गाड़ियों में क्रूज़ कंट्रोल नाम के फीचर के बारे में अक्सर आपने advertisement मे कहीं न कहीं तो ये देख ही होगा, कुछ समय पहले तो यह फीचर केवल महंगी लग्जरी कारों में दिया होता है. लेकिन अब ज्यादातर साधारण मिड range की कारों में भी ये फीचर को आने लगा है. ज़्यादातर एक्सप्रेसस्वे और हाइवे पर इस फीचर का इस्तेमाल किया जाता है.
क्रूज़ कंट्रोल क्या होता है ? क्या हैं इसके फायदे और नुकसान? आइये जानते हैं.क्रूज़ कंट्रोल एक ऐसा मैकेनिज्म है, जो गाड़ी की रेस जैसे f1 वगैरह वाली कार को आपके हाथ से ही कंट्रोल करने के काम आता है। उदाहरणतया आप हाइवे पर चलते वक्त जब कार की स्पीड को बिना एक्सीलेटर (raise) दबाए बनाए रखना चाहते हैं। उस समय आप क्रूज़ कंट्रोल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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क्रूज़ कंट्रोल सिस्टम स्टीयरिंग व्हील पर ही माउंट होता है। जिसमें स्पीड को बढ़ाने-घटाने के साथ इसको एक्टिवेट करने का भी बटन देखने को मिलता है। इसकी सहायता से आप बिना एक्सीलेटर दबाए गाड़ी को एक निश्चित गति पर चला सकते हैं या स्पीड यानि गति को कम ज्यादा भी कर सकते हैं जो निश्चित तौर पर कंफर्ट के काम आता है।
इसके कुछ फायदे: यदि आप हाइवे पर अपनी कार को ज्यादा चलाते हैं तो cruise controle आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि आप हाइवे पर अपनी कार की गति 60 से ऊपर करके क्रूज़ कंट्रोल एक्टिवेट कर सकते हैं। इसकी मदद से गाड़ी एक फिक्स स्पीड पर अपने आप चलती रहेगी। आपको बार-बार एक्सीलेटर दबाकर गति बढ़ाने या घटाने की जरूरत नहीं है।
यहां तक कि अगर आप गाड़ी की गति को कम या ज्यादा करना भी चाहते हैं तो वो भी क्रूज़ कंट्रोल के छोटे से console में दिये plus, minus के बटन से कर सकते हैं। इसके कुछ नुकसान: अगर आपके पास एक ऑटोमेटिक कार है, तो क्रूज़ कंट्रोल कहीं हद तक आपके लिए नुकसान दायक भी हो सकता है। क्योंकि जहां मैन्युअल कार में आपको क्रूज़ कंट्रोल के इस्तेमाल के साथ कई बार रेस घटाने या बढ़ाने के लिए गियर बदलना पड़ता है।
लेकिन ऑटोमेटिक car में ऐसा नहीं होता क्योंकि इन कारों में एक तो वैसे ही clutch नहीं दबाना होता है, साथ ही क्रूज़ कंट्रोल के होने से लंबे और थकान भरे सफर के दौरान ड्राइवर हाइवे पर ज्यादा रिलैक्स या लापरवाह हो सकता है, जोकि किसी बड़ी दुर्घटनाओं को न्यौता देने से कम नहीं है।