तारे बनते कैसे हैं ? how stars are made

star in hindi – रात में उपर आसमान में देखिये, आपको उपर टिमटिमाते तारे दिख जायेंगे,

हमारे आँखों को बहुत भाते हैं ये तारे। लेकिन आसमान में छोटे से बिन्दु के रूप में दिखने वाले तारे आखिरकार बनते कैसे हैं ?

कहाँ से आ जाते है ये तारे जैसा की आप जानते होंगे कि ये तारे दिखने में जितने भी छोटे लगे पर होते हैं.

बहुत बड़े और इन तारों के बनने की प्रक्रिया भी कोई छोटी मोटी प्रक्रिया नहीं होती हैं.

करोडो साल की प्रक्रिया के बाद ये अन्तरिक्ष में चमकाने वाले तारे बनते हैं।

तो चलिए जानते हैं कि ये तारे आखिरकार बनते कैसे हैं. (star formation in hindi)…..

निहारिकाओं (nebula in hindi) का जन्म :-

निहारिकाएं यानि nebula अन्तरिक्ष में मौजूद गैस, धूल कण, हाइड्रोजन गैस और हीलियम गैस के बादल होते हैं.

जो की ब्रह्माण्ड में किसी जगह पर गुरुत्वाकर्षण के कारण छोटे छोटे धूलकणों के आपस में इकठ्ठा होने से बनते हैं।

इसके अलावा ये तारो के मरते समय सुपरनोवा धमाके से भी निहारिकायें बनते हैं।

अन्तरिक्ष में एक निहारिका

निहारिकाओं का इकठ्ठा होकर पिंड बनाना :-

यहाँ से शुरू होता है तारों के निर्माण (star formation) का प्रथम चरण,

सबसे पहले ये निहारिकाओं (nebula) के कण आपस में gravitationally collapse होकर.

यानि आपस में एक दुसरे के पास आकर एक गैसीय गोला बना लेते हैं।

यानी निहारिकाओं के कण आपस में ही अपने ही gravity के कारण एक दुसरे के पास आकर एक बहुत बड़ा गैसीय गोला बना लेते हैं।

ऊर्जा के रूप में Gravitaional potential energy को उत्सर्जित्त करते हैं।

जैसे जैसे तापमान और दबाव बढ़ता जाता हैं, ये गोला घुमने लग जाता हैं।

तारों के विकास में बने इस प्रथम चरण के निर्माण को प्रोटोस्टार (Proto-star in hindi) कहते हैं।

चूँकि ये एक विकसित तारे (stars in hindi) के पहले का स्टेज हैं इसलिए इसे protostar कहते।

तारो की मृत्यु

प्रोटोस्टार (Protostar in hindi) का तारे में बदलना :-

ये प्रोटोस्टार लगातार गैस धूल आदि को अपनी तरफ, अपने gravity के द्वारा आकर्षित करता रहता हैं।

धीरे धीरे ये प्रक्रिया आगे बढती रहती हैं। और एक समय ऐसा आता हैं कि

ये प्रोटोस्टार (protostar in hindi) अपने कोर में इतना द्रव्यमान (mass) इकठ्ठा कर लेता हैं.

कि ये बहुत ज्यादा सघन (dense) हो जाता हैं।

बहुत ज्यादा घना होने के बाद protostar का कोर इतना ज्यादा दबाव और तापमान उत्पन्न करने लगता हैं

कि ये अपने मध्य में स्थित हाइड्रोजन (जो कि असल में हाइड्रोजन का isotope deuterium होता हैं) को फ्यूज करने लगता हैं।

हालाँकि ये बात इस बात पर निर्भर करता है कि कोई प्रोटोस्टार कितना ज्यादा mass अपने अन्दर इकठ्ठा कर पाता हैं।

अगर कोई प्रोटोस्टार अच्छा खासा mass अपने अंदर इकट्ठा नही कर पाता तो वो एक भूरा बौना (brown dwarf) बन जाता हैं।

अब जैसा कि जो protostar काफी द्रव्यमान (mass) इकठ्ठा कर लेता हैं.

वो नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) की क्रिया शुरू कर देते हैं।

दो हाइड्रोजन के अणु आपस में मिल कर हीलियम के एक अणु बनाने लग जाते हैं।

इससे उस Protostar ज़बरदस्त ऊर्जा और प्रकाश निकलता हैं।

जिससे वो चमकने लगता हैं। और अब ये तारा (stars in hindi) एक main sequence star (मुख्य अनुक्रम तारा) बन जाता हैं।

अब ये star एक सघन कोर के साथ और उसके उपर चारो ओर प्लाज्मा की परत के साथ होता हैं।

यानी अब ये एक विकसित तारे का रूप ले लेता हैं।

stars in hindi
एक main sequence star

तारों का संतुलन और उनका जीवन काल :-

नाभिकीय उर्जा (nuclear energy) के कारण तारो के बाहर लगने वाले force और अंदर की ओर लगने वाले gravitaional force के कारण तारे हमेशा संतुलन में रहते हैं।

कोई तारा कितने समय तक जिंदा रहेगा यानि अस्तित्व में रहेगा.

ये इस बात पर निर्भर करता हैं की उस तारे के पास कितना ज्यादा mass हैं।

एक ज्यादा mass वाला तारा (star in hindi) जल्दी अपना इंधन इस्तेमाल कर जल्दी मर जाता हैं।

वही कम mass वाले तारे अपना ईंधन धीरे धीरे इस्तेमाल करने के कारण ज्यादा समय तक जीते हैं।

तारो की उत्पति जानने के लिए विडियो देखिये :-

तारों की जन्म की जानकारी विकिपीडिया से

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