यार आपने जितना ज्यादा बॉलीवुड की फिल्में देखा होगा ना उतना ही ज्यादा आप यह पाए होंगे कि love तो बस लड़का लड़की का एक दूसरे के प्रति शारीरिक आकर्षण होता है. यह बॉलीवुड है ना इसलिए लोगों की मूलभूत भावनाओं को भी इतना ज्यादा दूषित कर दिया है कि लोग अब शब्दों का सही सही मतलब भी नहीं समझ पा रहे हैं.
जरा ध्यान दीजिएगा आप बॉलीवुड में जब भी किसी हीरो को किसी लड़की पर प्यार आता है तो वह लड़की हमेशा सुंदर ही रहती है. ऐसा कभी नहीं होता है कि वह कभी किसी एवरेज लुक वाली लड़की की तरफ आकर्षित हो जाएया हीरोइन किसी एवरेज लुक लड़के पर आकर्षित हो जाए यह तो संभव ही नहीं है.
क्योंकि बॉलीवुड के अनुसार लोगों को प्यार केवल सुंदर लोगोसे ही हो सकता है. क्या सच में मुंबई में मौजूद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री चीजों को जैसा दिखाती है इसे क्या सच में वैसा ही है या उसे मूर्खों की तरह प्रस्तुत कर मसाला लगाकर दिखा कर हमें बेवकूफ बनाया जा रहा है.
चलिए जानते हैं इसके पीछे के सच को यह जानकर कि आखिर प्यार है क्या ??
प्यार क्या हैं (what is love in hindi)-
प्यार एक बहुत ही तीव्र भावना है. जो व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति प्रति गहरी लगाव और स्नेह को दिखाता है और यह प्यार किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी व्यक्ति को हो सकता है.
यह जरूरी नहीं है कि प्यार के लिए व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के शारीरिक आकर्षण के प्रति आकर्षित हो. अब देखिए यहां पर प्यार के प्रकार भी अलग अलग तरीके से हो सकते हैं. एक मां अपने बच्चे को अलग तरीके से प्यार करती है अलग तरीके से उससे स्नेह लगाती है.
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वही एक प्रेमी प्रेमिका का प्यार बहुत ज्यादा अलग होता है. एक मित्र भी अपने दूसरे मित्र के प्रति स्नेह रख सकता है लेकिन उसका स्नेही भी बाकी के प्यार से अलग होगा
पर यहां एक बात सभी में कॉमन है कि जब आपको किसी से प्यार होगा तो आपका उस व्यक्ति से एक बहुत ही गहरा लगाव यानी स्नेह बनेगा.
प्यार का विज्ञान –
विज्ञान प्यार को तीन भागों में बांट के रखता है और यह तीनो चीज़ अलग-अलग हार्मोन से govern होते हैं. यह सभी के सभी हार्मोन ब्रेन में केमिकल की तरह होते हैं और यह हार्मोन दिमाग को ट्रिग करते हैं किसी व्यक्ति की तरफ आकर्षित होने के लिए.
यह प्यार की तरफ एक बार देख लेते हैं कि वह तीन मुख्य भाग है क्या प्यार के जिसे विज्ञान मानता है.
एक lust हो गया यानी शारीरिक भूख, दूसरा attraction यानी सुंदर पुरुष या स्त्री के तरफ आकर्षण होना और तीसरा किसी व्यक्ति के साथ दीर्घकाल के लिए उसे प्रेम संबंध में बने रहना यानि attachement.

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lust (शारीरिक सुख की भूख)-
lust यानी किसी स्त्री या पुरुष के लिए सेक्स की भावना का जन्म होना, यह शरीर में दो हार्मोन एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन के वजह से ही होता है. एस्ट्रोजन औरतों के अंदर होता है जो औरतों के अंदर यौन क्रिया को करने के लिए प्रेरित करता है.
वही टेस्टोस्टेरोन मर्दों के अंदर होता है. जो मर्दों को स्त्रियों के प्रति आकर्षित करता है और यौन क्रिया करने के लिए प्रेरित करता है.
attraction (आकर्षण) –
इसी तरह अट्रैक्शन भी होता है यानी आकर्षण जो कि शरीर में एड्रेनैलिन डोपामाइन और सेरोटोनिन हार्मोन की वजह से लोगों में इसका अनुभव होता है.
यह तीनों ही केमिकल दिमाग को इस तरह से किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षित होने के लिए मजबूर कर देते हैं कि जब तक इनका प्रभाव रहता है, तब तक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के प्रति आकर्षित होता ही जाता है और इसका प्रभाव जब कम होता है, तो वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के प्रति अपने स्वभाव में थोड़ा कमी दिखाने लगता है.
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attachment (दीर्घकालिक लगाव) –
प्यार में एक दूसरा सच्चा प्यार होता हैं दीर्घकाल तक किसी व्यक्ति के साथ रहना और उसके प्रति स्नेह को दिखाना. यह दिमाग में बहुत ही अलग तरीके के हार्मोन केमिकल के वजह से होता है. जिसमें प्रमुख हैं ऑक्सीटॉसिन और vasopressin.
यह हार्मोन ऐसे केमिकल है जो प्रेम में व्यक्ति को इस तरह से encourage करते हैं कि व्यक्ति अपने सामने वाले पार्टनर के साथ जीवन भर जुड़ा रहे.
इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि मदर और चाइल्ड के बीच जो उनका प्यार होता है, वह इस ऑक्सीटोसिन हार्मोन की वजह से ही होता है जिसके कारण दोनों में जीवन पर्यंत प्यार बना रहता है.
माँ का प्यार –
जैसे देखिए एक बच्चे और मां के प्यार में सबसे बड़ा रोल प्ले करता है ऑक्सीटॉसिन। जब मां अपने बच्चे को दूध पिलाती है तो बच्चा अपनी मां के प्रति बहुत ज्यादा आरूढ़ होता है. जिससे वह अपनी माता को जीवन भर कभी भूल नहीं पाता।
वही मां भी बच्चे को कभी इसलिए नहीं भूल पाते क्योंकि उसके दिमाग मत ऑक्सीटॉसिन हॉरमोन बहुत ज्यादा बहता है. एक बार माँ बन जाने के बाद.
तो यहां पर बच्चे और माता के प्यार में प्यार के तीन भागों में से अटैचमेंट सबसे ज्यादा देखा जाता है.
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प्रेमी प्रेमिका का प्यार –
एक प्रेमी और प्रेमिका के प्रेम में जैसा प्यार देखते हैं उसमे दो चीज सबसे ज्यादा प्रमुख होता है, एक lust और दूसरा attraction. यह दो चीज जब आपस में मिलते हैं यानी जब व्यक्ति के दिमाग में डोपामाइन, एड्रेनैलिन और सेक्स हार्मोन जैसे चीज़े बनने लगती हैं तब व्यक्ति एक दूसरे के प्रति आकर्षित होकर प्यार में पड़ जाते हैं.
जब उनकी शादी हो जाती है तो कुछ साल बाद जब उन्हें एक दूसरे के सच्चे स्वभाव का पता चलता है तब दोनों में अटैचमेंट भी develope हो जाता है और उसके बाद यह चीज सच्चे प्यार में बदल जाता है.