अगर हम अपने सांस लेने के ऊपर, केवल रेस्पिरेट्री सिस्टम पर article लिखने लगेंगे, तो इतना सारा article लिखेंगे, जो हम और गहराई में जाते चले जायेंगे। क्योंकि सही तरीक़े से सांस लेना आपकी कई बीमारियों को तुरंत ही खत्म कर सकता है, यह आपको तुरंत ही relax कर सकता है। आपके घबराहट आपके हाइपरटेंशन तुरंत ही दूर करता है। केवल और केवल सही सांस लेने की विधि…
आपको पता है कि जब आप नाक से सांस लेते हैं तो हमारे नाक में मौजूद हेयर्स और म्यूकस हमारे नाक में आने वाली एयर को फिल्टर करके फेफड़ों में भेजते हैं, nasal cavity हमारी एयर को moist कर देते हैं, जिससे हमारे फेफड़े को कोई दिक्कत नहीं होती है। और सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट बात यह जो हमारे चेहरे पर कई सारी नैसल साइनस से होते हैं। यह बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल प्ले करते हैं हमारे सांस लेने की क्रिया में। देखिए ये nasal sinuses कंटीन्यूअस नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण करते हैं, जो कि निरंतर हमारे सांस के द्वारा हमारे फेफड़े में जाता रहता है। और यह नाइट्रिक ऑक्साइड बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है, हमारे हेल्थ के लिए।
यह हमारे शरीर से कोलेस्ट्रॉल buildup को reverse करता है, ब्लड वेसल को dilate करता है, ब्लड प्रेशर को कम करता है और हमें रिलैक्स और शांत करता है। इतना ज्यादा इंपोर्टेंट है, नाइट्रिक ऑक्साइड। अगर इस पर वीडियो बनाने लगूंगा तो इसकी खूबियां गिनाते गिनाते थक जाऊंगा कि नाइट्रिक ऑक्साइड बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट हमारे शरीर के लिए, इसीलिए जब भी सांस लीजिये, नाक से सांस लीजिए…
हवा फेफड़े मे कैसे जाती हैं –
देखिये जब हम नाक से सांस लेते हैं, तो यह सांस हमारे nasal cavity से होते हुए, फिर pharynx से होते हुए, हमारे इस voice box पर आ जाती है। जहां पर हमारा विंड पाइप और फूड पाइप दोनों का opening मिलता है, देखिए हमारा ये जो foodpipe यानी esophagus होता है, इसके ऊपर opening पर upper esophageal spinchter होता है, जो normally resting position पर close रहता है। और तब तक नहीं खुलता, जब तक कोई चीज हम swallow नहीं करते, जब तक epigllotis windpipe को ढककर इस spinchter को ओपन नही करता।
देखिये होता क्या है कि जब air यहां पर आती है, तो इस spinchter से टकराकर हमारे फेफड़े के अंदर चली जाती है, हमारे विंड पाइप से होते हुए और एयर कभी भी हमारे पेट में नहीं जाते हैं हमेशा से फेफड़े में हीं जाती है।

मुंह से साँस लेने से क्या होता हैं –
अब देखिए अगर हम मुंह से सांस लेने लगेंगे, तो हमारे साथ क्या होगा। देखिये जब हम अपने मुंह से सांस लेते हैं, तो हमारा मुंह खुल जाता है, lower jaw नीचे की ओर हो जाता है और हमारी जीभ नीचे की ओर हो जाती है, ऊपर वाला जबड़ा और नीचे वाली जबरा दोनों पर एक force लगता है, कंटीन्यूअस और इस कंटीन्यूअस फोर्स के कारण, जो हमारी cheek bone होती है, दरअसल वह बहुत ही ज्यादा कमजोर हो जाती है। और लंबे समय तक ऐसा करने से facial structure कुछ इस तरीके से हो जाता है, थोड़ा deform हो जाता हैं। लेकिन जब हम मुंह से सांस लेते हैं, तो यह जो air हमारे मुंह में आती है, यह हमारे सलाइवा को सुखा देती है।
फेफड़ा कितना फूल सकता हैं – maximum capacity of lung
और हमारा saliva क्या करता है कि बाहर से आने वाले pathogen से फाइट करके किसी भी इंफेक्शन से हमें बचाता है। जब हम मुंह से सांस लेते हैं तो होता यह है कि ऐसे व्यक्तियों को कंटीन्यूअस इंफेक्शन की शिकायत रहती है, क्योंकि ना तो एयर जो बाहर से आती है, वह फिल्टर हो पाती है, जैसे नाक से सांस लेने पर होता है प्लस फेशियल स्ट्रक्चर में जो डिफॉरमेटी आती है वह अलग से।
देखिए ऐसा नहीं है कि अगर हम मुंह से सांस लेंगे तो एयर हमारे स्टमक में चली जाएगी, स्टमक में एयर तब तक नहीं जाएगी, जब तक हम एयर को swallow नहीं करेंगे, जब तक हम एयर को निगलेंगे नहीं और वह तभी possible होगा, जब एपिग्लोटिस विंड पाइप को ढककर इसोफागस को खोल देगा. इसलिए मुँह से सांस लेने पर भी एयर हमारे फेफड़े में भी जाएगी और वह उतना बेनिफिशियल नहीं रहेगी जैसा मैंने आपको भी बताया।