हमारी रीढ की हड्डी हमारे शरीर को structure और सपोर्ट देते हैं। इसी कारण से हम मूव कर पाते हैं, और हम अपने शरीर को bend भी कर पाते हैं। जब हम चलते हैं, तो हम अपने रीड की हड्डी के कारण ही अपने weight को transmit कर पाते हैं, और इसी रीड की हड्डी के अंदर एक खोखली सी नाल होती है, जिसके अंदर हमारी सुषुम्ना नाड़ी यानी स्पाइनल कॉर्ड होती है, जो कि हमारे ब्रेन से जुड़कर सेंट्रल नर्वस सिस्टम का हिस्सा बन जाती है।
देखिए हमारे रीड की हड्डी कई सारी छोटी-छोटी हड्डियों से मिलकर बनी हुई होती हैं, जिसे vertebrae कहते है। और जब यह हड्डियां आपस में जोड़कर एक लंबी रीढ़ की हड्डी बना लेते हैं, तो यह अपने बीच में एक खाली जगह यानी कैविटी का निर्माण करती है, जिसे वर्टेब्रल कैविटी भी कहते हैं, देखिये ये जो वर्टेबल कैविटी होती है, इसके अंदर ही हमारे सुषुम्ना नाड़ी जानी स्पाइनल कॉर्ड होती है, जो कि हमारे हाथ पैर हमारे जेनिटल्स, हमारे पेट, सीना हर जगह से sensory इंफॉर्मेशन या मोटर इन पल्सेस ब्रेन तक ले जाता है।
चलिए पहले आपको इस रीढ की हड्डी की संरचना के बारे में पूरी जानकारी दे देते हैं, फिर जानते हैं कि यह काम कैसे करता है। और इसके क्या क्या काम है।
कितने भाग में बंटा है रीढ़ की हड्डी –
देखिए अध्ययन करने के लिए हम ने अपने रीढ़ की हड्डी को 5 क्षेत्रों में बांट दिया है। जिससे हम इसको आसानी से समझ सके। हमारी रीढ की हड्डी की शुरुआत होती है, हमारे foraman मैग्नम से, इसे हिंदी में महारंध्र भी कहते हैं।
cervical region –
देखिए हमारे कपाल की हड्डी के नीचे छेद होता है, इसे foramane magnum कहते हैं। यहीं से शुरू हो जाता है, मतलब इसके नीचे से शुरु हो जाता है, हमारा रीढ़ की हड्डी। इस फोरामेन मैग्नम से और गर्दन के नीचे वाले हिस्से तक वाले vertebral कॉलम के region को सर्वाइकल रीजन कहते हैं। जिसमें कुल 7 छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं।
देखिए हमारे सर्वाइकल रीजन में जो हड्डियां होती हैं, उनमें से शुरुआत की दो हड्डियां बहुत ही इंपॉर्टेंट होते हैं, उन्हीं की वजह से ही हम अपने गर्दन को दाएं बाएं मोड़ सकते हैं। इसीलिए शुरुआत की पहली vertebrae को atlas कहते हैं। और उसके नीचे वाले उनको axis कहते हैं।
West माइथॉलजी के अनुसार, atlas कैरेक्टर है जो पूरे पृथ्वी को अपने कंधे पर उठाया हुआ है। इसीलिए ऐसा नाम दिया गया है। चलिए आप मुझे नीचे कमेंट करके बताइए, क्या इस तरीके से naming करना जैसे west के लोग करते हैं। अपने माइथोलॉजी के अनुसार वह सही है।
और भारत के लोग अपने माइथॉलजी के अनुसार चीजों को नाम क्यों नहीं दे पाते हैं।
thorasic region –
उसके बाद हमारे सर्वाइकल region के नीचे आता है, हमारा थोरेसिक रीजन, जिसमें कुल 12 हड्डियां होती हैं, इनका structures aur shape देखिए कुछ इस तरीके से होता है, और यह हमारे फेफड़े के पीछे वाले हिस्से में होती हैं,
इन्हीं थोरेसिक वाले रीजन के रीड की हड्डी से ही हमारी पसलियां जुड़ी रहती है और पसलियां जुड़कर एक कैविटी बनाती हैं। जिसे थोरेसिक कैविटी कहते हैं। जिसके अंदर हमारा फेफड़ा हृदय जैसी चीजें मौजूद है। ये जो थोरेसिक वर्टेबराए होती है यह सर्वाइकल रीजन के मुकाबले थोड़ा बड़ी होती है।
lumber region –
उसके बाद हमारे थोरेसिक spinal region के नीचे होता है, हमारा lumber रीजन, जिसमें हमारे रीढ़ की हड्डी की कुल 5 हड्डियां होती है, और हमारे lumber के वर्टेब्रल कॉलम की vertabrae बाकी के थोरेसिक और सर्वाइकल रीजन से ज्यादा मोटी होती है, यानी ज्यादा thick होती है, और ये साइज में ज्यादा बड़ी भी होती है। देखिये lumber region की vertabrae बड़ी इसलिए होती है क्योंकि यह हमारे अप्पर लिंब और चेस्ट वाले एरिया के वजन को सम्भाले रखता है।
sacrum region –
फिर जैसे ही हम अपने कमर के नीचे वाले हिस्से आएंगे, अपने हिप वाले रीजन पर, तब वहां पर होता है हमारा sacrum का region जो कि हमारे वर्टेब्रल कॉलम का सबसे चौड़ा भाग होता है, दरअसल इसमें पांच बोन होती हैं जो कि 18 साल की उम्र के बाद हर व्यक्तियों में फ्यूज होना शुरू हो जाती है और लगभग 30 से 35 उम्र में यह पांचों की पांचों सैक्रम बोन आपस में फ्यूज होकर एक सिंगल बोन बना लेती हैं।
coccyx –
हमारे रीढ़ की हड्डी का सबसे आखरी हिस्सा होता हैं tailbone, जिसे coccyx भी कहते हैं, इसकी संख्या अलग अलग व्यक्ति में अलग अलग होता हैं। लेकिन संख्या में ये 3 से 5 ही हो सकती है। और एडल्ट होने पर ये सभी आपसे जुड़ कर फ्यूज हो जाती हैं और सेक्रम से जुड़ जाती हैं।
रीढ की हड्डियों की जो vertabrae होती हैं, उनका स्ट्रक्चर कुछ इस तरीके से होता है। जो कि पीछे की ओर एक बड़ी चौड़ी बॉडी होती है, और आगे की ओर एक रिंग लाइक स्ट्रक्चर होता है। जब ये आपस में जुड़ते हैं,
vertebrae के बीच मे होता हैं एक cushion –
तब यह आगे वाले हिस्से में एक कैविटी बना लेता है। जिसके अंदर हमारी स्पाइनल कॉर्ड रहती है। और पीछे की ओर जो मेन बॉडी होती है, उन दो बॉडी के बीच मे disc होता हैं, जिसे intervertabral disc कहते है। ये intervertabral disc के बीच मे एक gell लाइक मटेरियल भरा रहता हैं। और इसके चारों ओर एक फाइब्रोकार्टिलेज का स्ट्रक्चर होता है.
जब भी हम खड़े होते हैं, तो हमारे इस इंटर्वर्टेब्रल डिस्क पर प्रेशर पड़ता है जिसके कारण से यह जो बीच वाला fluid है. यह फेल कर हमारे रीड की हड्डी पर पड़ने वाले प्रेशर को अब्जॉर्ब कर लेता यानी एक तरीके से शौक absorber होता है.
अब जब रीड की हड्डी की संरचना को हम पढ़ लेते हैं, तो अब हमें यह जानना है कि हमारा जो सबसे मेन स्पाइनल कॉर्ड है वो रीड की हड्डी के अंदर कैसे मौजूद रहता है, और वह काम कैसे करता है।
देखिये हमारी वर्टेब्रल कॉलम के अंदर एक कैविटी होती है, यानी खाली जगह इसके अंदर हमारा स्पाइनल कॉर्ड फोरामेन मैग्नम से शुरू होकर हमारे पेट वाले रीजन में, जो lumber वर्टेब्रल कॉलम का रीजन होता है, उसके l1 और l2 vertebrae के बीच में जो इंटर्वर्टेब्रल डिस्क होता है वहां पर खत्म हो जाता है.
स्पाइनल कॉर्ड के ऊपर भी होता है मेनिनजेस –
देखिए हमारे ब्रेन के ऊपर मेनिनजेस की 3 लेयर होती है, और आपको मैंने यह बात एक वीडियो में बनाकर बताई भी है, यह तीनों लेयर brain के उपर चढ़ी हुई होती है, जिसकी वजह से ये स्पाइनल कॉर्ड में भी आकर ब्रेन से होते हुए पूरे स्पाइनल कॉर्ड को ही envelope किए रहती हैं,
और यह स्पाइनल कॉर्ड पर ही जाकर खत्म नहीं होती है, बल्कि यह स्पाइनल कॉर्ड से नीचे होते हुए भी हमारे coccyx region में जाकर खत्म होती है, लेकिन यह बहुत ही जटिल संरचना बनाती है. हमारे स्पाइनल कॉर्ड के meninges के अंदर का पाया मैटर तो sacrum के s2 में ही खत्म हो जाता है,
लेकिन arachnoid mater और dura mater यह तीनों ही जाकर को coccyx region में जाकर फ्यूज होकर एक लिगामेंट बना लेता है, और pelvis के बाकी हिस्सों से जाकर जुड़ जाते हैं, और जैसा कि आपको पता है कि इसी मेनिनजेस लेयर के अंदर ही हमारे ब्रेन का सीएसएफ फ्लुएड यानी cerbrospinal fluid भरा रहता है, जाहिर सी बात है स्पाइनल कॉर्ड के चारों भी ये भरा रहता है।
स्पाइनल कॉर्ड हमारे शरीर में लगभग 40 से 45 सेंटीमीटर तक लंबा होता है, और इसका डाया मीटर हर जगह यूनिफार्म नहीं होता है, सर्वाइकल रीजन और lumber रीजन में थोड़ा सा मोटा होता है, और बाकी जगह में हल्का पतला होता है।
देखिये रीड की हड्डी में जब दो vertebrae आपस में जुड़ती हैं, इंटर्वर्टेब्रल डिस्क के थ्रू, तो यह आपस में मिलकर एक foramen यानी एक passage hole भी बनाती हैं, जिस के थ्रू स्पाइनल कॉर्ड से nerve हमारे शरीर के बाकी हिस्सों में जाता है.
हमारे सर्वाइकल रीजन से कुल 8 nerve निकलती हैं, जो कि हमारी गर्दन गले हमारे कंधे और हमारे हाथ को कंट्रोल करते हैं. ठीक उसी तरह हमारे थोरेसिक रीजन से कुल 12 nerve निकलती हैं, जो कि हमारे फेफड़े पीठ कमर और पसलियों के बीच पाए जाने वाली मसल्स को कंट्रोल करते हैं.
हमारे लंबर रीजन से कुल 5 nerve निकलती हैं, जो हमारे पेट और हमारे बटक के muscle को कंट्रोल करती हैं, हमारे से sacrum रीजन से भी कुल 5 nerve निकलती हैं जो हमारे पेल्विस और हमारे पाव और घुटने जैसे जगहों के मसल्स को कंट्रोल करते हैं, और हमारे coccyx region से एक nerve निकलती है तो कुल मिलाकर हमारे स्पाइनल कॉर्ड से हमारे ट्रंक और लम्ब को कंट्रोल करने के लिए कुल 31 नर्व निकलती हैं।
देखिए ये सब जो nerve निकलती हैं, असल में यह एक plexus बना लेती हो, मतलब एक nerve का जाल बना लेती हैं, सिवाय thorasic nerve के, ये नर्व के जाल हमारे हाथ पाव और हमारे धड़ यानी ट्रंक है। वहां के हर एक जगह पर फैल जाती हैं। तभी तो हमें दर्द महसूस होता है हमें सेंसर इंफॉर्मेशन मिल पाती है या हमें दिन से इंपल्सेस मिल पाते हैं।