जैसा कि आप जानते हैं कि आज के समाज में प्रदूषण हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या हो गई है. प्रकृति की वह किन्ही भी भागों में चले जाइये हवा हो, पानी हो या वह जमीन हर जगह प्रदूषण ही प्रदूषण है और ऐसा नहीं है कि यह प्रदूषण हमारे पर कोई प्रभाव नहीं डाल रहा.
सबसे बड़ी समस्या यह है कि प्रदूषण जान लेवा साबित हो रहा है. बल्कि यह प्रकृति में सभी प्रकार के जीवो के लिए खतरनाक है. जैसे इसका नाम है प्रदूषण जब आप इसका संधि विच्छेद करोगे तो आप पाओगे कि प्र उपसर्ग और दूषित शब्द मिलकर प्रदूषण शब्द को बनाते हैं.
यानी जब प्रकृति द्वारा बनाए हुए तत्वों पर जब मानव द्वारा कृतिम वस्तुओं का दूषण हो जाए तभी वह प्रदूषण कहलाता है और यह प्रदूषण एक तरीके के नहीं बल्कि कई तरीके के होते हैं.
बल्कि अब तो मानव द्वारा ध्वनि प्रदूषण भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है एक बार देख लेते हैं प्रदूषण के बारे में ढंग से…
प्रदूषण क्या हैं (what is pollution in hindi) –
जब प्रकृति द्वारा बनाए हुए तत्व और प्रकृति द्वारा बनाए हुए तंत्र पर मानव द्वारा बनाए हुए वस्तुओं के अवशेषों का मिश्रण हो जाता है यानी जब प्रकृति का दूषण हो जाता है तब हम इसे प्रदूषण कहते हैं. और आज के समय में प्रदूषण जल थल नभ आकाश हर जगह फैला हुआ है.
जैसे जल में मनुष्यों ने अपने फैक्ट्री और दैनिक समय में यूज होने वाले चीजों के waste को नदियों और समुद्र में बहाना शुरू कर दिया है. जिसके वजह से हो यह रहा है कि नदियां अब गंदगियों का अम्बार बन चुकी है.
विशेष तौर पर भारत जैसे देश में जहां तो नदियों को पूजा जाता है और नदियों में इतनी ज्यादा गंदगी है कि बस बात ही मत करो. थल की बात करें तो जमीन पर अब मिट्टी की मात्रा बहुत कम हो गई है हर जगह मनुष्य ने कंक्रीट की लेयर बिछा रखी है.
सड़क हो या किसी का घर हो हर लोग मिट्टी जैसे अमूल्य चीजों को बर्बाद करने में लगे हुए हैं और संग संग उसमें प्लास्टिक मिला देना यह तो मानो प्रकृति का गला घुटने जैसा है.
हवा में जिस तरह का प्रदूषण है उसकी तो बात ही नहीं किया जा सकता है. मनुष्यों ने गाड़ी मोटर से लेकर फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं को हवा में छोड़ना शुरू कर दिया है. जो हवा में इन हानिकारक कंटेंट की मात्रा को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है.
ओज़ोन परत का प्रदूषण –
क्या आप जानते हैं जो आप रेफ्रिजरेटर और AC यूज करते हैं उसमें क्लोरो फ्लोरो कार्बन (CFC) और फ्रियोन जैसे गैसों का इस्तेमाल होता है और जैसे ही फ्रियोन और cfc जैसे गैस हैं प्रकृति में मिलती हैं यह प्रकृति के गैसों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
खासतौर से यह ओजोन परत के लिए तो बहुत बड़ा खतरा है. ओजोन गैस से मिक्स होकर यह ओजोन गैस का क्षरण करती हैं. जिसके कारण से आज के समय में ओजोन लेयर पर 10 लाख किलोमीटर स्क्वायर से भी बड़ा छेद बन चुका था जो हाल ही में लॉकडाउन के वजह से धीरे-धीरे भरना शुरू हुआ है.

इससे यह साबित होता है कि मनुष्य कितना ज्यादा और किस हद तक प्रदूषण फैला रहा है जब उसे रोका गया तो ओजोन लेयर कितना ज्यादा स्वस्थ हो गई.
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प्रदूषण के प्रकार –
जब मानव ने प्रदूषण करना शुरू किया है, जब से प्रकृति में मिलावट कर उसका दोहन करना शुरू किया है. तब से अब तक प्रदूषण के प्रकार भी अब बढ़ चुके हैं बल्कि मैं तो अब यह कहूंगा कि मनुष्य का दिमाग भी प्रदूषित होने लगा है कि कि मानव ने ऐसे-ऐसे चीजें बना लिए हैं.
जो मानव के दिमाग को प्रदूषित कर रहे हैं, एक बार प्रकृति में होने वाले प्रदूषण को देख लेते हैं कि वह कितने प्रकार से बटे हुए है…
- जल प्रदूषण
- वायु प्रदूषण
- भूमि प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण
जल प्रदूषण –
जल प्रदूषण का अगर आपको भारत में सबसे बड़ा उदाहरण देखना है तो एक बार आप गंगा नदी को देख लीजिए कानपुर में देखिए बनारस में देखिए आपको हर जगह गंगा नदी के ऊपर मोटी मोटी काई की परतें दिखेंगी जो इतनी ज्यादा गंदगी से भरी हुई है कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है.
धार्मिक कारणों की वजह से और नगरों से निकलने वाले सीवेज का पानी पूरी तरीके से गंगा नदी में ही डंप किया जा रहा है. जो गंगा नदी को इतना ज्यादा गंदा कर दिया है कि उसके पानी को अब छुआ भी नहीं जा सकता है. केवल छूने मात्र से ही हजारों हजारों कीटाणु और विषाणु आपके हाथों पर लग जाएंगे।
जल प्रदूषण के कारण –
- जल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है नगरों के सीवेज का नदियों में गिरना
- मानव द्वारा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गंदगी हो अभी नदियों में ही डंप किया जाना
- खेती के लिए प्रयोग किए जाने वाले रसायनों का भी पानी में घूल जाना
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वायु प्रदूषण –
वायु प्रदूषण का अगर आपको नजारा देखना है तो आपको देश की राजधानी दिल्ली जाना चाहिए जहां पर इतना ज्यादा वायु प्रदूषण है कि यहां पर सांस लेने का मतलब है गंभीर फेफड़ों की बीमारी का होना गॉरन्टी.
होता यह है कि दिल्ली में भारत सरकार ने देश भर के सारे संसाधनों को लगा दिया है देश में जितने भी संसाधन है वह सब के सब दिल्ली में मौजूद हैं. भारत सरकार कभी सोचती ही नहीं है कि दिल्ली के अलावा कि नहीं और शहरों का भी विकास किया जाए.
इसीलिए सभी लोग दिल्ली में आकर बस रहे हैं. दिल्ली में बड़ी-बड़ी गाड़ियां है जो वायु प्रदूषण में बहुत ज्यादा रोल प्ले करते हैं. अगर लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाना हो वह भी केवल एक अकेले आदमी को वह भी अपनी बड़ी गाड़ी में ही एक जगह से दूसरी जगह जाता है.
जिसकी वजह से यहां पर प्रदूषण का लेवल एक अलग स्तर पर है इसके अलावा फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं, गाड़ी मोटर से निकलने वाले हैं, अनायास ही फसलों को जलाकर प्रदूषण फैलाना जैसी चीजों के वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
इसके अलावा कुछ सुख सुविधाओं के वस्तुओं जैसे फ्रिज और एसी जैसी चीजों से ओजोन परत को भी बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है.
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आकाश यानि अंतरिक्ष का प्रदूषण होना –
मनुष्य ने अपने विकास के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों ओर इतने ज्यादा सेटेलाइट भेजे हैं, जो अब समय के साथ-साथ पुराने भी हो रहे हैं.
जिनका कोई अब काम नहीं रह गया है. इसलिए यह पुराने और घिसे पीटे उपग्रह भी पृथ्वी के चारों ओर लगातार घूम तो रहे हैं साथी साथी पृथ्वी के चारों और बहुत ज्यादा प्रदूषण भी कर रहे हैं.
इसे स्पेस जंक के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के चारों ओर उपग्रहों को भेजने का उपाय तो कर लिया लेकिन इन उपग्रहों के खराब हो जाने के बाद इनका क्या होगा इसके बारे में नहीं सोचा।
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ध्वनि प्रदूषण –
अब ध्वनि प्रदूषण की तो बात ही मत कीजिए यहां पर अगर किसी को शादी करनी है तो वह अपने शादी में इतने तेज आवाज के गाने बजाएगा मानो वह पूरे देश की ही शादी करा रहा हो.
यही कारण है कि शहरों में तेज आवाज में गाने बजाने पर रात 10:00 बजे तक तो रोक लगी हुई है. लेकिन लोगों का तो मानो मन ही नहीं भरता है प्रदूषण से.
कभी गाड़ियों के हॉर्न से प्रदूषण करना है तो कभी तेज आवाज में गाने बजा ध्वनि प्रदूषण करना है. तो कभी जोर जोर से चिल्लाकर बस प्रदूषण ही करना हैं.