बचपन से आप स्कूल में यह बात पढ़ते आ रहे हैं कि हमारी जो हवा है, इसमें 78% नाइट्रोजन है, 21% ऑक्सीजन है, 0.093% आर्गन है, और 0.04% कार्बन डाइऑक्साइड.. और बाकी हुई चीज में वाटर vapour है, यानी वाष्प। अगर आपने ध्यान दिया है, तो यह बात आपके लिए बहुत ही ज्यादा विचारणीय होगी कि जिस हवा को हम अपने सांस के जरिए अपने शरीर के अंदर ले रहे हैं, जिस हवा में 78% नाइट्रोजन है, आखिर उस नाइट्रोजन का हमारे शरीर के अंदर क्या होता है। केवल ऑक्सीजन ही हमारे शरीर के अंदर क्यों absorb होती है। है ना एकदम इंटरेस्टिंग बात, चलिए इस post में हम आपको यही बात बताते हैं।
ऑक्सिजन कैसे पहुचता हैं खून में –
अब देखिए जो हवा हम अंदर इन्हेल करते हैं, उसमें 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.04% कार्बन डाइऑक्साइड और कुछ और गैस भी होती हैं। पर हम कितना ज्यादा वाटर वेपर अपने अंदर इन्हेल करेंगे, यह डिपेंड करता है कि जिस वातावरण में हम रह रहे हैं वहां की humidity कितनी है। अब जब हम अपने अंदर एयर inhale कर लेते हैं, उसके बाद होता यह है कि सबसे पहले तो ऑक्सीजन हमारे हिमोग्लोबिन से bind होकर पूरे शरीर भर में ट्रांसपोर्ट हो जाती है। वह कैसे???
दरअसल हमारे फेफड़ों के अंदर जो alveoli होता हैं, उनसे जुड़े रहते हैं, ब्लड कैपिलरी, जहां से ऑक्सीजन के प्रेशर के कारण यह ऑक्सीजन हमारे ब्लड push हो जाती है और blood में जाकर घुल जाती है। थोड़ा सा ब्लड प्लाजमा में और बहुत सारा हमारे हिमोग्लोबिन के साथ bind हो जाता है, लगभग 97%. और blood के जरिये oxygen पूरे शरीर में फैल जाता है। जैसे ही है ऑक्सीजन हमारे सेल में पहुंचता है, वहां पर यह हमारे इस सेल में मौजूद जो हमें भोजन से प्राप्त हुआ है, ग्लूकोस… उसके साथ क्रिया करके एनर्जी बनाता है और बायप्रोडक्ट के रूप में वाटर और कार्बन डाइऑक्साइड, ग्लूकोस के oxydization से निकलता है।
क्या होता हैं नाइट्रोजन गैस के साथ –
अब देखिए जो नाइट्रोजन हम inhale करते हैं, लगभग 78% जितना भी हम एयर लेते हैं उसमें से। वह नाइट्रोजन गैस दरअसल एक अक्रिय गैस है, यानी इनर्ट गैस है, वह किसी भी मॉलिक्यूल के साथ कोई रिएक्शन नहीं करता है, जो नाइट्रोजन हम इन्हेल करते हैं, अपने रेस्पिरेशन में दरअसल वह बिना कुछ किए ही हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।
और जो कार्बन डाइऑक्साइड हम इन्हेल करते हैं, असल में उसकी मात्रा बहुत ही थोड़ी होती है, हमारे inhaled air में… इसीलिए यह हमारे बॉडी को बहुत ज्यादा नुकसान तो नहीं पहुंचाता है, अगर हायर कंसंट्रेशन में अगर हम CO2 inhale कर ले, फिर यह हमारे बॉडी को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचा सकता है। पर normaly जो हम inhale करते हैं, उस में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा केवल और केवल 0.04% ही होता है। तो overall देखें तो जो एयर हम इन्हेल कर रहे हैं, उसमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन प्राइमरी हैं, और बहुत थोड़ा मात्रा में other gases हैं, जिसमें से अधिकतम तो इनर्ट गैसेस हैं, यानी अक्रिय गैस…
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exhaled air का composition –
अब देखिए इन्हेल करने के बाद जो एयर हमारे अंदर प्रोसेस होकर बाहर exhale हो रही है यानी जो बाहर निकल रही है, हमारे नाक से उसके कंपोजीशन में थोड़ा चेंज आता है। और वह चेंज होता है हमारे सेल में ऑक्सीजन के रिएक्शन की वजह से, जिसे सेल्यूलर रेस्पिरेशन कहते हैं। ऑक्सीजन का ग्लूकोस के साथ क्रिया करने पर कार्बन डाइऑक्साइड और water बनता है, जिसमें खूब सारी एनर्जी बनती है। और यह जो biproduct बनता है, ग्लूकोस के oxidization से, इस वेस्ट प्रोडक्ट हमारे शरीर से बाहर भी निकलना होता है। तो होता यह है कि यह waste प्रोडक्ट ब्लड के जरिए बाहर निकल जाता है… वाटर तो यूरिनेशन से बाहर निकल जाता है, और जो गैसेस है कार्बन डाइऑक्साइड, वह ब्लड में घुलकर हमारे फेफड़ों में आती है, और नाक के जरिए बाहर निकल जाती है। देखिए exhaled एयर का कंपोजीशन क्या-क्या होता है।
जैसा कि मैंने बताया कि नाइट्रोजन जैसे ही इनहेल्ड होती है, वैसा ही exhaled भी हो जाती है। यानी 78% नाइट्रोजन भी हमारे स्वांस के जरिए बाहर निकल जाती है। 16% ऑक्सीजन हमारे शरीर से बाहर निकलता है। चार से 5% कार्बन डाइऑक्साइड हमारे शरीर से बाहर निकलता है। और बाकी बचे हुए चीज में वाटर vapour और कुछ इनर्ट गैसेस भी होती हैं।
आप ध्यान देंगे कि हम 21% ऑक्सीजन इन्हेल करते हैं और 16 परसेंट exhale करते हैं। मतलब 5 परसेंट ऑक्सीजन हमारी बॉडी कंज्यूम कर लेती है और बाकी की बची हुई को तुरंत ही बाहर exhale करके फ्रेश ऑक्सीजन दोबारा से हमारा शरीर प्राप्त करता है। दुबारा से cellular रेस्पिरेशन के लिए।