यूरिन का फॉरमेशन हमारे शरीर के लिए जरूरी क्यों है, क्योंकि यह हमारे शरीर में बॉडी फ्लूड को बैलेंस करता है. शरीर से वेस्ट मटेरियल निकालता है, दवाइयों को लेने पर शरीर से दवाइयों को निकालता है, और यूरीन फॉरमेशन में हमारे शरीर में ऐसे ऐसे हार्मोन निकलते हैं। जो हमारे ब्लड प्रेशर को मेंटेन करते हैं। इसीलिए आज हम यह जानेंगे कि आखिर मेरे शरीर में यूरिन का फॉरमेशन होता कैसे है, तो चलिए बिना समय गवाएं हम यह जानना शुरू करते हैं।
एक वीडियो में मैंने आपको यह बता रखा है कि हमारे शरीर में पानी पचता कैसे हैं, मतलब हमारे शरीर में पानी absorb कैसे होता है, और मैंने आपको किडनी की working के बारे में भी बता रखा है। लेकिन आज मैं आपको यह सब बातें बिल्कुल शुरुआत से और बिल्कुल शार्ट में बताऊंगा ताकि आप बोर ना हो।
देखी जैसे ही हम पानी पीते हैं पानी पीने के बाद यह हमारे स्टमक और स्मॉल इंटेस्टाइन वगैरह से हमारे बॉडी में जब absorb हो जाता है, हमारे ब्लड में… फिर वहां से यह ब्लड जिसमें पानी होता है, यह जाता है हमारे किडनी की तरफ… और मैंने आपको बता रखा है कि हमारे किडनी के अंदर हमारी किडनी का एक मेन फंक्शनल यूनिट होता है जिसे नेफ्रॉन कहते हैं।
देखिये नेफ्रॉन यह मुख्यतः दो भागों में बांटा रहता है, एक होता है ये bowman’s capsule जिसके अंदर ब्लड arterioles की जाल बिछी रहती है। जिसे ग्लौमेरुलस कहते हैं। और एक होता है, यह पतले पतले renal tubules जोकि एक कॉमेंट कलेक्टिंग duct से जाकर जुड़ जाते हैं।
हमारे शरीर में यूरिन का फॉरमेशन तीन स्टेज में होता है, जिसमें पहले होता है ग्लौमेरुलर फिल्ट्रेशन, दूसरा होता है रिअब्जॉर्प्शन और तीसरा होता है secretion….
देखिए जैसे ही हमारे किडनी में ब्लड आता है फिल्टर करने के लिए… जिस ब्लड में बहुत सारे वेस्ट मटेरियल होते हैं, unnecessesary बॉडी फ्लुएड भी होते हैं, वह सब सबसे पहले तो किडनी के फंक्शनल यूनिट bowmans capsule के अंदर जाते हैं। आपको बता दें कि हर मिनट लगभग 1300 ml ब्लड हमारे इस bowmans capsule के अंदर से होकर गुजरते हैं, जो कि हमारे ह्रदय द्वारा पंप किये हुए ब्लड का लगभग 20% होता है।
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देखिए इस bowmans capsule के अंदर जैसे ही ब्लड जाता है, artioles के थ्रू, इन artioles में osmastic pressure और hydrostatic प्रेशर ज्यादा होता है, जिसके कारण से यह ब्लड ग्लौमेरुलस के सराउंडिंग में लगे एपिथेलियल मेंब्रेन से फिल्टर होकर बौमन्स कैप्सूल के अंदर जाने लगते हैं। फिल्टर हुआ यह मटेरियल यूरिया, अमीनो एसिड, ions, वाटर जैसे चीजों से भरा रहता है।
फिल्ट्रेशन के ये प्रोसेस को जो कि bowmans capsule में हो रहा है, इसे glomerular फिल्ट्रेशन कहते हैं।
उसके बाद जैसे ही यह फिल्टर हुआ फ्लूइड bowman’s capsule से आगे की ओर इन रिनल tubules में पहुंचते हैं, वैसे ही यह फिल्टर हुए मटेरियल में से 66% मटेरियल तो दोबारा से ही हमारे ब्लड कैपिलरी में reabsorb जाते हैं। वह कैसे हो जाते हैं, दरअसल इन renal tubules से ही ब्लड के बहुत ही पतले पतले ब्लड कैपिलरी जुड़े रहते हैं। जहां से वह मटेरियल जो अननेसेसरीली ही bowmans capsule से फिल्टर होकर इस मटेरियल में आ गए थे। वह दोबारा से हमारे ब्लड में absorb हो जाते हैं। जिनकी हमें जरूरत होती है, यह वाला प्रोसेस जिसमें दोबारा से बहुत सारे मटेरियल जैसे सोडियम वगैरह वह दुबारा से ब्लड में रिअब्जॉर्ब होते हैं, इसे tubular reabsorbtion कहते हैं।
लेकिन देखिए ऐसा नहीं है कि इस renal tubules में केवल रिअब्जॉर्प्शन की क्रिया ही होती है। दरअसल हमारे ब्लड में से कुछ ऐसे मटेरियल जैसे हाइड्रोजन आयन, पोटेशियम ions और अमोनिया जैसे मटेरियल, हमारे ब्लड से सीधे इन tubules में ही सीक्रेट हो जाते हैं। मतलब in tubule में भी ब्लड के छनने की क्रिया होती है।
और यह वाली प्रक्रिया जो होती है, यह जो हमारे यूरिन के फॉरमेशन की इसे tubular secretion का प्रोसेस कहते है। हालांकि यह सब बहुत ज्यादा कॉन्प्लिकेटेड होता है, इसमें बहुत ज्यादा सिंपोर्टर और एपिथेलियल मेंब्रेन की क्रियाएं होती हैं, पर वह सब जानना हमारे लिए ज्यादा जरूरी नहीं है, हम बस काम की बात ही जानते हैं।
देखिये यह वाला जो प्रोसेस होता है इसमें होता यह है कि अगर हमारे शरीर में water की कमी होती है, तो हमारे यह renal tubules ज्यादा से ज्यादा वॉटर को हमारे ब्लड में दोबारा से पहुंचाने लगते हैं। जिससे हमारे शरीर को डिहाईड्रेशन ना हो और इससे हमारा यूरिन ज्यादा कंसंट्रेटेड हो जाता है। यानी yellowish रंग का हो जाता है।
एक बार यह तीनों प्रोसेस जब हो जाती हैं यूरिन फॉर्मेशन की, glomerulus filtration, reabsorption और secretion का, तब यह जो यूरिन फॉर्म हुई है, यह एक common कलेक्टिंग डक्ट में आ जाती है और फिर यहां से यह यूरिन हमारे किडनी के रिनल पेल्विस में आ जाता है। जहां से जुड़ा रहता है यूरेटर जो कि एक पाइप जैसी संरचना होती है, और यह यूरेटर सीधे जाकर जुड़ जाता है हमारे ब्लैडर से, जहां पर हमारे urine को स्टोर करने की capacity लगभग 700 से 800 ml तक होती है, और हमारे इसी यूरिनरी ब्लैडर से जुड़ा रहता है हमारा यूरेथ्रा, जहां से हमारा यूरिन बाहर निकल जाता है, voluntarily जब हम चाहते हैं।