पूरी दुनिया भर में कोरोनावायरस को लेकर 2020 में लॉकडाउन लागू किया गया और उस कारण सभी लोग अपने घर में कैद रहे. कोई भी एक्टिविटी उस हिसाब से चालू नहीं रही जैसे पहले हुआ करती थी.
सभी फैक्ट्रियां बंद रहीं, गाड़ी मोटर सभी चीज बंद रहीं, जिसके कारण से वातावरण में प्रदूषण बिल्कुल भी कम रहा. even भारत में तो कमाल ही हो गया जब गंगा जैसी सबसे प्रदूषित नदी भी साफ हो गई. यमुना जैसी नदी जो छठ पूजा के समय प्रदूषण से भरी देखी गई थी वह पूरी तरीके से साफ हो गई.
यह बताता है कि मनुष्य कितना ज्यादा प्रदूषण कर रहा है और जब मनुष्य प्रदूषण बंद कर दें तो वह कितना ज्यादा रहम करेगा हमारी पृथ्वी पर. लॉकडाउन में सबसे बड़ी खबर यह आई की लॉकडाउन के वजह से ही पृथ्वी पर ओजोन परत पूरी तरीके से भर गई है.
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जो कि प्रदूषण के कारण डैमेज हो गया था. तब अब हर व्यक्ति ये जरूर सोचेगा कि आखिर ओज़ोन परत होती क्या है और इसका इतना क्या महत्व है. जो प्रदूषण से इतना ज्यादा घट गया था. जो चिंता का सबब था. तो बिना समय गवाएं चलिए जानते हैं कि ओजोन परत आखिर है क्या…
ओजोन परत क्या है –
ओजोन परत पृथ्वी के वायुमंडल की एक परत है. जिसमें ओजोन गैस की मात्रा बहुत ज्यादा सघन मात्रा में होती है यानि बहुत ज्यादा होती है. यह परत बहुत ज्यादा उपयोगी है हम मनुष्यों के लिए. क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अपने अंदर सोख लेता है.
एक अनुमान के मुताबिक ओजोन परत सूर्य से आने वाली 93 से 99% पराबैंगनी किरणों को अपने अंदर अवशोषित कर लेता है. जिसके कारण से पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी किरणों से प्रभावित नहीं होता है. इससे आप जान सकते हैं कि अगर ओजोन परत नहीं होता तो धरती पर जीवन संभव नहीं होता।

उसके कारण ही धरती पर जीवन संभव है. ओजोन परत स्ट्रेटोस्फियर के निचले भाग में पाया जाता है जो कि जमीन से 10 से 50 किलोमीटर की दूरी तक मौजूद होता है. पर ध्यान रहे ओजोन परत का अलग-अलग भौगोलिक स्थिति पर, अलग-अलग ऊंचाई पर वहां पर उसकी डेंसिटी की मात्रा बदलती रहती है.
जब ऑक्सीजन के तीन अणु आपस में मिलते हैं तो ओजोन अणु का निर्माण होता है. जो ओजोन गैस का निर्माण करता है. जिसक सूत्र O3 होता है.
ओजोन के गुण –
ओजोन एक गंधयुक्त गैस होती है जो कि नीले रंग की होती है और यह पृथ्वी के वायुमंडल में पाई जाती है. जो कि सूर्य के पराबैगनी किरणों को अवशोषित करने का काम करती है.
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इसका रासायनिक सूत्र O3 है और इसे आप यह कह सकते हैं कि यह ऑक्सीजन का ही एक प्रकार है. क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की तीन कण आपस में मिलकर इस गैस का निर्माण करते हैं.
ओजोन परत की खोज –
1913 में फ्रांस के एक भौतिकी शास्त्री फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने ओजोन परत की खोज की. उन्होंने जब सूर्य से आने वाले प्रकाश की किरणों को स्पेक्ट्रम को देखा तो उन्होंने पाया उसमें कुछ काले रंग के क्षेत्र थे. जिसमें 310 नैनोमीटर से कम वेवलेंथ का कोई भी रेडिएशन सूर्य से पृथ्वी तक नहीं आ पा रहा था.
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वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि कोई ना कोई ऐसी अदृश्य शक्ति मौजूद है जो पराबैंगनी किरणों को अपने अंदर सोख ले रहा था और जब वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन किया तो पाया कि स्पेक्ट्रम में वो कालाक्षेत्र ही वह अदृश्य शक्ति थी जो पराबैंगनी किरणों को अपने अंदर अवशोषित कर रहा था.
ओजोन परत के क्षय का भरना –
मार्च 2020 में ही वैज्ञानिकों ने आर्कटिक सागर के ऊपर ओजोन लेयर में एक बहुत बड़ा लगभग 10 लाख किलोमीटर स्क्वायर क्षेत्र का एक होल पाया था. जिसके कारण वैज्ञानिक बता रहे थे कि मनुष्य द्वारा हो रहे अनायास प्रदूषण के कारण से ओजोन लेयर में एक बहुत बड़ा होल बन गया था.
लेकिन चीन द्वारा फैलाए गए कोरोनावायरस के कारण से दुनिया भर में जो लॉकडाउन हुआ उस से पर्यावरण को काफी लाभ भी पहुंचा। क्योंकि इससे फैक्ट्रियां बिल्कुल बंद हो गई. गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण भी बंद रहा.
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जिसका सबसे सकारात्मक प्रभाव यह पड़ा कि ओजोन लेयर में हुआ 10 लाख किलोमीटर स्क्वायर का बड़ा छेद अब पूरी तरीके से भर चुका है. जो कि हमारे पर्यावरण के लिए बहुत ही बड़ा खुशखबरी था.