स होती हैं, इसे ही वोकल कॉर्ड कहते हैं। जिन के दोनों तरफ मसल अटैच डरता है, और इसी मसल के वजह से ही यह वोकल कॉर्ड भी move कर पाते हैं।

सांस लेते वक्त मतलब इनहेलेशन के समय यह कवोकल कॉर्ड ओपन हो जाता है और expiration के वक्त की वोकल कॉर्ड बंद हो जाता है।

मुझे लगता है कि इतनी जानकारी वोकल कॉर्ड और larynx के बारे में पर्याप्त है. अब हमें यह जानना चाहिए कि आखिर यह काम कैसे करता है, आखिर ऐसा क्या होता है, कि ये आवाज प्रोड्यूस करने लगता है, चलिए जानते हैं….

देखिए हम सभी जानते हैं कि हम अपने नाक से सांस लेते हैं, यह एयर हमारे नाक से होते हुए हमारे विंड पाइप में जाती है, और विंड पाइप से होते हुए हमारे फेफड़े में चली जाती है. देखिए जब विंड पाइप से हवा हमारे फेफड़े में जाती है, तो वह  वोकल कार्ड से होकर भी गुजरती है। लेकिन सांस लेते वक्त यह वोकल कॉर्ड खुला रहता है, जैसे ही सांस अंदर गई vocal cord बंद हो जाता है और जब हम expiration करते हैं तब vocal cord खुल जाता है।

लेकिन जब हम अपनी इच्छा से कोई चीज बोलना चाहते हैं या कोई सांग गाना चाहते हैं, तो होता यह है कि हम अपने वोकल कॉर्ड को एक साथ ले आते, मतलब दोनों वोकल कॉर्ड के बीच गैप कम हो जाता है और अपने फेफड़े से हल्के प्रेशर के साथ एयर को बाहर क्यों छोड़ते हैं, इसे होता यह है की हल्के प्रेशर और एयर के वजह से वोकल कॉर्ड में वाइब्रेशन होने लगता है, और जैसा कि हम सब जानते हैं कि जब भी किसी चीज में वाइब्रेशन होता है, तो वह साउंड को भी प्रोड्यूस करता है।

देखिए वोकल कॉर्ड में वाइब्रेशन के कारण हमारे गले से आवाज तो निकलने लगती है, फिर जैसे ही वाइब्रेशन गले से आगे की ओर बढ़ती है, हम अपने होठ, दांत और तालु की वजह से इसे एक शब्द के रूप में परिवर्तन कर सकते हैं। यानी अपने जीभ दांत और होठ के शेप के अनुसार हम अलग-अलग शब्दों को बोल पाते हैं।

अब देखिए आप कभी-कभी पाते हैं कि कुछ लोगों के गले से बहुत ही करकसी सी आवाज़ सुनने को मिलता है। बिल्कुल अप्रिय बोली निकलती है, जैसे मानो उनके गले में कुछ खराश हो। देखिए ऐसी स्थिति में होता यह है कि उन व्यक्तियों का वोकल कॉर्ड बिल्कुल भी एक सिमेट्री में नहीं रहता है। यानी दोनों बिल्कुल एक पोजीशन में नहीं रहते हैं। एक पूरा खुला रहता है, तो एक कम खुला रहता है। या एक वोकल कॉर्ड ज्यादा पतला हो जाता है, या एक मोटा हो जाता है।

जब किसी व्यक्ति का वोकल कॉर्ड बहुत ज्यादा टेंस होता है, तो व्यक्ति का pitch बहुत ही हायर लेवल पर होता है, और जो व्यक्ति का वोकल कॉर्ड रिलैक्स position में होता है, तो एक low pitch की आवाज निकलती है।

यह रियल वीडियो देखिए कि कैसे व्यक्ति का वोकल कॉर्ड काम करता है अलग-अलग पिच के अकॉर्डिंग

और व्यक्ति के गले से निकलने वाली आवाज कितनी ज्यादा तेज होगी, यह इस बात पर डिपेंड करता है तो उसके फेफड़े से कितनी ज्यादा और किस इंटेंसिटी से एयर बाहर क्यों निकल रही है। और जब यही साउंड गले से बाहर निकाल कर हमारे बक्कल कैविटी, nasal cavity और हमारे चेहरे में पाए जाने वाले sinuses में आकर रिजोनेट होती है, तो अलग-अलग व्यक्तियों की अलग-अलग टोन हमें मिलती है, जिसके वजह से किसी की भी आवाज same नहीं होती है।

Previous articleजबड़े में दांत कैसे जुड़े रहते है – teeth anatomy in hindi
Next articleरीढ़ की हड्डी के अंदर क्या छुपा है – spinal cord – vertebral column