कितना तापमान झेल सकता है मानव शरीर – human body temperature

human body temperature – दुनिया में कुछ सबसे जटिल संरचनाओं में से एक है मानव शरीर, जिस को संचालित करने के लिए कई तरह के इंटरनल बॉडी रिएक्शन हमेशा चालू रहते हैं.

बाहर का वातावरण कैसा भी हो, हमारे शरीर की अंदरूनी क्रियायें हमारे अंदरूनी शरीर को हमेशा स्थिर रखने का प्रयास करती हैं.

हमारे शरीर की यह जटिलता ही है कि अभी भी मेडिकल साइंस के पास कई जटिल बीमारियों का कोई इलाज ही नहीं है.

और कुछ बीमारियों को तो हम केवल दवाइयां लेकर कंट्रोल ही कर पा रहे हैं.

रासायनिक क्रियाएं मेन्टेन करती हैं तापमान

एक मनुष्य के शरीर में खरबों खरबों कोशिकाएं होती हैं और इन कोशिकाओं में हर सेकेंड्स में खरबों खरबों क्रियाएं होती रहती हैं.

यह केमिकल रिएक्शन से हमारे शरीर में हीट जनरेट करते हैं,

जिसके कारण हमारे शरीर को ऊर्जा मिल पाती है. हम चल पाते हैं, बोल पाते हैं,

हमारे शरीर में जब इसी केमिकल रिएक्शन के कारण जब शरीर का इंटरनल बॉडी टेंपरेचर (internal body temperature)

37 डिग्री सेल्सियस रहता है, तो हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और यह तापमान हमेशा ही नॉर्मली शरीर का बना रहता है.

दिमाग नियंत्रित करता हैं तापमान

हमारे शरीर का एक पार्ट हाइपोथैलेमस (दिमाग का एक हिस्सा) शरीर के तापमान को रेगुलेट करता है.

शरीर का तापमान कितना ज्यादा करना है और कितना कम यह तय करता है हाइपोथैलेमस.

लेकिन कभी-कभी शारीरिक और वातावरनीय कारणों से शरीर के तापमान में उतार-चढ़ाव आने लगता है,

जो कि शरीर को नुकसान पहुंचाता है. जब शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर या 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाता है

तब हमारे शरीर के फंक्शन में गड़बड़ी आने लगती है और एक जिज्ञासु व्यक्ति यह जानना चाहता है

कि एक मनुष्य का शरीर आखिरकार कितना ज्यादा और कितना कम तापमान झेल सकता है, तो चलिए जान लेते हैं यह बात….

सबसे पहले यह जानते हैं कि एक मनुष्य का शरीर कम से कम कितने तापमान में सरवाइव कर सकता है (human body temperature)

human body temperature
human body temperature variation

कितना कम तापमान झेल सकता हैं मानव शरीर

जब मनुष्य के शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से कम होता है तो उसे हाइपोथर्मिया कहते हैं.

जो कि एक मनुष्य को हो सकता है ठंडे पानी में रहने से, ठंडे वातावरण में रहने से, मानसिक बीमारी के कारण जैसे चीजों से.

35°C पर शरीर 

जैसे ही आप के शरीर का तापमान 35 डिग्री से कम पहुंचता है, व्यक्ति का शरीर कांपने लगता है,  दिल में इरिटेशन होने लगती है.

34°C पर शरीर 

शरीर का तापमान जब 34 डिग्री तक पहुंचता है, तब शरीर बुरी तरीके से कांपने लगता है.

उंगलियों का मूवमेंट बंद हो जाता है, व्यक्ति के व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है.

33°C पर शरीर 

जब शरीर का तापमान 33 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचता है. तब व्यक्ति को कंफ्यूजन होने लगता है, दिल की धड़कन कम हो जाती है.

32°C पर शरीर 

32 डिग्री सेल्सियस एक कंपलीटली मेडिकल इमरजेंसी होती है. व्यक्ति बेहोश हो जाता है.

31°C पर शरीर 

जब व्यक्ति के शरीर का तापमान 31 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे तक पहुंचता है,

तब शरीर में कोई भी रिफ्लेक्सेस देखने को नहीं मिलते हैं.

28°C पर शरीर 

जब शरीर का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस या उसे नीचे पहुंचता है.

तब व्यक्ति के दिल की धड़कन उस समय कभी भी हो सकती है बल्कि उस समय मौत भी हो सकती है.

24°C पर शरीर 

24 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंचने पर व्यक्ति की मौत निश्चित है, दिल की धड़कन बंद हो जाना और सांस बंद हो जाने की वजह से.

यानी कोई व्यक्ति कम से कम 24 डिग्री सेल्सियस के human body temperature पर ही सरवाइव कर सकता है.

अब जान लेते हैं कि मनुष्य का शरीर आखिरी ज्यादा से ज्यादा कितना तापमान झेल सकता है.

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ज्यादा से ज्यादा तापमान

मानव शरीर का तापमान जब 38 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा पहुंचता है, तो उस कंडीशन को हाइपरथर्मिया कहते हैं.

इसमें फीवर के कारण शरीर के तापमान के बढ़ने को शामिल नहीं किया जाता.

एक व्यक्ति को हाइपरथर्मिया हो सकती है, हाइपोथैलेमस में खराबी के कारण, एपिलेप्टिक सीजर के कारण,

बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत करने से या बहुत ज्यादा गर्म वातावरण में रहने से.

38°C पर शरीर 

जैसे ही व्यक्ति का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है व्यक्ति को गर्मी का अनुभव होने लगता है.

व्यक्ति को प्यास लगने लगती है, अनकंफरटेबल फील करने लगता है, पसीने से भीगने लगता है.

39°C पर शरीर 

39 डिग्री सेल्सियस पर व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. (human body temperature)

व्यक्ति अगर एपिलेप्टिक हो तो उसे दौरे पड़ने लगते हैं. उस व्यक्ति को बुरी तरीके से पसीना आने लगता है.

40°C पर शरीर 

40 डिग्री सेल्सियस पर व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी होने लगती है,

कमजोरी, सिर में दर्द, उल्टियां आना जैसी समस्या शुरू हो जाती है.

41°C पर शरीर 

41 डिग्री सेल्सियस पर व्यक्ति को हेलूसिनेशन, व्यवहार में बदलाव आना, सिर में दर्द, कन्फ्यूजन होना, व्यक्ति बेहोश होने लगता है.

और व्यक्ति का शरीर का तापमान अगर और ज्यादा बनने लगता है तो दिमाग डैमेज होने लगता है.

42°C पर शरीर 

42 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंचने पर व्यक्ति के शरीर में ऐंठन होने लगती है.

ब्लड प्रेशर या तो हाई या तो लो होने लगता है. धड़कन बढ़ जाती है.

44°C पर शरीर 

44 डिग्री पहुंचने पर व्यक्ति की मौत निश्चित हो जाती है. ब्रेन बुरी तरीके से डैमेज हो जाता है.

व्यक्ति सांस भी नहीं ले पाता यानी ज्यादा से ज्यादा 44 डिग्री सेल्सियस पर ही सरवाइव कर सकता है.

जानकारी विडियो से लीजिये

human internal body temperature wikipedia

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