भूकंप कैसे आता हैं – earthquake causes in hindi

earthquake in hindi – भूकंप जब आता है तो जमीन कैसे कांपती है कि

यह अपने साथ जमीन पर बनी इमारतों और बाकी सभी चीजों को तबाह कर के रख देता है।

आपने अक्सर यह देखा होगा कि इतने तीव्रता का भूकंप, फलाने जगह पर आया लेकिन असल में यह होता क्या है?

और इस भूकंप के पीछे का कारण क्या है? हम न्यूज़ चैनल पर अक्सर यह भी देखते हैं कि इस जगह पर भूकंप का केंद्र है यह भी क्या होता है?

आज हम यह जानेंगे इस आर्टिकल में, तो चलिए जानते हैं…..

हमें पृथ्वी को भी समझना पड़ेगा :-

जाहिर सी बात है भूकंप की बात होगी तो हमें पृथ्वी को तो समझना ही पड़ेगा पृथ्वी कई लेयर से मिलकर बनी हुई है,

जैसे प्याज़ कई लेयर से मिलकर बना होता है।

आप अगर प्याज़ को कभी कांटे होंगे तो आप देखे होंगे कि प्याज़ कई लेयर से मिलकर बना होता है।

ठीक उसी तरह पृथ्वी भी कई लेयर से मिलकर बनी हुई है।

पृथ्वी के सबसे अंदरूनी भाग कोर (core) का होता है।

यह बहुत ही सघन यानी बहुत ज्यादा घनत्व वाला होता है। इसकी त्रिज्या 1200 किलोमीटर तक होती है।

कोर के उपर होता है outer core (बाहरी कोर) की लेयर जो कि liquid फॉर्म में रहता है।

यह 2200 किलोमीटर तक की मोटी परत होती है।

और इसके ऊपर होता है मैंटल (mantle) की लेयर जो कि 2900 किलोमीटर तक की मोटी परत होती है।

मेंटल के ऊपर होता है क्रस्ट (crust) की लेयर। यह लगभग 100 किलोमीटर तक की मोटी परत है।

मैंने आपको पृथ्वी की संरचना के बारे में इसलिए बताया है

क्योंकि भूकंप के कारण (earthquake causes) के बारे में जानने में यह हमें सहायक होगा।

                 

तो क्या कारण है भूकंप का (earthquake in hindi) :-

जैसा कि हम जानते हैं कि जब भूकंप (earthquake in hindi) आता है.

पृथ्वी पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेट्स (tectonic plates) आपस में रगड़ खाते हैं या टकराते हैं,

तो अब हम यही जानेंगे कि यह प्लेट्स आपस में रगड़ कैसे खाते हैं।

दरअसल यह शुरू होता है पृथ्वी के कोर से जहां से बेहद गर्म पिघले हुए चट्टानों के लावा ऊपर उठते हुए मैंटल के परत तक पहुंच जाते हैं।

और फिर वहां से पृथ्वी के क्रस्ट से टकराते हुए ठंडा होकर नीचे पृथ्वी के कोर की तरफ अंदर की ओर बढ़ने लगते हैं।

दरअसल यह गर्म लावा बहुत ही कम dense होता है इसलिए ऊपर उठता रहता है।

जब तक यह ठंडा नहीं हो जाता और भारी चट्टान अंदर कोर (core) में गिरता रहता हैं।

और यह क्रिया निरंतर चलती रहती है।

और यही कारण है कि mantle (मैन्टल) निरन्तर flow करती रहती है।

जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैंटल (mantle) लगातार flow करती रहती है।

यानी movement में रहती है। और मैन्टल (mantle) की लेयर के ऊपर ही होता है पृथ्वी के टेक्टोनिक प्लेट्स यानी जमीन।

मैन्टल (mantle) के मूवमेंट के कारण टेक्टोनिक प्लेट्स तैरते हुए लगातार मूवमेंट में रहते हैं.

जैसे एक कन्वेयर बेल्ट पर रखा सामान।

आपको यह तो पता ही होगी पृथ्वी पर स्थित सभी प्लेट्स मूवमेंट करते रहते हैं।

क्या होता है कन्वेक्शन करंट (convection current) :-

गर्म लावा के ऊपर उठकर फिर ठंडा होकर Core की तरफ़ नीचे जाने वाले साइकिल को convection current कहते हैं.

और इसी कन्वेक्शन करंट (convection current ) के कारण ही पृथ्वी के टेक्टोनिक प्लेट्स (tectonic plates) आपस में रगड़ खाते हैं और भूकंप आता हैं।

यानी जब 2 प्लेट्स आपस में रगड़ खाते हैं या टकराते हैं तो

उस रगड़े टकराव से जो वाइब्रेशन होता है उसी को ही हम भूकंप के नाम से जानते हैं।

और इसका कारण है कन्वेक्शन करंट।

ऐसा नहीं है कि कन्वेशन करंट से प्लेट केवल टकराते हैं बल्कि इसके कारण दो प्लेट्स एक दूसरे से दूर भी जाते रहते हैं।

जैसे अफ्रीका प्लेट से एक नया प्लेट सुमाली प्लेट धीरे-धीरे अफ्रीका से टूट कर अफ्रीका से अलग हो रहा है।

यानी लाखों साल बाद अफ्रीका टूट कर दो महाद्वीपों में बट जाएगा।

दोनों के बीच की वह जगह जहां से भूकंप (earthquake in hindi) की तरंगे उठती हैं,

उसे भूकंप का केंद्र कहते है। और इन तरंगों को रिक्टर स्केल से नापा जाता है।

भूकंप को कैसे नापा जाता है (earthquake measurement in hindi) :-

रिक्टर पैमाना :-

भूकंप को नापने का यह सबसे लोकप्रिय तरीका है. और यह भूकंप की तीव्रता नापने का एक गणितीय पैमाना है.

जो कि भूकंप की तरंगों की तीव्रता को नापता है.

इसे रिक्टर मेग्नीट्यूटस टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर पैमाना एक लघुगणक आधारित पैमाना है.

इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुना तक बढ़ जाती है.

और दो टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव के दौरान जो ऊर्जा निकलती है.

वह प्रति स्केल 32 गुना तक बढ़ जाती है. इसका सीधा मतलब यह है कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता जो थी,

वह चार स्केल पर तीन रिक्टर स्केल का 10 गुना तक बढ़ जाएगा।

मरकेली स्केल :-

रिक्टर स्केल के अलावा एक और तरीका हैं जो भूकंप को नापने के लिए कभी इस्तेमाल किया जाता था।

जिसे मरकेली स्केल के नाम से जाना जाता है।

इसमें भूकंप (earthquake in hindi) को उसकी तीव्रता की बजाए उसकी ताकत के आधार पर मापते हैं

कि कितनी ताकत से आया भूकंप कितना ज्यादा नुकसान कर सकता हैं।

पर इसको रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है,

क्योंकि भूकंप की ताकत को लेकर लोगों का अनुभव अलग-अलग हो सकता है।

साथ ही भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

जैसे घरों की कमजोर और खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।

भूकंप के लिहाज से भारत के कुछ संवेदनशील इलाके –

ZONE 5 –

सिस्मिक जोन 5 का मतलब है, यहां आठ की तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आ सकता है.

इस जोन में देश का पूरा नॉर्थ ईस्ट का इलाका, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के इलाके,

गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान और निकोबार द्वीप शामिल है.

ZONE 4 –

सिस्मिक जोन 4 भी भूकंप के लिहाज से काफी खतरनाक माना जाता है.

यहां सात से 7.9 तीव्रता तक भूकंप आ सकते हैं. इस जोन में राजधानी दिल्ली, NCR के इलाके, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के इलाके,

यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा

और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है.

ZONE 3 –

जोन 3  को भूकंप (earthquake in hindi) के लिहाज से मध्यम खतरे वाला माना जाता है.

लेकिन यह ज़ोन 4 और 5 से कम खतरनाक हैं।

इस जोन में केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, रास्थान, मध्य प्रदेश, बिहार,

झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं.

ZONE 2 –

देश की बाकी जगहें सिस्मिक जोन 2 में आते हैं.

ये भूकंप के लिहाज से कम खतरनाक है.

यहां 4.9 तीव्रता से ज्यादा का भूकंप आने का खतरा नहीं है.

यानी भूकंप के लिहाज से देश का कोई हिस्सा सुरक्षित नहीं है.

earthquake in hindi

भूकंप wikipedia 

यही जानकारी विडियो के रूप मे जानने के लिए ये विडियो देखिये –

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