नाक मे छिपा हैं स्वास्थ्य का रहस्य – nasal cycle in hindi

nasal cycle in hindi – अगर आप अपनी नाक पर आजतक ध्यान नही दिए हैं या उसके महत्व को नहीं समझते हैं। तो यह वीडियो तो आपको बिल्कुल ही देखना चाहिए। क्योंकि आज मैं आपको आपके नाक के ऐसे जादुई शक्ति के बारे में बताऊंगा। जिसके बारे में वैज्ञानिकों को भी पूरी तरीके से कोई जानकारी नही है। और यकीन मानिए अभी रिसेंटली मुश्किल से 127 साल पहले ही यह बात western वैज्ञानिक जाने हैं। और यह चीज जो आज मैं आपको बताने वाला हूं इसे भारत के वैज्ञानिकों ने या कहिये भारत के लोगों ने बहुत पहले, सालों हजारों साल पहले ही खोज लिया था।

देखिए बाहर से जब हम अपने नाक को देखते हैं, तो हम पाते हैं हमारे नाक का यह जो बाहरी हिस्सा है, ये कार्टिलेज से बना होता है, जिसका ऊपरी भाग बोनी होता है। जिसे nasal bone कहते है। और हमारे नाक के अंदर दो छेद होते हैं जो कि नाक के बीच में एक नेजल सिस्टम के जरिए विभाजित होते हैं। लेकिन जब हम बात करते हैं नाक के अंदरूनी संरचना की तो चुकी नाक के अंदर बहुत सारे बोन सोते हैं, जो कि नाक के अंदरूनी संरचना को थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड बना देते हैं। इसीलिए यही बोंस नाक के अंदर एक बहुत ही अद्भुत शक्ति को भी जन्म देते हैं। जिसके बारे में वैज्ञानिकों ने अभी तक कुछ नहीं बताया। लेकिन भारत के लोगों ने इसके बारे में बहुत कुछ बताया है।

नाक की संरचना –

देखिए जब हम अपने नाक के अंदरूनी संरचना को देखेंगे, जिसे नसल कैविटी कहते हैं, तब हम पाएंगे कि हमारे नाक के अंदरूनी दीवार पर तीन उभरी हुई संरचनाएं होती हैं। जिसे nasal concha या nasal turbinate कहते है। यह देखिए ये जो तीनों उभरी हुई संरचनाएं हैं। असल में यह bony यानी हड्डीयों से बनी संरचनाएं होती हैं। जिसके ऊपर कुछ erectile tissue होते हैं। वैसे ही erectile tissue जैसे मर्दों के penis में होते हैं. जो ब्लड के fill होने पर इरेक्ट हो जाते हैं और औरतों में जो clitoris होता है, ठीक वैसे ही….

nasal cycle in hindi

नासिका चक्र (nasal cycle in hindi) कैसे काम करता है –

देखिए होता यह है कि हर चार से साढ़े 4 घंटे के अंतराल पर, हमारी एक nostril की जो टर्बिनेट्स होता है या जो nasal concha हैं, जिनके ऊपर यह इरेक्टाइल टिश्यू होता है, उसमें ब्लड भर जाता है और यह जो हमारा एक नॉस्ट्रिल होता है। वह लगभग लगभग 80 पर्सेंट ब्लॉक हो जाता है। जब हम सांस लेते हैं, तो यह जो हमारा nostril से केवल 20% एयर ही अंदर जाती है। और जो दूसरा नाक होता है यानी जो दूसरा nostril होता है, वह पूरी तरीके से खुला रहता है, यानी उसके नेजल concha में ब्लड नहीं भरा रहता है। जिसके वजह से दूसरा नाक का छेद खुला रहता है। और इसमें से लगभग 80% हवा हमारे नाक से होकर फेफड़ों में जाती है, और ऐसा हर 4 से 4.5 घंटे में होता है कि एक समय में एक नाक खुली रहती है और दूसरी नाक लगभग 80 पर्सेंट ब्लॉक हो जाती है।

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देखिए इस तरीके से हमारे नाक के एक छेद का खुल जाना और एक छेद का बंद हो जाना। मतलब एक छेद से कम air का जाना, इसे हमारे नाक का nasal cycle कहते हैं. और इसका काम क्या होता है, यह अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं पता है. और यह हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम से रेगुलेट होता है.

देखिए इतना बताकर मैं आपको यह बता चुका हूं कि हमारे नाक के अंदर एक ऐसा मेकैनिज्म है, एक ऐसा सिस्टम है, जो इतने साल से मनुष्यों के साथ है और बहुत सारे मनुष्यों ने इस तरफ कभी ध्यान दिया ही नहीं है। पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस चीज के बारे में भारतीयों ने बहुत साल पहले ही जान लिया था, हजारों साल पहले…

आपने सूर्य नाड़ी और चंद्र नाड़ी के बारे में तो सुना ही होगा. देखिए जो चंद्र नाड़ी होती है, यह हमारे बाएं नाक के एक्टिव होने पर चालू रहती है और इस सूर्य नाड़ी है वह हमारे नाथ के दाएं हिस्से के एक्टिव होने पर चालू रहती है. ऐसा भारतीय शास्त्रों में लिखा हुआ है. मतलब बायीं नाक चंद्र नाड़ी और दायीं नाक सूर्य नाड़ी। देखिए यह जो चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी है. यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा आज से 127 साल पहले 1895 में एक जर्मन साइंटिस्ट ने nasal cycle के बारे में पता लगाया था। सोचिए भारत के लोगों ने बहुत पहले ही क्या-क्या जान लिया था।

अनुलोम विलोम के फायदे –

देखिये अनुलोम विलोम ऐसा ही प्राणायाम हैं, जो नाक के इस अद्भुत क्रियाओं का उपयोग करके हमारे nervous system पर एक सकारात्मक प्रभाव डालता हैं। जैसा कि मैंने आपको पहले भी बता रखा हैं। कि हमारा nasal cycle ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम से रेगुलेट होती है, तो जब हम अनुलोम विलोम करते हैं तो यह हमारे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम पर इनडायरेक्टली ही सही पर प्रभाव जरूर डालता है।

शायद इसीलिए प्रकृति ने हम मनुष्यों को हमारे नाक में 2 nostrils दिया है। क्योंकि अभी तक वैज्ञानिकों ने तो यह clearly बताया नहीं है कि हम मनुष्यों के पास हमारे नाक में दो छेद क्यों होते हैं। एक अनुमान ये लगाया गया है कि जिस तरीके से हमारे पास दो आंखें ,दो कान होते हैं। हमारे आंखों के विजन के precision के लिए और कानों में आने वाले साउंड के precision के लिए, उनको ढंग से हम सुन सके। ठीक उसी तरह हमारे नाक में भी तो छेद होते हैं, जिसमें से जिस नाक से कम oxygen जा रही है, जहां से low रेट से एयर अंदर की ओर जा रहा है, उसमें सुगंध के मॉलिक्यूल या ऑटोरेंट्स वह आसानी से जाकर रिसेप्टर से bind हो सके और हम आसानी से किसी चीज को सूंघ सकते हैं। खैर यह एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसके बारे में भारतीयों का मत तो पहले से ही सबके सामने है, पर पश्चिम के लोग अभी इसके बारे में recently ही जाने हैं।

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