आपने 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने (cloudburst in hindi) के भयंकर घटना के बारे में सुना ही होगा,
जिसमे लगभग 5,778 लोगो की मौत हुयी थी। लेकिन क्या आपने इस घटना के बाद ये जानने की कोशिश की कि ये बादल का फटना असल में होता क्या हैं।
अगर आपको ये जानकारी कही नही मिल पाई तो इस आर्टिकल को पढ़कर आप ये जान जायेंगे तो चलिए जानते हैं….
क्या होता हैं बादल का फटना (cloudburst in hindi) :-
बादल फटने की घटना एक ऐसी घटना हैं जिसमे कुछ ही seconds या मिनट में
इतनी ज्यादा बारिश हो जाती हैं, बाढ़ जैसी स्थिति कुछ ही seconds में बन जाती हैं।
आइये जानते हैं इसके पीछे की विज्ञान को … एक शब्द हैं orographic lift, जिसमे होता ये हैं कि हवा पहाड़ो से टकरा उपर की ओर उठती हैं।
और जैसे जैसे ये हवा उपर उठती जाती हैं, कम वातावरणीय दबाव के कारण ये हवा ठंडी होती जाती हैं।
बादल फटने (cloudburst in hindi) में भी यही होता हैं। भारत हिमालय के पहाड़ों का उदाहरण देकर आपको बताते हैं।
होता ये हैं की बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नम हवाएं मानसून के समय में भारत में उत्तर की ओर हिमालय के पहाड़ों की तरफ पहुचती हैं।
और वहां से ये हवाएं पहाड़ो से टकरा कर orgraphic lift के कारण उपर की ओर उठती हैं।
और atmospheric pressure कम होने के कारण ये नम हवाएं ठंडी हो जाती हैं।
उपर ये moist air ठंडी होकर बादल का रूप ले लेते हैं।
ये ठन्डे बादल condense होकर पानी की बूंदे गिराने ही वाले होते हैं कि नीचे से आने वाले orographic lift,
इन बूंदों को नीचे गिरने नही देता हैं और ये बूंदे उपर ही रह जाते है।

वही नयी नयी बूंदे condense होकर उपर बादलों में बनती रहती हैं।
और इस तरह नई और पुरानी बूंदों के इकठ्ठा होने से बादल में बहुत ज्यादा बूंदे हो जाती हैं।
और फिर जैसे ही नीचे से लगने वाली orographic lift air बंद होती हैं,
बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की बूंदे कुछ ही seconds में ज़मीन पर गिरती हैं।
ये 1 मिनट में 1 cm से 5 cm या उससे ज्यादा भी हो सकता हैं।
आसमानी बिजली ज़मीन पर कैसे गिरती हैं
बहुत ज्यादा होता है इस पानी की मात्रा :-
1 इंच पानी बरसने का मतलब 2.5 km² क्षेत्र में 65,600 टन पानी का गिरना।
वस्तुतः बादलों का फटना ज़मीन से 15 km की ऊंचाई पर ही होता हैं।
लेकिन कभी कभार ऐसा भी होता हैं जब बादलों का फटना कम ऊंचाई यानि
मैदानी इलाके में भी हो जाती हैं, इस तरह बादल के फटने (cloudburst in hindi) में होता ये हैं कि जैसे बादल बरसने को होते हैं.
तब ही इस बादल के नीचे गर्म हवाएं बहने लगती हैं या गर्म हवाएं उपर की ओर उठने लगती हैं।
जो की पानी बूंदों को नीचे गिरने से रोकती हैं। पानी की बूंदे उपर बादल में इकट्ठा होती रहती हैं।
और फिर जैसे ही गर्म हवाएं उपर उठना बंद होती हैं। पानी के बूंदे, जो कि पहले से बादलों में इकठ्ठा हुयी रहती हैं,
बहुत ही कम समय में बहुत ही ज्यादा मात्रा में ज़मीन पर गिरती हैं।
जिससे बाढ़ जैसा माहौल बन जाता है। 2005 में मुंबई फटा बादल का कारण भी यही था।
यही जानकारी विडियो के रूप में लेने के लिए ये विडियो देखिये –