लीवर शरीर का वह हिस्सा, जो तब तक नहीं मर सकता है, जब तक उसके 75% से भी ज्यादा सेल्स डैमेज ना हो जाए. यानी अगर इस लीवर का 25% सेल्स भी बचे रह गए तो, लीवर अपने आप ही खुद को रिपेयर कर लेगा, इस लिवर के फंक्शन के बारे में तो पूछो ही मत, सैकड़ों functions हैं इसके, इतना की बॉडी में कोई और वाइटल ऑर्गन इतना ज्यादा फंक्शन नहीं करते हैं।
I’m sure इतना बोल कर, मैं आपको यह बताने में सक्षम हो पाया हूं कि लीवर कितना ज्यादा इंपॉर्टेंट है, हमारे बॉडी के लिए। केवल लीवर के स्वस्थ रहने से भी आपकी बॉडी में कोई भी रोग ना हो।
तो अब जिज्ञासा का मोड ऑन होता है, अब हम यह जानना चाहते हैं, यह लिवर आखिर काम कैसे करता है। जो इतना ज्यादा इंपॉर्टेंट है और इसके काम क्या क्या है। चलीये आज आपको इसके बारे में एक एक बात बता देंगे और आपको यह जानकर मजा ही आ जाएगा।
देखिए लिवर हमारे पेट में बिल्कुल डायाफ्राम के नीचे दाहिनी तरफ होता है। जो कि 2 lobe में बंटा रहता है, इसका जो दाहिना वाला लोब होता है, वह अपने बाएं लोब से 6 गुना ज्यादा बड़ा होता है। और इन दोनों लोब के बीच से ही हमारे esophagus होकर गुजरती है। हमारा लीवर गहरे भूरे रंग का होता है और इसके ऊपर एक कैप्सूल की जैसी परत चढ़ी रहती है।
हृदय कैसे कार्य करता है – information about heart in hindi
लिवर वजन में डेढ़ किलो तक होता है और इसकी चौड़ाई की बात करें यानी जो दाएं से बाएं तरफ की लंबाई वह होती है, वो लगभग 15 सेंटीमीटर तक होती हैं।
मैंने आपको एक वीडियो में बताया है कि हृदय कैसे काम करता है, उसमें मैंने आपको यह बताया था कि हृदय से एक महाधमनी जुड़ी रहती है, जिसे कहते हैं aorta. यह बिल्कुल नेशनल हाईवे की तरह होता है, जो शरीर में सभी धमनियों से जुड़ा होता है। यहीं से शरीर के सभी हिस्सों को खून जाता है।
देखिये इस aorta से एक बहुत बड़ी धमनी जुड़ी रहती है, जो की spleen से जाकर जुड़ जाती है, उसके बाद एक complex सिस्टम से जुड़ी हुई, रक्त वाहिकायें, हमारे अग्नाशय यानी पैंक्रियास और पेट से होते हुए हमारे लिवर से जाकर जुड़ जाती है। लीवर से ये जब जाकर जुड़ती है तो इसे पोर्टल विन कहा जाता है। लिवर में जितना भी खून जाता है उसमें से 80% खून जिस में ऑक्सीजन की मात्रा थोड़ी कम होती है, वह इसी पोर्टल वीन के थ्रू ही लिवर में जाता है।
साथ ही साथ क्योंकि यह पेट इंटेस्टाइन और स्प्लीन वगैरह से होकर आती है, इसीलिए इसमें बहुत सारे पोषक तत्व जैसे फैट विटामिन कार्बोहाइड्रेट protein वगैरा यह सब होते हैं।
उसके बाद इसी aorta से ही एक और बहुत बड़ी आर्टरी जुड़ी होती है, जो कि सीधा सीधा डायरेक्ट ही लीवर से आकर जुड़ जाती है, इसे हैपेटिक आर्टरी कहा जाता है। हमारे लिवर में जितना भी खून जाता है उसमें से 20% खून इसी हैपेटिक आर्टरी से ही जाता है और चुकी यह हृदय से यानी aorta के थ्रू डायरेक्ट हमारे लिवर में आता है, इसीलिए इस में ऑक्सीजन की मात्रा भी भरपूर रहती है।
चलिए आप इतना तो समझ गए होंगे कि लिवर में दो बड़ी-बड़ी ब्लड वेसल आती हैं, एक तो हमारे पेट वगैरह से आती है, जिसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, लेकिन उस में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। और एक आती है डायरेक्ट हृदय से aorta के थ्रू जिस में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है। लेकिन वह मात्रा में कम होता है, उससे लिवर को केवल 20% खून ही मिलता है।
अब देखिए अब हमें आना है लिवर के अंदर, जब यह सब खून लिवर के अंदर आ जाता है, तो उसके बाद लीवर के अंदर ऐसा क्या प्रोसेस होता है, जो हमारे जीवन के लिए बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट होता है।
देखें जब हम लिवर को थोड़ा जूम करके देखेंगे तो हम पाएंगे कि लीवर कई सारे हेक्सागोनल shape के एक संरचना से बनी हुई है, जिसे हैपेटिक lobule कहते हैं।
एक बार इस हैपेटिक lobule के संरचना को देख लीजिए, यह बिल्कुल एक hexagonal shape में होता है, और उसके कुल है कॉर्नर होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक लिवर के अंदर कुल 10 लाख से भी ज्यादा हैपेटिक lobule होते हैं।

अब देखिए इन हैपेटिक lobule के 6 कॉर्नर पर जो दो मुख्य ब्लड वेसल्स आ रही थी, हैपेटिक आर्टरी और पोर्टल विन वहां से कुछ ब्लड कैपिलरी इन हर एक हैपेटिक लॉब्यूल्स के 6 कार्नर पर आकर ब्लड मुहैया करवाती हैं, और यहां से ब्लड एक नाली नुमा संरचना बना देते हैं, और ब्लड यहां से बहते हुए हैपेटिक lobule के बीच में, एक सेंट्रल विन होता है वहां पर जाते हैं।
यह जो ब्लड नाली नुमा संरचना से बहकर जाती है, उनके दोनों तरफ लिवर की सबसे मेन सेल्स हैपेटॉसाइट्स होती हैं, और इसी heptocytes के पीछे की ओर होता है, लिवर का दूसरा सबसे इंपॉर्टेंट सेल, kupffer सेल जो रेड ब्लड सेल्स को फगोसाइट्स करके यानी उन्हें डेड करके bile juice बनाते हैं, दूसरा होता है पर hepatic stellate cell जो कि fat को store करता है. और चौथा सबसे इंपोर्टेंट होता है, sinusoidal एपिथेलियल सेल्स, जोकि लिवर में ब्लड को डिटॉक्सिफाइंग करने का काम करता है।

देखिए जब भी लीवर के इस हैपेटिक lobule पर दोनों रक्त वाहिकाओं से ब्लड आता है, तो जैसी ही इस नाली जैसी संरचना के तरफ आता है, जिसे sinusoid कहते हैं, वैसे ही लिवर के यह 4 main सेल्स ब्लड को प्रोसेस करना शुरू कर देते हैं। इसमें होता यह है कि सबसे पहले ब्लड जाता है हैपेटॉसाइट्स के तरफ, जहां पर यहां पर प्रोटीन का सिंथेसिस होने लगता है, ऐसे सेल्स डिवेलप होने लगते हैं जो इम्युनिटी के लिए बहुत इंपोर्टेंट है।
और सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट यह होता है kupffer सेल ब्लड में से रेड ब्लड सेल्स को फगोसाइट करके bile जूस का निर्माण करने लगता है, जी हां वही बाइल जूस जो हमारे भोजन के पाचन में बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट होता है, जब भोजन पेट से छोटी आंत की तरफ बढ़ता है, तो चुकी उसमें बहुत ज्यादा एसिड होता है, तो यही बाइल जूस उस एसिड को न्यूट्रलाइज करके प्रोटीन और फैट जैसे चीजों को प्रोसेस करके उन्हें अमीनो एसिड और फैटी एसिड में कन्वर्ट करता है।
देखिए जब लिवर bile juice बना लेता है, तो उस बाइल को इकट्ठा करने के लिए प्रकृति ने हमारे लीवर के नीचे ही एक बहुत ही जबरदस्त बर्तन को बनाया है, उसे कहते हैं गॉलब्लैडर। यह गालब्लेडर ही वह ऑर्गन है जो बाइल जूस को इकट्ठा किया रहता है और जब हम भोजन करते हैं और वह भोजन जब स्मॉल इंटेस्टाइन की तरफ बढ़ता है, तब यह बाईजूस थोड़ा-थोड़ा करके हमारे स्मॉल इंटेस्टाइन में जाकर हमारे भोजन को पचाने में मदद करता है।
और इसी बाईजूस का निर्माण करना लीवर का सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट काम है।
लेकिन लीवर का केवल इतना ही काम नहीं है, लीवर का इतना काम है कि इस पर बहुत सारे वीडियो बनाने पड़ जाएंगे।
मैंने अभी आपको बताया कि लीवर में एक सेल होता है, हैपेटिक stellate सेल, लीवर में इस सेल का काम क्या होता है, देखिए यह सेल लिवर में कुल लीवर के वजन का 5% होता है और उसका काम लिवर में fat और विटामिन को स्टोर करने का होता है। और जब शरीर को जरूरत हो, तुरंत यह इसे रिलीज कर शरीर में उन पोषक तत्वों की पूर्ति करता है।
लीवर के इन्हीं हैपेटिक lobule में एक और सेल होता है, जो कि लीवर में बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट रोल प्ले करती है। वह है sinusoidal epithelial cell, इस सेल का काम होता है कि जैसे ही लीवर में ब्लड आता है, यह सेल लीवर में ब्लड को डिटॉक्सिफाइंग करके उससे हैपेटिक लॉब्यूल्स के सेंट्रल vein में पहुंचा देता है और वहां से यह बिल्कुल शुद्ध खून लीवर के बाहर जाता है।
और हृदय में पहुंच जाता है, कैसे??? देखिये लीवर में बाहर की ओर जाने वाला एक हैपेटिक विन होता है, जोकि हृदय में नीचे की ओर इनफीरियर वेना केवा की ओर जुड़ जाता है, और वहीं से ये शुद्ध खून जो कि डिटॉक्सिफाइंग हो चुका है, वह अब ऑक्सीजन लेने के लिए ह्रदय के पास पहुंच जाता है, वहां से फेफड़े पर जाता है, और फेफड़े से फिर ये हृदय में पंप होकर पूरे शरीर भर में यह शुद्ध खून फैल जाता है।
चलिए आपको इतना तो बता दिया है, अब आपको जाते जाते एक बोनस देते जाते हैं, आपने सुना है ना कि जल्दी-जल्दी हेपेटाइटिस का इंजेक्शन लगवा लो यानी हेपेटाइटिस का वैक्सीन लगवा लो नहीं तो, यह हमें बहुत बुरी तरीके से बीमार कर देगा। आखिर यह हेपेटाइटिस होता क्या है?? देखिए hepa मींस लिवर और itis मतलब किसी भी तरह का inflammatiin या इरिटेशन को दिखाने के लिए जोड़ा जाता है, हेपेटाइटिस में लिवर में एक वायरस आ जाता है, जो कि लीवर को डैमेज कर देता है, और इसकी वर्ष कंडीशन में लीवर काम करना ही बंद कर देता है, और व्यक्ति मर जाता है।
हेपेटाइटिस भी तीन प्रकार का होता है, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी। तीनों ही प्रकार में तीन अलग-अलग वायरस होता है, जो कि लीवर को बहुत ही बुरी तरीके से डैमेज कर देते हैं।
इसीलिए बचपन में आप में से कई लोगों को हेपेटाइटिस का वैक्सिंग लगाया गया होगा। ताकि हमारा लीवर जीवन पर्यंत सुरक्षित रहें।
और जो हमारे शरीर में पीलिया हो जाता है, उसमें भी लीवर का थोड़ा बहुत रोल है, पीलिया में यह होता है कि हमारे शरीर में dead rbc यानी bile जूस में billirubin का निर्माण बहुत ज्यादा हो जाता है, जो कि ब्लड स्ट्रीम में जाकर मिल जाता है। और चुकी बिलीरुबिन का कलर पीले रंग का होता है इसीलिए पीलिया में पूरा शरीर पीला हो जाता है