walking speed, आपके चलने की गति बताती है कि आप बुद्धिमान हो या नहीं

walking speed in hindi – यह जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाली है,

आपके रोजाना के जीवन से जुड़ा हुआ. यह जानकर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम जरूर हो पाएंगे.

और यह जो जानकारी है, उसका शीर्षक है पैदल चलना (walking speed).

यानी पैदल चलना और आपके बौद्धिक क्षमता के साथ क्या संबंध है.

सुनने में यह बड़ा ही साधारण सा लगता है ना…

लेकिन एक बार जरा सुन लीजिए कि पैदल चलने (walking speed) और आपके बौद्धिक क्षमता का क्या संबंध है?

पैदल चलना बढ़ता हैं दिमाग के हिस्सों का आयतन

पैदल चलते (walking speed) वक्त जब हम अपने पांव को इस जमीन पर स्ट्राइक करते हैं,

तब हमारे पैरों के तलवे से प्रेशर में ऊपर की ओर लगता है,

जो ह्रदय को दिमाग की तरफ ज्यादा खून सप्लाई करने में मदद करता है और दिमाग में ज्यादा खून की सप्लाई का मतलब है,

दिमाग में ज्यादा ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन आसानी से पहुंचेगा.

यह दिमाग के हिप्पोकैम्पस (hippocampus) और बाकी के हिस्से के वॉल्यूम बढ़ाने में मदद करेगा.

सोचते वक्त हम लगते हैं टहलने

आपने कभी ध्यान दिया हो तो आपको शायद ये बात पता होगा कि

जब आपको कोई चीज बहुत ही गहराई से सोचते हैं या किसी गंभीर चिंतन में पड़ जाते हैं.

तो आप अपने आप ही टहलना (walking speed) शुरू कर देते हैं.

आपका दिमाग अपने आप ही आप को टहलने या मूवमेंट करने के लिए सिग्नल देने लगता है.

इस समय भी ठीक ऐसा ही होता है सोचने के लिए दिमाग को ज्यादा nutrition और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है.

इसलिए टहलते (walking speed) वक्त हम किसी चीज के बारे में ज्यादा गहराई से सोच पाते हैं.

इसके अलावा केवल चलने मात्र से ही हमारे ध्यान लगाने की क्षमता और

दिमाग की बेसिक कॉग्निटिव (basic cognitive) क्षमता में वृद्धि होती है.

चलने की गति (walking speed) बताती हैं दिमाग के बारे में

लेकिन अब प्रश्न यह है कि क्या आप के चलने की स्पीड (walking speed) भी क्या आपके ब्रेन के फंक्शन पर असर डालता है.

एक स्टडी में यह सामने आया है कि यदि दैनिक जीवन में आपके चलने की स्पीड (walking speed) अचानक से कम होती है,

विशेषकर वृद्धों की तो यह संकेत है कि व्यक्ति के दिमाग में कोई समस्या हो सकती है.

चलने की स्पीड अचानक (walking speed) से कम हो जाना सोचने समझने की

क्षमता में कमी आना और अल्जाइमर जैसी डिसीज़ के बारे में भी बताता है.

walking speed में दिमाग करता हैं गति समायोजित

एक स्टडी में व्यक्तियों को चलते वक्त कुछ काम करने के लिए दिया गया.

जिससे व्यक्तियों के दिमाग में कॉग्निटिव फंक्शंस (cognitive functions) को अंजाम देने वाले हिस्सों को देखा जा सके.

स्टडी में देखा गया कि व्यक्ति का दिमाग टास्क को करने के लिए अपने चलने की गति (walking speed) को एडजस्ट करता है.

व्यक्ति का दिमाग व्यक्ति के चलने की गति (walking speed) को अपने अनुसार बदल कर गेट स्टेबिलिटी (gait stability).

यानी आपके चाल की स्थिरता को स्थापित करता है. जो व्यक्ति को चलते वक्त कोई काम करने में मदद करता है,

और ऐसा अधिकतम होता है कि चलते वक्त किसी काम को करना हमारे चलने की स्पीड (walking speed) को कम कर देता है.

जिससे हमारा ध्यान उस काम में लगा रहे. तो क्या यह बात मान लेनी चाहिए

कि धीरे धीरे चलना हमारे दिमाग की कार्य क्षमता को बढ़ाता है?

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तेज़ चलने वालों की बौद्धिक क्षमता अधिक

हमारे दिमाग में आगे वाला हिस्सा, जहां पर माथा होता है, वहां पर होता है हमारे दिमाग का फ्रंटल लोब (frontal lobe).

इस फ्रंटल लोब (frontal lobe) में दिमाग के फंक्शनल कनेक्टिविटी नेटवर्क (functional connectivity network)

उन व्यक्तियों के अंदर ज्यादा स्ट्रांग देखा गया,

जिन व्यक्तियों के चलने की स्पीड ज्यादा थी.

यानी तेजी से चलने वाले लोगों की सोचने समझने की शक्ति ज्यादा रही.

इसके अलावा उनकी बौद्धिक क्षमता भी धीरे चलने वाले लोगों से ज्यादा रही.

वही धीमी चलने वाले लोगों के दिमाग के डिफरेंट कनेक्टिविटी नेटवर्क (different connectivity network)

उतना स्ट्रांग नहीं देखे गए यानी किसी टास्क को करने के लिए धीमे धीमे चलना तो दिमाग व्यक्ति के चाल को स्थिर करने के लिए करता है,

पर आपके तेज चलने की आदत ना केवल आपके शरीर को स्वस्थ रखता है,

बल्कि यह आपके दिमाग के लिए भी अच्छा है. तेज चलने की रफ्तार (walking speed)

ब्लड फ्लो को तेज कर एक्सेस कॉलेस्ट्रोल (access cholestrole) को शरीर से हटाता है,

इससे ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन और पोषण ब्लड के जरिए दिमाग तक पहुंचता है,

जो दिमाग के कार्य क्षमता को बढ़ाता है. इसलिए तेज चलना (walking speed) लोगों के मानसिक विकास को बढ़ाता है.

जानकारी विडियो से लीजिये

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