सबसे बड़ा दिन (sabse bada din) – साल में 365 दिन होते हैं. जो कि हर 4 साल में 1 दिन बढ़ाकर 366 दिन कर दिया जाता है लीप ईयर के कारण.
पृथ्वी द्वारा सूर्य का चक्कर लगाने की वजह से ही पृथ्वी पर 1 साल होता है.
और पृथ्वी का अपने धुरी पर घूमने के कारण पृथ्वी पर एक दिन यानी 24 घंटे बैठे हैं.
और जब पृथ्वी सूर्य से अपने अलग-अलग परिस्थितियों में पहुंचती है.
तो पृथ्वी अलग-अलग मौसमों में पृथ्वी अपनी धुरी पर जल्दी घूम लेती है.
24 घंटे से कुछ मिनट पहले ही तो कभी 24 घंटे सिर्फ कुछ मिनट या कुछ सेकंड ज्यादा।
कहने का मतलब हैं पृथ्वी एक समय में पृथ्वी सूर्य से कभी अपने अधिकतम दूरस्थ बिंदु पर होता हैं.
तो कभी अपने निकटतम बिंदु पर होता हैं.
और इसी आधार पर अलग-अलग मौसमों में कुछ दिन काफी बड़े होते हैं तो कुछ मौसमों में रात काफी बड़ी होती है.
चलिए इसी आधार पर हम यह जानते हैं कि साल के 365 दिनों में से.
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एक साल का वह कौन सा दिन है जिसमें दिन सबसे बड़ा होता है और क्यों होता है.
साल में सबसे बड़ा दिन –
साल के 365 दिनों में से साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है 21 जून को.
21 जून को दुनिया का सबसे बड़ा दिन होता है मेरा मतलब है दिन के लंबाई से है.
मतलब 21 जून को दिन 15 से 16 घंटे तक लंबा हो जाता है और आम दिनों में ऐसा नहीं होता है.
लेकिन 21 जून को ही सबसे बड़ा दिन क्यों होता है.
दरअसल 21 जून को सूर्य की किरणें हमारे उत्तरी गोलार्ध के बिल्कुल कर्क रेखा सीधाई में आ जाती है.
दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान कौन सा है
जो कि बिल्कुल भारत के बीचो बीच होकर गुजरता है. अब इस बीच में जैसे ही कर्क रेखा पर सूर्य की रोशनी बिल्कुल सीधी पड़ने लगती है.
उस समय पृथ्वी पर सूर्य की किरणे ज़्यादे देर तक पड़ती हैं धुरी पर एक चक्कर घूमने पर.
जिसके कारण से साल में 21 जून का दिन की लंबाई बढ़ जाती है जो कि 15 से 16 घंटे तक हो जाती है.
पर पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में ऐसा देखने को नहीं मिलता है.
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ऐसा जरूरी नहीं है कि पृथ्वी की दक्षिणी गोलार्ध में 21 जून को दिन बड़ा ही हो जाएगा।
दरअसल उत्तरी गोलार्ध में मौसम जैसा रहता है, दक्षिणी गोलार्ध में मौसम उसके ठीक उलट रहता है.
उस समय यानी 21 जून को यह वहां पर सर्दियों की शुरुआत का समय रहता है.