बारिश से पहले या बारिश के दौरान आपने आसमान में बिजली चमकती तो अवश्य देखा ही होगा। अक्सर ही जब आकाश में बादल छा जाते हैं और तेज हवा चलती है तो बिजली चमकती है। बिजली वर्षा आने से पहले अथवा वर्षा के बीच भी चमकती हुई देखी जाती है।बिजली का चमकना एक तरफ भयंकर भी है और सुन्दर भी। यह शानदार नज़ारा कैसे हमारी कल्पना को झकझोर देता है, किस तरह ह्रदय में डर और वीभत्स दोनों का ही संचार कर देता है ये कहने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।
बिजली एक आकस्मिक एलेक्टरोस्टैटिक डिस्चार्ज का नतीजा है। यानि वैद्यूतिक रूप से आवेशित, किसी बादल के कण, जब किसी दूसरे बादल में भी वैसी ही ऊर्जा को पाते हैं तो समन्वय या ईक्वालाइज़ करने के लिए ,बिजली के सिद्धांत के अनुसार एक दुसरे के चार्जेज का लेन देन करते हैं। यह आदान प्रदान इतना विशाल होता है, की कई हजार किलोमीटर दूर हुआ ये डिस्चार्ज, बारिश के अँधेरे आकाश में साफ़ दिखाई देता है।
बिजली का चमकना तीन तरह का हो सकता है: जब दो कण समूह किसी एक ही बादल में equalize हो जाएं तब उसे इंटरा क्लाउड लाइटिंग कहते हैं। दूसरी तरफ जब दो बादलों के बीच में ऐसा होता है उसे ‘क्लाउड टू क्लाउड’ लाइटिंग कहा जाता है। तीसरी तरफ की बिजली के चमकने को बिजली गिरना भी कहा जाता है। जहाँ यह डिस्चार्ज ‘क्लाउड टू ग्राउंड’ या ज़मीन और बादलों के बीच में होता है। जब ऐसा बादलों के बीच होता है तब इन आवेशित कणों के बीच हुए इस आदान प्रदान को फ़्लैश वे कहा जाता है, और बिजली गिरने को थंडर स्ट्राइक भी कहते हैं।