HTTP in hindi – अब जब कभी भी अपने कंप्यूटर या अपने मोबाइल पर वेब ब्राउजिंग करते हो.
जब भी आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर कुछ भी चीज सर्च करते हो तो.
जब भी आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर कुछ भी चीज सर्च करते हो तो.
आपको कुछ वेबसाइट्स का रिजल्ट मिलता है. आप अपने मोबाइल पर या कंप्यूटर पर उस वेबसाइट के यू आर एल (url) के आगे एचटीटीपी या एचटीटीपीएस http:// या https:// लिखा हुआ देखते हो.
और आपके मन में यह जिज्ञासा आने लगता है कि आख़िर यह होता क्या है ? आखिर एचटीटीपी और एचटीटीपीएस का मतलब क्या है (what is HTTP in hindi) ?
और इस एचटीटीपी और एचटीटीपीएस में अंतर क्या है (difference between HTTP and HTTP in hindi)?
बस, आप अपने जिज्ञासा को शांत करने के लिए. तरह-तरह के ब्लॉग या वेबसाइट पर जाकर,
अपने इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए, इस जानकारी को प्राप्त करने में जुट जाते हो.
लेकिन कहीं भी आपको आसान शब्दों में इस बात की जानकारी नहीं मिलती है.
और आप बिल्कुल फ्रस्ट्रेट हो जाते हो. कि आपको सीधे शब्दों में इस प्रश्न का उत्तर आखिर कब और कहां मिलेगा.
अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है. जो इस बात को आसान शब्दों में जानना चाहते हैं.
तो आपको यह आर्टिकल पूरा पढ़ना चाहिए.
क्योंकि आपको इस बात का पूरा ज्ञान इस आर्टिकल में पूरी तरीके से हो जाएगा, तो चलिए जानते हैं…
http क्या होता है (what is HTTP in hindi)
आप अपने ब्राउज़र के ऐड्रेस बार में किसी वेबसाइट के आगे एचटीटीपी (http:// ) लिखा हुआ जरूर देखे होंगे.
और आपके मन में यह जिज्ञासा जग गया होगा की आखिरी होता क्या है ? तो सबसे पहले इस एचटीटीपी का फुल फॉर्म जान लेते हैं.
एचटीटीपी का फुल फॉर्म होता है. हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल (Hyper Text Transfer Protocol)
जो कि एक नेटवर्क प्रोटोकोल (network protocol) होता है.
अब आप यह सोचेंगे कि आखिर एक कंप्यूटर नेटवर्क प्रोटोकोल होता क्या है ? तो आपको आसान से शब्दों में बताते चलें.
Network Protocol क्या हैं
जब कभी हम अपने कंप्यूटर को किसी सर्वर (server) से जोड़ते हैं यानी किसी नेटवर्क जोड़ते हैं.
तो उस कंप्यूटर और नेटवर्क के बीच जो भी जानकारी का आदान प्रदान किया जाएगा.
वह एक खास प्रकार के नियम का पालन करते हुए ही किया जाएगा.
ताकि किसी के भी अधिकारों का हनन न किया जा सके. इन नियमों के समूह को ही नेटवर्क प्रोटोकोल (network protocol) करते हैं.
डिवाइस और नेटवर्क के बीच जानकारी किस फॉर्मेट में ट्रांसफर होगा या किस फॉर्मेट में रिसीव होगा, यह नेटवर्क प्रोटोकॉल के द्वारा ही निश्चित होता है.
यह एचटीटीपी भी एक नेटवर्क प्रोटोकोल ही है. जो यह तय करता है कि जो डाटा ट्रांसफर हो रहा है.
उसका फॉर्मेट कैसा होगा और अलग-अलग कमांड पर ब्राउज़र और सर्वर कैसे रिस्पॉन्ड करेंगे.
एचटीटीपी रिक्वेस्ट रिस्पांस प्रोटोकोल (request response protocol) है. जो कि वेब ब्राउज़र (web browser)और server के बीच एक कम्युनिकेशन का माध्यम बनता है.
हमारा कंप्यूटर में मौजूद कोई भी ब्राउज़र हो चाहे वह क्रोम (chrome), फायरफॉक्स (firefox), हो या इंटरनेट एक्सप्लोरर (internet explorer).
वह सब एक क्लाइंट की तरह होते हैं और हमारा वेब सर्वर होता है जैसे अपाचे (apache) या आईआईएस (iis) एक सरवर की तरह काम करता है.
सर्वर में ही सारे फाइल अपलोड रहते हैं या कहिए स्टोर रहते हैं.
और जैसे ही हम अपने ब्राउज़र से कोई चीज कमांड देते हैं तो वह एचटीटीपी (HTTP in hindi) जोकि एक नेटवर्क प्रोटोकोल है, इस पूरे प्रोसेस में एक मध्यस्थ बन कर क्लाइंट के रिक्वेस्ट को वेब सर्वर तक पहुंचाता है.
और सर्वर नेटवर्क के जरिए वह डाटा ब्राउज़र को भेजता है.

HTTP error क्या है (HTTP error in hindi)
आप कभी-कभी किसी वेबसाइट को खोलते हो और आप देखते हो सामने स्क्रीन पर एचटीटीपी एरर 403 (HTTP error 403), एचटीटीपी एरर 404 (HTTP error 404) जैसी चीजें.
आखिर होता क्या है ?और यह मैसेज दिखाकर वह वेबसाइट या ब्राउजर आपसे कहना क्या चाहता है ? एचटीटीपी एरर बहुत तरीके का होता है.
और इन सभी तरह के एचटीटीपी एरर को समझने के लिए एक एरर कोड (error code) बनाया गया है.
जिसको जानकर एक स्पेशलिस्ट व्यक्ति यह जान जाएगा कि इस वेबसाइट में आखिर कौन सी कमी है.
या कौन सी एरर आयी हुई है. तो चलिए जानते हैं आखिर यह एचटीटीपी एरर है क्या ?
http error code की जानकारी
400 Bad File Request : यह एरर कोड (error code) हमारे कंप्यूटर स्क्रीन पर तब दिखता देता है जब कोई URL गलत टाइप किया गया हो.
जैसे किसी word को small की जगह capital letter में लिख देना, symbols को गलत टाइप कर देना आदि.
401 Unauthorized : जब हम कभी गलत पासवर्ड एंटर कर देते हैं तो ये एरर आती हैं.
403 Forbidden/Access Denied : जब किसिस ऐसे url या पेज को ब्राउज करने का प्रयास करते हो।
जिसकी परमिशन आपको है ही नहीं तो ये एरर कोड सामने आता हैं.
404 File Not Found : अगर सबसे ज्यादा आपने किसी एरर को देखा होगा अपने कंप्यूटर ब्राउज़र को तो वो ये ही एरर होगा.
इस तरह का एरर हमारे ब्राउज़र तब आता हैं जब कोई फाइल सर्वर से डिलीट कर दी गयी हो या कही दुसरे लोकेशन पर कर दी गयी हो.
या ऐसा भी संभव हो सकता हैं कि requested url अस्तित्व में ही न हो.
408 Request Timeout : यह एरर ज्यादातर उस समय आती है जब server का speed slow हो या request किये गये file की size बहुत ज्यादा हो
500 Internal Error : जब sever के configuration में कुछ problem हो तब file को access करने में परेशानी होती है.
और internal error का code दिखाई देता है.
503 Service Unavailable : इंटरनेट कनेक्शन में problem हो, server busy हो, साईट के cpanel में कोई समस्या आ गयी हो.
या site किसी अन्य address पर move हो गया हो तब इस प्रकार का error आ सकता है.
http सुरक्षित क्यों नहीं है (why http is not secure in hindi)
आपने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि जब भी आपको अपना पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड जैसी चीजों का डिटेल देना हो.
आप कभी भी ऐसे वेबसाइट पर अपने इनसेंसेटिव इंफॉर्मेशन को शेयर ना करें.
जो HTTPS ना हो. क्योंकि HTTP सिक्योर नहीं माना जाता है.
लेकिन ऐसा क्यों है आखिर http सिक्योर क्यों नहीं होता है.
दरअसल http नेटवर्क प्रोटोकोल एक unencrypted फॉर्म में होता है.
यानी ऐसे फॉर्म में होता है, जिसका डाटा बिना encrypted हुए सर्वर पर ट्रांसफर होता है.
यानी अगर कोई मध्यस्थ व्यक्ति यानी कोई हैकर किसी तरह से unencrypted फाइल को पा गया.
तो वह व्यक्ति के कंप्यूटर को बहुत ही अच्छी तरीके से या उसके वेबसाइट को बहुत ही अच्छी तरीके से हैक कर लेगा.
उसकी सारी जानकारी हो बहुत ही आराम से जान जाएगा.
इसलि (HTTP in hindi) को सुरक्षित नहीं माना जाता है. http में सर्वर आइडेंटिफिकेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती है.
हैकर सर्वर की तरह रिस्पांस करके सरवर में स्टोर सारी इनफार्मेशन आराम से ले सकता है.
HTTPS क्या हैं (what is https in hindi)
https का फुल फॉर्म होता है, हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल सिक्योर्ड (Hyper Text Transfer Protocol Secured).
ये http की तरह ही होता है, बस यह सिक्योर्ड होता है. क्योंकि इसमें एक SSL सर्टिफिकेट (Secured Socket Layer) भी जुड़ा रहता है.
SSL सर्टिफिकेट वह सर्टिफिकेट होता है, जो नेटवर्क प्रोटोकोल और server के बीच डाटा को encrypt फॉर्म में ट्रांसफर करता है.
जिससे डाटा हमेशा सुरक्षित रहता है और कोई व्यक्ति इसे आसानी से पढ़ नहीं सकता है.
SSL सर्टिफिकेट दरअसल एक क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकोल (cryptographic protocol) होता है जो नेटवर्क प्रोटोकोल को एंक्रिप्ट कर सिक्योर कर देता है.
तो आइए जानते हैं कि HTTPS यानि ये SSL सर्टिफिकेट करता क्या है ?
क्या होता है क्रिप्टोग्राफी ( cryptography)
क्रिप्टोग्राफी एक method है जिसके जरिया सामान्य से दिखने वाले जानकारी को यानी जो text साधारणतया हम लिखते या समझते हैं,
उसे अनरीडेबल फॉर्मेट (unreadable text) में यानी जिसे कोई भी पढ़ ना सके.
उस फॉर्मेट में कन्वर्ट कर देना जिससे कोई खास प्रकार का व्यक्ति ही उसे पढ़ पाए.
जैसे डाटा सरवर में एंक्रिप्टेड फॉर्म में सेव होता है.
और जब ऑथराइज्ड यूजर को यह पढ़ना होता है तो दोबारा से un-encrypt होकर वही डाटा क्लाइंट के पास पहुंच जाता है.
https = http + cryptographic protocols
क्या काम करता हैं cryptography
privacy बनाये रखना – सबसे पहले तो इस https नेटवर्क प्रोटोकोल का काम होता है डाटा को पूरी तरीके से encrypt कर देना.
जिससे client और server के बीच कोई भी मध्यस्थ व्यक्ति,
यानी कोई भी hacker इस तरह के डाटा को पढ़ ना सके.
दरअसल encryption का काम ही होता है कि जिस तरह हम अपने डाटा को write किये हो.
उसको एक दूसरे ही भाषा में या दूसरे ही तरीके से कन्वर्ट करके सर्वर या नेटवर्क की तरफ ट्रांसफर करना.
जिससे होता यह है कि कोई भी व्यक्ति इस अजीब तरह के भाषा को कभी समझ ही नहीं पाता है.
और न समझने के कारण वह व्यक्ति के प्राइवेट चीजों को पढ़ ही नहीं पाता है.
जिससे व्यक्ति का डाटा हमेशा से ही सुरक्षित रहता है.
integrity – https सर्वर का दूसरा काम है कि यह सुनिश्चित करना की जो डाटा ट्रांसफर हो रहा है.
वह क्लाइंट और सरवर के बीच किसी भी तरह से चेंज ना हो.
यानि उस डाटा में किसी भी तरह का कोई छेड़छाड़ ना हो.
किसी भी तरह से कोई शब्द घटाया या बढ़ाया ना जा सके. जिससे डाटा अपने यथास्थिति में बना रहे.
authenticate करना – इसके साथ ही https server का काम यह भी है कि क्लाइंट और सर्वर दोनों के ही डाटा को access करने के लिए,
सबसे पहले नेटवर्क प्रोटोकोल को अपने आईडेंटिटी प्रूफ करनी पड़ती है.
अगर आईडेंटिटी में किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई गई तो यह सर्टिफिकेट डाटा को ट्रांसफर करने का परमिशन ही नहीं देगा.
और डाटा पूरी तरीके से सुरक्षित रहेगा.
HTTP और HTTPS में क्या अंतर होता हैं (http vs https in hindi)
1. http एक असुरक्षित नेटवर्क प्रोटोकोल होता है. वही https एक सुरक्षित नेटवर्क प्रोटोकोल होता है.
किसी भी प्रकार का कोई डाटा हो वह https में सुरक्षित रहता है.
और ऐसे वेबसाइट को सुरक्षित मानकर इस्तेमाल किया जा सकता है.
किसी भी तरह का कोई payment करना हो या कोई पासवर्ड एंटर करना हो.
किसी भी तरह का कोई क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इंफॉर्मेशन सेव करना हो.
वह https नेटवर्क पर सेव किया जा सकता है. क्योंकि यह पूरी तरीके से सुरक्षित होता है.
पर http नेटवर्क पर डाटा पूरी तरीके से असुरक्षित रहता है.
क्योंकि http पर डाटा un encrypted फॉर्म में रहता है.
2. एक http वेबसाइट पर http:// जुड़ा रहता है, बल्कि https http:// पर जुड़ा रहता है.
3. एक https नेटवर्क प्रोटोकॉल पर एक ssl सर्टिफिकेट भी जुड़ा रहता है.
जो वेबसाइट को पूरी तरीके से सुरक्षित बनाता है.
ssl एक क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकोल होता है, जो डाटा को एंक्रिप्टेड फॉर्म में कन्वर्ट कर सरवर में सेव करता है.
जिससे कोई भी वेबसाइट के इंफॉर्मेशन को रीड ना कर सके.
4.. http in hindi वेबसाइट अपने डाटा को ट्रांसफर करने के लिए 80 पोर्ट का इस्तेमाल करती है.
जबकि एक https वेबसाइट अपने डाटा को ट्रांसफर करने के लिए 443 पोर्ट का इस्तेमाल करती है.
payment वाली वैबसाइट के लिए ज़रूरी हैं https
5. किसी भी तरह का कोई शॉपिंग वेबसाइट, बैंकिंग वेबसाइट, सोशल साइट हो या कोई भी वेबसाइट, जिस पर आप अपने senstive information शेयर कर रहे हैं.
वह वेबसाइट हमेशा https ही होनी चाहिए. जिससे इस वेबसाइट पर सेव किया गया डाटा हमेशा से ही सुरक्षित रहे.
और अगर आपको ऐसी ही किसी वेबसाइट पर जाना है, जैसे ऑनलाइन शॉपिंग करनी है, बैंकिंग करना है, तो आप ही सुनिश्चित कर लें कि वह वेबसाइट https जरूर हो.
वरना आपका डाटा किसी गलत व्यक्ति के हाथ में बहुत ही आसानी से लग सकता है.
6.अगर आप कोई ऐसी वेबसाइट बना रहे हैं, जिस पर आप कोई भी सेंसिटिव इंफॉर्मेशन नहीं दे रहे हो.
जैसे आप केवल ब्लॉगिंग कर रहे हो, किसी खास तरह की चीज के बारे में इंफॉर्मेशन दे रहे हो, जिसमें किसी भी प्रकार का कोई पेमेंट का मेथड ना हो.
तो आप HTTP in hindi वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते हो.
क्योंकि इसमें ऐसा कोई भी डाटा नहीं होता है. जिसका हैक होने का खतरा हो.
कोई भी hacker इस तरह के डाटा को हैक करने में इंटरेस्टेड नहीं रहता है.
7. गूगल, बिंग जैसे ही कुछ सर्च इंजन अपने सर्च रिजल्ट में उन ही वेबसाइट को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं
जो HTTPS यानी ssl सर्टिफिकेट के साथ हो.
कारण यह है कि ऐसी वेबसाइट पर हैकिंग का खतरा कम होता है. जिसे कोई भी हैकर, कोई गलत इंफॉर्मेशन इस वेबसाइट पर डाल नहीं सकता है.
गूगल ऐसे वेबसाइट पर ज्यादा भरोसा करके उसे सर्च रैंकिंग में हमेशा ऊपर लाता है.
Comments are closed.